शिमला: जिला शिमला में लगातार चोरी के मामले बढ़ रहे हैं. चोर घरों से लाखों के गहनों पर अपना हाथ साफ कर रहे हैं. ऐसे में आप अपने गहनों को सुरक्षित करने के इन्हें बैंक लॉकर में रख सकते हैं. जी हां अब बैंक आपकों बैंक लॉकर की सुविधा भी देता है. जिसमें आप अपने गहनों और अन्य दस्तावेजों को भी सुरक्षित रख सकते हैं. ऐसा करके आप अपने कीमती आभूषणों को चोरी होने से बचा सकते हो. लेकिन बैंक लॉकर का इस्तेमाल करने से पहले कई बातों का जानना आपके लिए बेहद जरूरी है जो हम आपको इस खबर के जरिए बताएंगे.
बैंक लॉकर से जुड़ी जरूरी बातों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने शिमला स्थित यूको बैंक के जोनल मैनेजर प्रदीप आनंद केशरी से विशेष बातचीत की. मैनेजर ने बताया कि बैंक में लॉकर सुविधा पूरी तरह से सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि लॉकर की चाबी की भी अदला-बदली नहीं हो सकती है क्योंकि एक चाबी दूसरे लॉकर में नहीं लगती और लॉकर हमेशा ग्राहक और बैंक अधिकारी के निगरानी में ही खुलता है.
जोनल मैनेजर प्रदीप आनंद केशरी ने कहा कि लॉकर सुविधा पूरी तरह से सुरक्षित है और कोई भी व्यक्ति अपने गहने लॉकर में रख सकता है. उनका कहना है कि यदि बैंक में चोरी हो जाए तो ऐसे में ग्राहक जो एनुअल रेंट जमा करवाता है उसका 100 गुना मुआवजा ग्राहक को बैंक देता है यानी कि कोई ग्राहक यदि 1000 रुपए एनुअल रेंट देता है तो चोरी होने की सूरत में उसे एक लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक आपदा आने पर बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है.
क्या है आरबीआई की नई गाइडलाइन- आरबीआई की सुविधा ले रहे ग्राहकों के लिए आरबीआई ने एक नई गाइडलाइन जारी की है. नई गाइडलाइन के मुताबिक आरबीआई की सुविधा ले रहे ग्राहकों को अपना एग्रीमेंट रिन्यू करवाना होगा. जिसके लिए आरबीआई ने 6 महीने का समय दिया है. ऐसे में ग्राहकों को बैंक जाकर अपना एग्रीमेंट रिन्यू करवाना होगा.
इन सावधानियों को बरतना जरूरी- यूको बैंक के मैनेजर प्रदीप आनंद केसरी ने बताया कि ग्राहक अपने लॉकर की सुरक्षा के लिए लॉकर को लॉक करके बाहर से अपना ताला लगवा सकता है. जिससे वह सुरक्षित महसूस कर सकता है. उन्होंने कहा कि बैंक की चाबी के बाहर ग्राहक अपना ताला लगाते हैं जिससे वह सुरक्षित महसूस करते हैं और यह सुरक्षा भी ग्राहकों को दी गई है. ऐसे में चाबी की अदला-बदली होने की कोई संभावना नहीं रहती.
बैंक लॉकर खोलने के नियम- अगर आप बैंक लॉकर खोलना चाहते हैं तो यह सुविधा आप किसी भी सरकारी और निजी बैंक से ले सकते हैं. बैंक का खाता खोलने के लिए आपकी उम्र 18 साल होनी चाहिए. आप एक रेंटल एग्रीमेंट बनवाकर बैंक में लॉकर ले सकते हैं. आपको लॉकर के साइज के हिसाब से इसका किराया देना होता है. बैंक लॉकर की दो चाबियां होती हैं जिसमें से एक चाबी बैंक तो एक ग्राहक के पास रहती है. अगर ग्राहक से चाबी गुम हो जाए तो बैंक उसे अपनी वाली चाबी पेनल्टी के बाद देता है.
शिमला में बैंक लॉकर से गहने हुए थे गायब- गौरतलब है कि राजधानी शिमला के निजी बैंक लॉकर से गहने गायब होने का मामला सामने आया था. जिसके बाद शिमला पुलिस व बैंक प्रबंधन उलझ गए हैं. प्रारंभिक जांच में इस मामले में बैंक प्रबंधन की लापरवाही सामने आई है. लॉकर का रिकॉर्ड कंप्यूटर में फीड करते वक्त यह सारी गड़बड़ी हुई. जिससे लॉकर के मालिकों को गलत चाबियां दे दी गई और इसमें रखा सामान कोई और ही ले गया.
ग्राहक ने गहने किए वापस- बैंक प्रबंधन जहां इस मामले में उलझ गए हैं, वहीं पुलिस भी इस की जांच में उलझती नजर आ रही है. बैंक प्रबंधन ने जिस व्यक्ति को चाबी दी थी वह चंडीगढ़ का कारोबारी है. जो गहने ले गया था उसने वापस भी कर दिए हैं. इन गहनों की कीमत 6 लाख है, लेकिन शिकायतकर्ता का कहना है कि उसके लॉकर में जो गहने रखे थे उसकी कीमत 6 लाख नहीं बल्कि 50 लाख है.
क्या है पूरा मामला- बता दें कि यह मामला साल 2022 के अगस्त महीने का है. शिमला के कारोबारी आशुतोष सूद ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज करवाई थी. उनका आरोप था कि शिमला के कार्ट रोड स्थित निजी बैंक में वर्ष 1998 में लॉकर नंबर-77 लिया था. वर्ष 2017 में उसे बैंक अधिकारियों ने बताया था कि इसके बैंक लॉकर का नंबर 77 से बदलकर 177 कर दिया गया है. वर्ष 2017 से लेकर वह बैंक द्वारा जारी लॉकर नंबर 177 नंबर से ही अपने बैंक लॉकर का संचालन कर रहे थे.
वर्ष 2019 के बाद से बैंक लॉकर काे खोला ही नहीं गया. कोरोना काल के दौरान वह बैंक आया ही नहीं. 30 जुलाई 2022 को अपने लॉकर को चेक करने के लिए वह बैंक की ब्रांच में पहुंचे. बैंक लॉकर की चाबी इसमें लगी ही नहीं. इसके बाद बैंक में अधिकारियों से बात की. बैंक प्रबंधन ने बताया कि लॉकर नंबर 177 बैंक के कंप्यूटर सिस्टम में गुरप्रीत सिंह विरक के नाम से चढ़ा है.
मामला दर्ज होने से कुछ दिन पहले गुरप्रीत सिंह भी अपने लॉकर को खोलने आए थे. उन्होंने बैंक अधिकारियों को बताया था कि उनके बैंक लॉकर की चाबियां गुम हो गई हैं. जिस पर बैंक अधिकारियों द्वारा गुरप्रीत सिंह के सामने बैंक लॉकर को तोड़ा और लॉकर में रखा सामान गुरप्रीत को दे दिय. जबकि शिकायतकर्ता आशुतोष सूद का आरोप है कि उक्त लॉकर में रखा सामान उसका था. आशुतोष सूद ने उस लॉकर में 50 लाख के गहने रखे थे. इस मामले को लेकर अब उपभोक्ता फोरम में भी शिकायत दर्ज करवाई है.
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