शिमलाः केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों एंवम रक्षा संस्थानों के निजीकरण, पदों की समाप्ति जैसे विषयों को लेकर बुधवार को एमईएस वर्कर यूनियन ने भारतीय मजदूर संघ और भारतीय मजदूर प्रतिरक्षा मजदूर संघ द्वारा राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आवाहन किया गया. जिसमें एमईएस वर्कर यूनियन ने संस्थान के प्रमुख के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा.
भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि आज समाज के सभी अंग कोरोना से पीड़ित हैं, लेकिन इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मजदूर और कर्मचारी वर्ग को झेलना पड़ रहा है. ठेकेदार के रहमोकरम पर मजदूरों की बड़ी संख्या जीवन यापन कर रही है.
मजदूर संघ का कहना है कि श्रम कानूनों में संशोधन या स्थगन किया जा रहा है. एमईएस वर्कर यूनियन प्रधान वीरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि सरकार मात्र उद्योगपतियों की चिंता कर रही है, मजदूरों और कर्मचारियों की नहीं.
सरकार कोरोना के कारण उत्पन्न हुई आपात स्थिति में लाभ रक्षा संस्थानों को बर्बाद करने में लगी हुई है. कोरोना महामारी से निपटने के लिए सरकार जो उपाय अपना रही है, उससे मजदूर वर्ग का भला नहीं हो सकता.
आयुध निर्माणियों का निगमीकरण, सेना के विभिन्न संस्थानों को बंद करना, एमईएस के अंतर्गत 9304 पदों को समाप्त करके रोजगार के अवसर कम करना, श्रम नियमों का संशोधन और स्थगन आज ऐसे विषय हैं, जिसका कोरोना के कारण उतपन्न हुई समस्या के हल से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन सरकार इसे संकट के समय निपटने के उपायों में गिनाकर जनता को भर्मित कर रही है. कोरोना महामारी के दौरान रक्षा मंत्रालय के सिविलियन कर्मचारियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना अपने संस्थानों को सेवाएं दी.
आयुध कारखानों के कर्मचारियों ने पीपीकिट, फेस मास्क, वेंटिलेटर, आइसोलेशन टैंट जैसी वस्तुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन सरकार ने कर्मचारियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया है. इसलिए मजबूर होकर कर्मचारियों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा.
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