शिमला: मुख्यमंत्री आवास योजना से गरीबों को लाभ मिल रहा है. विधानसभा के बजट सत्र में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बताया कि उक्त योजना में ऐसे लोगों को भी आवास के लिए मदद दी जा रही है जो गरीब होने के बावजूद आईआरडीपी या अन्य किसी श्रेणी में नहीं आते.
दरअसल, मुख्यमंत्री आवास योजना से जुड़ा सवाल वरिष्ठ भाजपा सदस्य रमेश ध्वाला का था और सुखराम चौधरी और होशियार सिंह ने भी इसी से जुड़े अनुपूरक सवाल किए. ग्रामीण विकास व पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने जवाब दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री ने बाद में मामले में हस्तक्षेप किया और बताया कि सरकार यह भी प्रयास करेगी कि योजना का लाभ पाने के लिए पटवारी की रिपोर्ट पर ही निर्भर न रहना पड़े. उन्होंने कहा कि कई बार पटवारी भी सही रिपोर्ट नहीं देते. ऐसी दशा में ब्लॉक के अधिकारी, तहसीलदार और काननूगो से भी जानकारी लेने की जरूरत है. ये सही है कि पटवारियों की रिपोर्ट पर कई मर्तबा सवाल उठते हैं. इस पर चैक जरूरी है, ताकि ये सुनिश्चित हो कि पात्र को आवास का लाभ मिले.
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रमेश ध्वाला के सवाल के जवाब में बताया कि 15 जनवरी, 2019 तक मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत 42.19 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए गए. इसमें योजना मद में 12.19 करोड़ रुपए और गैर योजना मद में 30 करोड़ रुपए करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया. इस योजना के तहत ग्राम सभा की तरफ से पात्र लाभार्थियों का चयन किया जाता है. योजना के तहत 15 जनवरी, 2019 तक 2,829 आवास स्वीकृत किए गए. लंबित मामलों की संख्या 254 है.
अनुपूरक सवाल में विधायक सुखराम चौधरी ने गरीब लोगों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए आर्थिक आधार पर सर्वे करवाने की मांग की. विधायक होशयार सिंह ने बाढ़ व बरसात से घरों को पहुंचे नुकसान और ध्वस्त हुए आवासों का मामला उठाया और कहा कि क्या ऐसे मामलों में पटवारी की रिपोर्ट को आधार बनाया जाना सही है. इसी पर सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि ऐसा मैकेनिज्म बनाया जाना जरूरी है, जिससे केवल पटवारी की ही रिपोर्ट पर निर्भर न रहना पड़े.