शिमला: हिमाचल का राज्य पक्षी जुजुराणा विलुप्त होने की कगार पर है. इस पक्षी को बचाने के लिए प्रदेश सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन सराहन फीजेंटरी में ही अतिक्रमण का मामला सामने आने पर ये सभी दावे खोखले नजर आ रहे हैं.
दरअसल, कुछ प्रभावशाली लोग सराहन में फीजेंट सेंचुरी में अतिक्रमण कर इसे नुकसान पहुंचा रहे हैं. यहां पर फीजेंट सेंचुरी की फेंसिंग को मशीन से उखाड़ कर नई बाउंडरी बनाई गई है. इसके बावजूद वन विभाग और वन्य जीव विभाग के अधिकारी मामले को अनदेखा कर रहे हैं.
मामले पर माकपा नेता संजय चौहान ने जिम्मेदार अधिकारियों के मामले की अनदेखी करने को निंदनीय बताया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को फीजेंट सेंचुरी में अतिक्रमण को लेकर तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए. साथ ही मामले में दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए.
संजय चौहान ने सीएम जयराम ठाकुर से सराहन फीजेंट सेंचुरी में अतिक्रमण रोकने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सीएम को व्यक्तिगत तौर पर मामले को देखना चाहिए और सेंचुरी में अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए.
वहीं, वन मंत्री राकेश पठानिया ने कहा कि फॉरेस्ट एरिया में किसी तरह का अतिक्रमण होना मुमकिन नहीं है. अगर ऐसा हुआ है तो मामले में हाई लेवल इंक्वायरी बिठाई जाएगी और दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा.
गौरतलब है कि जुजुराणा (वैस्ट्रन ट्रैगोपेन) को वर्ष 2007 में हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया था, जो अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ यानी आईयूसीएन की लाल सूची में दर्ज एक विलुप्त होने की कगार पर खड़ा एक हिमालयी फीजेंट है. सरकार जुजुराणा को बचाने के लिए कई प्रयास भी कर रही है. इसके चलते सरखान क्षेत्र में जुजुराना के दो व्यस्क जोड़ों को जंगल में भी छोड़ा गया था.
वहीं, अब सराहन फीजेंट सेंचुरी में अतिक्रमण का मामला सामने आने पर राज्य पक्षी जुजुराणा को बचाने के प्रयासों पर भी सवाल उठ रहे हैं. एक तरफ जहां राज्य पक्षी को बचाने के लिए कोशिश की जा रही है. वहीं, इन्हें संरक्षित करने की जगह पर ही अतिक्रमण होना सरकार का जुजुराना को बचाने के लिए गंभीर न होना दिखा रहा है.