शिमला: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा बंद किए गए संस्थानों के खिलाफ भाजपा द्वारा प्रदेश भर में धरना प्रदर्शन किए गए और हस्ताक्षर अभियान चलाए गए थे. वहीं, सोमवार को भाजपा विधायक दल ने प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में लाखों की तादाद में हिमाचल के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला को कांग्रेस सरकार के खिलाफ जनता द्वारा किए गए हस्ताक्षर सौंपे और एक ज्ञापन भी दिया. जयराम ठाकुर और विधायक दल द्वारा दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश स्वच्छ राजनीति, सुशासन एवं स्वस्थ लोकतंत्र प्रणाली का द्योतक है.
हिमाचल का इतिहास रहा है कि जब भी प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होता है तो नई सरकार पूर्व सरकार के कार्यों को आगे बढ़ाकर प्रदेशहित व जनहित में कार्य करती हैं. लेकिन यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व भाजपा सरकार के समय जनहित में कैबिनेट मंजूरी के बाद एवं बजटीय प्रावधान के साथ विभिन्न विभागों के जो सरकारी संस्थान खोले गए थे, उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से बिना कैबिनेट की मंजूरी के बंद कर दिया गया है. जो कांग्रेस पार्टी की संकीर्ण एवं दूषित मानसिकता का परिचायक है.
वर्तमान सरकार की इस तानाशाहीपूर्ण कार्यशैली से प्रदेश की जनता को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है. हिमाचल प्रदेश एक पहाड़ी राज्य है और यहां की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों एवं जनता की भारी मांग और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पूर्व भाजपा सरकार ने यह सरकारी संस्थान खोले थे. इन संस्थानों में कार्य सुचारू रूप से शुरू हो गया था और जनसुविधाएं मिलनी प्रारंभ हो गई थी. लेकिन खेद का विषय है कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता प्राप्त करते ही इसका दुरूपयोग करते हुए लोगों को मिल रही सुविधाओं को छिनने का कार्य किया है.
कांग्रेस को सत्ता में आए लगभग तीन महीने का समय हो गया है और इस कार्यकाल के दौरान सरकार द्वारा एक भी निर्णय जनहित में नहीं लिया गया है, जोकि इस सरकार की कार्यप्रणाली पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. सरकार का कार्य जन इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए विकास की गति को आगे बढ़ाने का होता है लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार इसके विपरीत कार्य कर रही है. कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश में अब तक 900 से अधिक सरकारी संस्थानों को बंद कर जनमत के विरूद्ध कार्य किया है. जिससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हुई बल्कि सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
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