ETV Bharat / state

अब भी जोशीले हैं राजनीति के ये 'राजा', लाल बहादुर शास्त्री लाए थे राजनीति में

हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह आज अपना 87वां जन्मदिन मना रहे हैं. हिमाचल की राजनीति का जिक्र वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा माना जाएगा. पांच दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय वीरभद्र सिंह को बेझिझक हिमाचल के राजनीतिक साम्राज्य का राजा कहा जा सकता है.

author img

By

Published : Jun 23, 2020, 12:11 AM IST

Updated : Jun 23, 2020, 12:32 PM IST

virbhadra singh birthday
वीरभद्र सिंह का जन्मदिन

शिमला: हिमाचल की राजनीति का जिक्र वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा माना जाएगा. पांच दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय वीरभद्र सिंह को बेझिझक हिमाचल के राजनीतिक साम्राज्य का राजा कहा जा सकता है. आज वीरभद्र सिंह का जन्मदिन (23 जून 1934) है और वह अब 86 साल के हो चुके हैं.

छह बार हिमाचल की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह उम्र के इस पड़ाव में भी जोशीले हैं. इस उम्र में भी जोश के साथ सक्रिय रहने के पीछे वे हिमाचल की जनता के स्नेह को श्रेय देते हैं. लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में करीब-करीब अपराजेय रहे वीरभद्र सिंह छह बार सीएम बनने के अलावा आठ विधानसभा चुनाव जीते हैं.

virbhadra singh birthday
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. फाइल

वे केंद्र में मंत्री रहे हैं. संगठन में भी सक्रिय रहते हुए वे चार दफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. बेशक अपने राजनीतिक जीवन की ढलान पर वे कानूनी मामलों में उलझे रहे, लेकिन वे खुद को फाइटर मानते हैं और दावा करते हैं कि अपने खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के चलते बनाए गए मामलों से वे सुर्खरू होंगे.

शास्त्री जी ने कहा, राजनीति में आ जाओ

हिमाचल के मुख्यमंत्री के राजनीतिक जीवन के पांच दशकों की यात्रा की शुरुआत भी अचानक हुई है. देश के महान सपूत और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से वीरभद्र सिंह राजनीति में आए. वीरभद्र सिंह का इरादा अध्यापन करने का था.

virbhadra singh
हिमाचल निर्माता YS परमार (बाएं) वीरभद्र सिंह (दाएं) इंदिरा गांधी (बीच). फाइल

बुशहर रियासत के इस राजा ने आरंभिक स्कूली शिक्षा शिमला के विख्यात बिशप कॉटन स्कूल से की. उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए (आनर्स) की डिग्री हासिल की. अध्ययन के बाद वे लाल बहादुर शास्त्री की सलाह पर 1962 के लोकसभा चुनाव में खड़े हो गए. महासू सीट से उन्होंने चुनाव जीता और तीसरी लोकसभा में पहली बार सांसद बने.

virbhadra singh birthday
पूर्व सीएम रामलाल ठाकुर, हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार और वीरभद्र सिंह. फाइल

अगला चुनाव भी वीरभद्र सिंह ने महासू से ही जीता. फिर 1971 के लोकसभा चुनाव में भी वे विजयी हुए. यही नहीं, वीरभद्र सिंह सातवीं लोकसभा में भी सदस्य थे. उन्होंने 1980 का लोकसभा चुनाव जीता. अंतिम लोकसभा चुनाव उन्होंने मंडी सीट से वर्ष 2009 में जीता और केंद्रीय इस्पात मंत्री बने.

इस तरह वीरभद्र सिंह पांच बार सांसद रहे. वे पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में वर्ष 1976 में पर्यटन व नागरिक उड्डयन मंत्री बने. फिर 1982 में उद्योग राज्यमंत्री का पदभार संभाला. वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वे केंद्रीय इस्पात मंत्री बने. बाद में उन्हें केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम इंटरप्राइजिज मंत्री बनाया गया.

पांच दशक से ज्यादा का राजनीतिक करियर

वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति में बेशक सक्रिय रहे, लेकिन उनका अधिकांश राजनीतिक जीवन हिमाचल की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता रहा है. वे अक्टूबर 1983 में पहली बार विधानसभा चुनाव की जंग में विजयी रहे. यह उपचुनाव था.

virbhadra singh
वीरभद्र सिंह. फाइल

उसके बाद वे जनरल इलेक्शन में 1985 में रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र से जीते. फिर वीरभद्र सिंह की चुनावी कर्मभूमि रोहड़ू रही. यहां से वे लगातार चुनाव जीतते रहे. कुल पांच दफा वे रोहड़ू से निर्वाचित हुए. पहली बार उन्होंने 8 अप्रैल 1983 को सीएम का पदभार संभाला.

सिंह छठी बार 25 दिसंबर 2012 को सीएम बने. वे एक विधानसभा चुनाव हार भी चुके हैं. वीरभद्र सिंह 1988 से 2003 तक हिमाचल में नेता प्रतिपक्ष रहे. वे चार दफा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी विराजमान रहे.

देर रात तक भी फाइलें निपटाते थे वीरभद्र

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कार्यक्षमता सभी को हैरान करती रही है. पिछले कार्यकाल में बजट सत्र में वीरभद्र सिंह ने चार घंटे तक लगातार अंग्रेजी में बजट भाषण दिया था. उस दौरान उन्होंने एक आशार के जरिए अपने राजनीतिक विरोधियों पर तंज कसा था.

virbhadra singh birthday
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. फाइल

वीरभद्र सिंह ने कहा था-मेरा यही अंदाज जमाने को खलता है/इतनी मुश्किलों के बाद ये आदमी सीधा कैसे चलता है. उस दौरान वीरभद्र सिंह ने ये भी कहा था कि अभी इतना लंबा भाषण देने के बाद वे विधानसभा से मालरोड तक दौड़ लगा सकते हैं.

हिमाचल की राजनीति को गहरे तक किया प्रभावित

वीरभद्र सिंह ने हिमाचल की राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया है. वे कुशल प्रशासक माने जाते हैं. विरोधी भी उनकी प्रशासनिक कुशलता के कायल हैं. अफसरशाही भी वीरभद्र सिंह के तेवर पहचानती है. सचिवालय में सभी इस बात को जानते हैं कि वीरभद्र सिंह की नोटिंग का क्या अर्थ है.

वे आम जनता के लिए जनता दरबार लगाते हैं. वीरभद्र सिंह अध्ययन के भी शौकीन हैं. वे साहित्य में भी गहरी रुचि रखते हैं. उन्होंने प्रदेश के निर्माता और पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार के साथ लंबे समय तक काम किया है.

virbhadra singh
जनता दरबार में वीरभद्र सिंह. फाइल

हिमाचल की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले विशलेष्क डॉ. एमपीएस राणा के अनुसार वीरभद्र सिंह का पांच दशक का राजनीतिक जीवन इस बात का गवाह है कि इस शख्स ने कैसे यहां के सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित किया है.

चूंकि कांग्रेस लंबे समय तक हिमाचल की सत्ता में रही है और उसमें से भी अधिकांश समय वीरभद्र सिंह सीएम रहे हैं, ऐसे में प्रदेश के विकास का काफी श्रेय उन्हें जाता है. वीरभद्र सिंह अपने बेबाक बयानों के कारण भी चर्चा में रहे हैं.

राजनीति के राजा
पीएम मोदी के साथ वीरभद्र सिंह. फाइल

आय से अधिक संपत्ति मामले में मुश्किलें

वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति मामले में बुरी तरह से घिरे रहे हैं. उनके खिलाफ ईडी व सीबीआई की जांच सहित आयकर विभाग की जांच भी चल रही है. आरोप है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह के पास छह करोड़ से अधिक की रकम आय से अधिक पाई गई. यूपीए सरकार के समय इस मामले में जांच चली थी.

शिमला: हिमाचल की राजनीति का जिक्र वीरभद्र सिंह के बिना अधूरा माना जाएगा. पांच दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय वीरभद्र सिंह को बेझिझक हिमाचल के राजनीतिक साम्राज्य का राजा कहा जा सकता है. आज वीरभद्र सिंह का जन्मदिन (23 जून 1934) है और वह अब 86 साल के हो चुके हैं.

छह बार हिमाचल की कमान संभालने वाले वीरभद्र सिंह उम्र के इस पड़ाव में भी जोशीले हैं. इस उम्र में भी जोश के साथ सक्रिय रहने के पीछे वे हिमाचल की जनता के स्नेह को श्रेय देते हैं. लोकसभा व विधानसभा के चुनाव में करीब-करीब अपराजेय रहे वीरभद्र सिंह छह बार सीएम बनने के अलावा आठ विधानसभा चुनाव जीते हैं.

virbhadra singh birthday
पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. फाइल

वे केंद्र में मंत्री रहे हैं. संगठन में भी सक्रिय रहते हुए वे चार दफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं. बेशक अपने राजनीतिक जीवन की ढलान पर वे कानूनी मामलों में उलझे रहे, लेकिन वे खुद को फाइटर मानते हैं और दावा करते हैं कि अपने खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध के चलते बनाए गए मामलों से वे सुर्खरू होंगे.

शास्त्री जी ने कहा, राजनीति में आ जाओ

हिमाचल के मुख्यमंत्री के राजनीतिक जीवन के पांच दशकों की यात्रा की शुरुआत भी अचानक हुई है. देश के महान सपूत और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से वीरभद्र सिंह राजनीति में आए. वीरभद्र सिंह का इरादा अध्यापन करने का था.

virbhadra singh
हिमाचल निर्माता YS परमार (बाएं) वीरभद्र सिंह (दाएं) इंदिरा गांधी (बीच). फाइल

बुशहर रियासत के इस राजा ने आरंभिक स्कूली शिक्षा शिमला के विख्यात बिशप कॉटन स्कूल से की. उसके बाद दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए (आनर्स) की डिग्री हासिल की. अध्ययन के बाद वे लाल बहादुर शास्त्री की सलाह पर 1962 के लोकसभा चुनाव में खड़े हो गए. महासू सीट से उन्होंने चुनाव जीता और तीसरी लोकसभा में पहली बार सांसद बने.

virbhadra singh birthday
पूर्व सीएम रामलाल ठाकुर, हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार और वीरभद्र सिंह. फाइल

अगला चुनाव भी वीरभद्र सिंह ने महासू से ही जीता. फिर 1971 के लोकसभा चुनाव में भी वे विजयी हुए. यही नहीं, वीरभद्र सिंह सातवीं लोकसभा में भी सदस्य थे. उन्होंने 1980 का लोकसभा चुनाव जीता. अंतिम लोकसभा चुनाव उन्होंने मंडी सीट से वर्ष 2009 में जीता और केंद्रीय इस्पात मंत्री बने.

इस तरह वीरभद्र सिंह पांच बार सांसद रहे. वे पहली बार केंद्रीय कैबिनेट में वर्ष 1976 में पर्यटन व नागरिक उड्डयन मंत्री बने. फिर 1982 में उद्योग राज्यमंत्री का पदभार संभाला. वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वे केंद्रीय इस्पात मंत्री बने. बाद में उन्हें केंद्रीय सूक्ष्म, लघु व मध्यम इंटरप्राइजिज मंत्री बनाया गया.

पांच दशक से ज्यादा का राजनीतिक करियर

वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति में बेशक सक्रिय रहे, लेकिन उनका अधिकांश राजनीतिक जीवन हिमाचल की राजनीति के इर्द-गिर्द घूमता रहा है. वे अक्टूबर 1983 में पहली बार विधानसभा चुनाव की जंग में विजयी रहे. यह उपचुनाव था.

virbhadra singh
वीरभद्र सिंह. फाइल

उसके बाद वे जनरल इलेक्शन में 1985 में रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र से जीते. फिर वीरभद्र सिंह की चुनावी कर्मभूमि रोहड़ू रही. यहां से वे लगातार चुनाव जीतते रहे. कुल पांच दफा वे रोहड़ू से निर्वाचित हुए. पहली बार उन्होंने 8 अप्रैल 1983 को सीएम का पदभार संभाला.

सिंह छठी बार 25 दिसंबर 2012 को सीएम बने. वे एक विधानसभा चुनाव हार भी चुके हैं. वीरभद्र सिंह 1988 से 2003 तक हिमाचल में नेता प्रतिपक्ष रहे. वे चार दफा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर भी विराजमान रहे.

देर रात तक भी फाइलें निपटाते थे वीरभद्र

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कार्यक्षमता सभी को हैरान करती रही है. पिछले कार्यकाल में बजट सत्र में वीरभद्र सिंह ने चार घंटे तक लगातार अंग्रेजी में बजट भाषण दिया था. उस दौरान उन्होंने एक आशार के जरिए अपने राजनीतिक विरोधियों पर तंज कसा था.

virbhadra singh birthday
हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह. फाइल

वीरभद्र सिंह ने कहा था-मेरा यही अंदाज जमाने को खलता है/इतनी मुश्किलों के बाद ये आदमी सीधा कैसे चलता है. उस दौरान वीरभद्र सिंह ने ये भी कहा था कि अभी इतना लंबा भाषण देने के बाद वे विधानसभा से मालरोड तक दौड़ लगा सकते हैं.

हिमाचल की राजनीति को गहरे तक किया प्रभावित

वीरभद्र सिंह ने हिमाचल की राजनीति को गहरे तक प्रभावित किया है. वे कुशल प्रशासक माने जाते हैं. विरोधी भी उनकी प्रशासनिक कुशलता के कायल हैं. अफसरशाही भी वीरभद्र सिंह के तेवर पहचानती है. सचिवालय में सभी इस बात को जानते हैं कि वीरभद्र सिंह की नोटिंग का क्या अर्थ है.

वे आम जनता के लिए जनता दरबार लगाते हैं. वीरभद्र सिंह अध्ययन के भी शौकीन हैं. वे साहित्य में भी गहरी रुचि रखते हैं. उन्होंने प्रदेश के निर्माता और पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार के साथ लंबे समय तक काम किया है.

virbhadra singh
जनता दरबार में वीरभद्र सिंह. फाइल

हिमाचल की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले विशलेष्क डॉ. एमपीएस राणा के अनुसार वीरभद्र सिंह का पांच दशक का राजनीतिक जीवन इस बात का गवाह है कि इस शख्स ने कैसे यहां के सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन को प्रभावित किया है.

चूंकि कांग्रेस लंबे समय तक हिमाचल की सत्ता में रही है और उसमें से भी अधिकांश समय वीरभद्र सिंह सीएम रहे हैं, ऐसे में प्रदेश के विकास का काफी श्रेय उन्हें जाता है. वीरभद्र सिंह अपने बेबाक बयानों के कारण भी चर्चा में रहे हैं.

राजनीति के राजा
पीएम मोदी के साथ वीरभद्र सिंह. फाइल

आय से अधिक संपत्ति मामले में मुश्किलें

वीरभद्र सिंह आय से अधिक संपत्ति मामले में बुरी तरह से घिरे रहे हैं. उनके खिलाफ ईडी व सीबीआई की जांच सहित आयकर विभाग की जांच भी चल रही है. आरोप है कि केंद्रीय इस्पात मंत्री रहते हुए वीरभद्र सिंह के पास छह करोड़ से अधिक की रकम आय से अधिक पाई गई. यूपीए सरकार के समय इस मामले में जांच चली थी.

Last Updated : Jun 23, 2020, 12:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.