शिमला: आईजीएमसी शिमला में इंजेक्शन ना मिलने से कैंसर मरीज देवराज की बीते 3 दिसंबर को मौत हो गई. परिवार का आरोप है कि हिमकेयर योजना में बैलेंस होने के बावजूद अस्पताल में इंजेक्शन ना मिलने की वजह से देवराज की मौत हो गई. देवराज की पत्नी ने अब सरकार से अपने बच्चों को रोजगार देने की मांग की है.
इंजेक्शन न मिलने से देवराज की मौत के मामले को लेकर प्रदेश में राजनीति थमने का नाम नहीं ले रही है. सत्ता और विपक्ष इस मुद्दे पर एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा कर रहा है. वहीं, मामले में अब मृतक की पत्नी ने अपने बच्चों को सरकार से कहीं एडजस्ट करने की गुहार लगाई है.
मृतक की पत्नी गीतांजलि शर्मा ने कहा, "अब उनके परिवार में कोई भी व्यक्ति कमाने वाला नहीं है. सरकार की ओर से हिमकेयर का पैसा समय पर नहीं भेजा गया. कई बार उन्होंने आईजीएमसी शिमला में कैंसर के इलाज के लिए दी जाने वाली इंजेक्शन के बारे में पता किया, लेकिन हर कहा जा रहा था कि अभी इंजेक्शन नहीं आया है. वे अस्पताल में पिछले एक साल से अपने पति का इलाज करवा रहीं थी. ये इंजेक्शन उनको 11 नवंबर को इंजेक्शन लगना था".
गीतांजलि शर्मा ने आरोप लगाया कि इंजेक्शन समय पर न आने के कारण उनके पति का इलाज नहीं हो पाया. एक महीने लगातार वह इंजेक्शन की मांग करते रहे. आखिरकार 3 दिसंबर को उनके पति की मौत हो गई. जिसके बाद 6 दिसंबर को आईजीएमसी से उन्हें कॉल आया कि इंजेक्शन आ चुका है.
वहीं, समाजसेवी संजय शर्मा ने कहा कि इंजेक्शन ने मिलने से इन लोगों को एक महीने तक भटकना पड़ा. उन्होंने कहा कि वकील से मिलकर वो लीगल ओपिनियन लेंगे और आईजीएमसी के खिलाफ अगर कोई केस कर बनता है तो करेंगे. इस मामले को लेकर वह जल्द ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मिलेंगे और उनके संज्ञान में मामले को लाएंगे. उन्होंने सरकार से मृतक देवराज के बच्चों को कहीं एडजस्ट करने की अपील की. ताकि इस परिवार का भरण पोषण हो सके.
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