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खराब सड़कों ने बढ़ाई ठियोग के बागवानों की चिंता, सरकार से लगाई गुहार

जिला शिमला के ठियोग में इन दिनों सेब बागवान परेशान हैं. एक तो मजूदर नहीं मिलने की समस्या और दूसरी ओर खराब सड़कों ने किसानों कि चिंता बढ़ा दी है. बागवानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

बागवान
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Published : Aug 26, 2019, 12:02 PM IST

शिमला: प्रदेश के किसानों की मुख्य आय का साधन सेब इस बार बागवानों के लिए अच्छी सौगात लाया है. प्रदेश में इस साल सेब की अच्छी फसल होने से बागवानों के चेहरे खिले हुए हैं. इस साल सर्दियों में अच्छी बर्फ गिरने से प्रदेश में सेब का उत्पादन पिछले कई वर्षों से अधिक हुआ है.

जिला शिमला के ठियोग में इन दिनों बागवान सेब का तुड़ान तो कर रहे हैं लेकिन फसल को मण्डियों तक पहुंचाने में बागवानों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बागवानों को बगीचे में सेब के तुड़ान के लिए मजदूरों की कमी सबसे ज्यादा आ रही है. इस साल नेपाली मूल के श्रमिकों के कम आने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

खराब सड़कों ने बढ़ाई बागवानों की चिंता

तोड़े हुए सेब को सड़क तक पहुंचाने में हफ्ते भर का समय लग रहा है. ऐसे में मजदूर बागवानों से मनमानी मेहनताना वसूल रहे हैं. एक पेटी पर ही बागवानों का खर्चा 400 से 500 रुपये तक आ रहा है और बम्पर फसल होने पर बाजार में दाम भी कम मिल रहे हैं.

एक ओर जहां बागवान मजदूरों की समस्या से झूझ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मौसम ने भी बागवानों की परेशानियों को और ज्यादा बढ़ा रखा है. पिछले दिनों हुई भारी बारिश की वजह से प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कें आज भी बंद हैं. मुख्य राजमार्ग और लिंक रोड के साथ जुड़ी सड़ंके बदहाली के आंसू बहा रही है.

बागवान

तोड़े हुए फसलों को समय पर मंडी तक पहुंचाने के लिए लोगों ने जिला शिमला के ठियोग में जनसहयोग से जो सड़कें बनाई थी, वो भी भारी बरसात के कारण अवरुद्ध हो गई है. ऐसे में बागवानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है कि उनकी साल भर की मेहनत पर पानी न फिर जाए.

शिमला: प्रदेश के किसानों की मुख्य आय का साधन सेब इस बार बागवानों के लिए अच्छी सौगात लाया है. प्रदेश में इस साल सेब की अच्छी फसल होने से बागवानों के चेहरे खिले हुए हैं. इस साल सर्दियों में अच्छी बर्फ गिरने से प्रदेश में सेब का उत्पादन पिछले कई वर्षों से अधिक हुआ है.

जिला शिमला के ठियोग में इन दिनों बागवान सेब का तुड़ान तो कर रहे हैं लेकिन फसल को मण्डियों तक पहुंचाने में बागवानों को बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. बागवानों को बगीचे में सेब के तुड़ान के लिए मजदूरों की कमी सबसे ज्यादा आ रही है. इस साल नेपाली मूल के श्रमिकों के कम आने से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

खराब सड़कों ने बढ़ाई बागवानों की चिंता

तोड़े हुए सेब को सड़क तक पहुंचाने में हफ्ते भर का समय लग रहा है. ऐसे में मजदूर बागवानों से मनमानी मेहनताना वसूल रहे हैं. एक पेटी पर ही बागवानों का खर्चा 400 से 500 रुपये तक आ रहा है और बम्पर फसल होने पर बाजार में दाम भी कम मिल रहे हैं.

एक ओर जहां बागवान मजदूरों की समस्या से झूझ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर मौसम ने भी बागवानों की परेशानियों को और ज्यादा बढ़ा रखा है. पिछले दिनों हुई भारी बारिश की वजह से प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कें आज भी बंद हैं. मुख्य राजमार्ग और लिंक रोड के साथ जुड़ी सड़ंके बदहाली के आंसू बहा रही है.

बागवान

तोड़े हुए फसलों को समय पर मंडी तक पहुंचाने के लिए लोगों ने जिला शिमला के ठियोग में जनसहयोग से जो सड़कें बनाई थी, वो भी भारी बरसात के कारण अवरुद्ध हो गई है. ऐसे में बागवानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है कि उनकी साल भर की मेहनत पर पानी न फिर जाए.

Intro:
प्रदेश में सेब का सीजन जोरो पर।मजदूरों की कमी से बागवान परेशान।सेब को मण्डियों तक पहुंचाने में छूट रहे पसीने।मजदूरों की कमी से मनमाने दाम वसूल रहे मजदूर। तो वंही भारी बरसात से अधिकतर कच्चे मार्ग अवरुद्ध बागवानों ने सरकार से सड़कों की बहाली को लगाई गुहार।Body:

प्रदेश के किसानों की मुख्य आय का साधन सेब इस बार प्रदेश में लोगों के लिए अच्छी सौगात लाया है।प्रदेश में इस साल सेब की अच्छी फसल होने से बागवानों के चेहरे खिले हुए है।अच्छी फसल का कारण सर्दियों में बेहतरीन बर्फबारी को माना जाता है।सर्दियों में चिलिंग आवर पूरे होने पर सेब की बम्पर फसल पैदा होती है।इस साल सर्दियों में अच्छी बर्फ गिरने से प्रदेश में सेब का उत्पादन पिछले कई वर्षों से अधिक हुआ है।और अब लोग सेब सीजन में दिन रात व्यस्त है।

अर्ली वैरायटी का सेब लगभग बाजार में उतर गया है और अब पुरानी वैरायटी जो प्रेदश में सबसे अधिक पाई जाती है रॉयल डिलिशयस इन दिनों बाजार में उतर आई है।इस सब के दाम बाजार में 800 से 2 हजार तक मिल रहे है।बगीचे में लोग इन दिनों सेब का तुड़ान तो कर रहे है लेकिन सेब को मण्डियों तक पहुंचाने में बागवानों को बहुत दिक़्क़त का सामना करना पड़ रहा है।बागवानों को बगीचे में सेब के तुड़ान के लिए मजदूरों की कमी सबसे ज्यादा आ रही है इस साल नेपाली के कम आने से लोगों को भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है।सेब के तुड़ान ओर तोड़े हुए सेब को सड़क तक पहुंचाने में हफ्ते भर का समय लग रहा है।जो मजदूरी करने वाले है वो बागवानों से मनमाने दाम वसूल रहे है।जिससे एक पेटी पर ही बागवानों का खर्चा 400 से 500 रुपये तक आ रहा है।और बाजार में बम्पर फसल होने पर दाम भी कम मिल रहे है।

बाईट,,, युवा बागवान

एक ओर जंहा बागवान मजदूरों की समस्या से झूझ रहे है वन्ही मौसम ने भी बागवानों की परेशानियों को ओर ज्यादा बड़ा दिया है।पिछले दिनों हुई भयँकर बरसात से अधिकतर सड़के बन्द हो गई है।मुख्य राजमार्ग ओर लिंक रोड के साथ जुड़ी सड़के बदहाली के आंसू बहा रही है।अपनी फसलो को समय पर मंडी तक पहुंचाने के लिए लोगों ने अपने जनप्रतिनिधियों ओर अपने निजी धन से जो सड़के बनाई है वो भारी बरसात होने के कारण अवरुद्ध हो गई है सड़को ओर के जगह भूस्खलन होने से इन सड़कों पर वाहन चलाने बन्द हो गए है जिनको ठीक करने के लिए लोग प्रयास तो कर रहे है लेकिन बिना सरकारी मदद के लोगो के हाथ अब खड़े हो गए है।जिससे मंडियों तक फसलों को पहुंचाने में बागवानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में बागवानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है कि उनकी साल भर की मेहनत पर पानी न फिर जाए।

बाईट,,युवा बागवान
Conclusion:

प्रदेश में सेब का सीजन इन दिनों जोरो पर है।लोग बगीचों में सेब के तुड़ान के लिए दिन रात तो एक कर रहे है लेकिन तैयाार सेब की फसल को मंडियों तक पहुंचाने में बागवानों के पसीने छूट रहे है।जिसका समाधान होता अभी लगभग नही दिख पा रहा है।

ठियोग से सुरेश शर्मा की रिपोर्ट
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