चौपाल: हिमाचल और उत्तराखंड राज्य के दुर्गम क्षेत्रों के लाखों ग्रामीणों की भाग्य रेखा कहे जाने वाले एनएच- 707 की खस्ता हालत लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है.लालढांग, पांवटा साहिब, शिलाई, मीनस, फैड़ीजपुल, हटाल, त्यूणी, रोहड़ू, रामपुर और उत्तराखंड को प्रदेश से जोड़ने वाली सड़क की हालत गंभीर बनी हुई है.
करीब ढाई साल पहले 16 करोड़ की लागत से पक्की हुई ये सड़क घटिया गुणवत्ता वाली निर्माण सामग्री के प्रयोग के लिए शुरुआत से ही चर्चा में रही थी, जिसकी वजह से सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे पड़ गए हैं. साल 2017 में हुए गुम्मा बस दुर्घटना में 45 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. हादसे के कारणों की जांच करने वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में एनएच-707 की खस्ताहालत को दुर्घटना की वजह बताया था. सड़क की खस्ता हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन सालों में 150 से ज्यादा लोग एनएच पर जान गंवा चुके हैं.
बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही होने के बाद भी सरकार और संबंधित विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जिसके कारण एनएच-707 पर सफर करने वाले लोगों को अपनी जान जोखिम में डालनी पड़ रही है. लोगों ने सरकार और संबंधित विभाग से गुहार लगाई है कि एनएच-707 की हालत को सुधारा जाए.