शिमला: कोरोना महामारी चलते लगाए गए लॉकडाउन की वजह से अन्य व्यवसायों की तरह किताबों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है और किताबों की बिक्री कम होने से विक्रेताओं को भी नुकसान झेलना पड़ा. अब अनलॉक के बाद सभी तरह के कारोबार रफ्तार पकड़ चुके हैं, लेकिन किताबों के विक्रेताओं का काम अभी भी पटरी पर नहीं आया है.उन्हें अभी भी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. पहले ही कोविड की वजह से उनका कारोबार 50 फीसदी तक कम हो गया था ओर अभी भी लगातार इसमें गिरावट आती जा रही है.
शिक्षण संस्थान बंद होना बना किताबों के कारोबार में कमी का कारण
किताबों के कारोबार में कमी आने की मुख्य बड़ी वजह है कि कोरोना महामारी के बीच प्रदेश में स्कूल और कॉलेज बंद है. स्कूल पर कॉलेज के छात्र बुक्स स्टोर पर किताबें पर कॉपियां लेने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. बीते वर्ष मार्च 2020 से ही स्कूल बंद है. ऐसे में बुक स्टोर भी जितनी मांग किताबों और कॉपियों को होती है उसमें भारी कमी देखी गई हैं. यही हाल प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों के साथ ही अन्य किताबों को लेकर भी हुआ है उनकी डिमांड में भी कमी आई है.
क्या कहना है एशिया बुक हाउस के कर्मचारी का
शिमला के मॉलरोड पर किताबों के सबसे पुराने स्टोर एशिया बुक हाउस के कमर्चारी कहना है कि 20 वर्षों में यह पहली बार है कि जब किताबों की खरीद पर इस तरह का असर देखा गया है. पहले कोविड की वजह से लगाए लॉकडाउन के बीच में दुकानें पूरी तरह से बंद थी उसकी वजह से कारोबार ठप रहा, लेकिन अब जब दुकानें खुल गई तब भी किताबों के शौकीन बुक स्टाल तक नहीं पहुंच रहे हैं.
ऑनलाइन किताबों की खरीद की ओर हो रहा रुझान
दूसरा किताबों के कारोबार में कमी आने का बड़ा कारण यह भी है कि लोग ऑनलाइन ही किताबों की खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की खरीद भी अब ऑनलाइन की जा रही है. बुक स्टोर पर लोग कम आ रहे है जिस वजह से किताबों का कारोबार गिरता जा रहा है. जो भी किताब किसी रीडर को चाहिए वह उसे ऑनलाइन सर्च कर वेबसाइट से खरीद लेता है जिसके बाद उन्हें स्टोर आने की जरुरत ही नहीं रहती हैं. ई कंटेंट लोगों ने लॉकडाउन के दौरान पढ़ा है जिससे उनकी रीडिंग हैबिट में बदलाव हुआ है.
लॉकडाउन में किताबें नहीं मिलने से लिया ई बुक्स का सहारा
किताबों को पढ़ने के शौकीन पाठकों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान किताबों को पढ़ कर उन्होंने समय बिताया. बुक स्टोर बंद थे तो ई बुक्स का सहारा लेना पड़ा, लेकिन उन्होंने यह भी माना की ई बुक्स के साथ उतना कनेक्ट नहीं हो पाते हैं जितना कि किताबों के साथ. यही वजह है कि अब जब बुक स्टोर खुल चुके हैं तो वह बुक स्टोर पर आ कर किताबें खरीद रहे हैं और उन्हें पढ़ रहे हैं.
स्टोर बंद होने के बाद भी कर्मचारियों को मिलता रहा वेतन
शिमला शहर में किताबों के स्टोर कोविड लॉकडाउन के दौरान बंद रहे, लेकिन इन स्टोर में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन लगातार मिलता रहा जिससे वह अपना घर परिवार चला सके. इन कर्मचारियों जो 15 से 20 सालों से इन बुक्स स्टोर पर काम कर रहे है ने यह भी कहा कि यह पहली ही बार था जब उनके कारोबार में इस तरह की गिरावट आई.
स्कूल, कॉलेज खुलेंने से संभलेगा कारोबार
शिमला में बुक स्टोर चला रहे लोगों का कहना है कि अगर सरकार अब स्कूल, कॉलेजों को खोलती है तब उनका कारोबार संभलेगा. स्कूल, कॉलजों के खुलने के बाद बच्चों को किताबों के साथ ही कॉपियों और अन्य एसेसरीज की आवश्यकता होती है जिसे खरीदने के लिए वह बुक स्टोर तक आएंगे. इसकी वजह से कारोबार में वृद्धि होगी और जो नुकसान विक्रेताओं को झेलना पड़ा था उसकी भरपाई हो पाएगी.