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World Population Day 2021: आईजीएमसी में सीएमओ ने लोगों को ऐसे किया गया जागरूक - आईजीएमसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर

आज विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) है. यूनाइटेड नेशन (united nation) ने 11 जुलाई 1989 को आम सभा में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने का फैसला लिया था. 11 जुलाई 1987 तक वर्ल्ड पॉपुलेशन का आंकड़ा 5 अरब के भी पार पहुंच चुका था. तब दुनिया भर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया था. आईजीएमसी में विश्व जनसंख्या दिवस पर सीएमओ ने लोगों को जागरूक किया. उन्होंने कहा जनसंख्या के प्रति हर व्यक्ति काे जागरूक हाेना जरूरी है क्याेंकि तभी जनसंख्या काे नियंत्रित किया जा सकेगा.

World Population Day 2021
विश्व जनसंख्या दिवस पर आईजीएमसी में कार्यक्रम.
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Published : Jul 11, 2021, 6:15 PM IST

शिमला: आज दुनिया भर में विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जा रहा है. इस माैके पर आईजीएमसी के इमरजेंसी वार्ड में मरीजाें और तीमारदाराें काे जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया गया. इस अवसर पर आईजीएमसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डाॅ. प्रवीण भाटिया ने कहा कि देश में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण है लाेगाें में जागरूकता न होना. उन्हाेंने कहा कि जनसंख्या के प्रति हर व्यक्ति काे जागरूक हाेना जरूरी है क्याेंकि तभी जनसंख्या काे नियंत्रित किया जा सकेगा.

डाॅ. प्रवीण भाटिया ने कहा कि काेराेना, टीबी जैसी कई बीमारियां हैं, जाे एक दूसरे में फैल सकती हैं. जिन क्षेत्राें में अधिक जनसंख्या है, वहां पर इन बीमारियाें के फैलने का ज्यादा डर बना रहता है. काेराेना ने पहले भी ज्यादा आबादी वाले राज्याें में कहर मचाया था. इसी तरह आबादी जिस तरह देश में बढ़ रही है ताे आगामी कुछ वर्षाें में न ताे लाेगाें के पास राेजगार बचेगा और न ही खाने के लिए अनाज. उन्हाेंने कहा कि जनसंख्या के मामले में अब केवल चीन भारत से आगे है, लेकिन कुछ ही सालाें में भारत चीन से आगे निकल जाएगा. उन्हाेंने कहा कि लाेगाें काे कानून बनने का इंतजार नहीं करना चाहिए, स्वयं भी जागरूक हाेना पड़ेगा.

आईजीएमसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (Casualty Medical Officer of IGMC) ने कहा कि पहले हम दाे हमारे दाे का नारा चलता था, लेकिन आज हम दाे हमारा एक का नारा है. उन्होंने कहा जनसंख्या कम होने के कई फायदे हैं, इससे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही बच्चों काे भी अच्छी एजुकेशन के साथ-साथ राेजगार मिलना आसान हाेगा. उन्होंने कहा अधिक जनसंख्या के कारण कोरोना काल में भी सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) बनाए रखना भी एक चुनौती है.

बता दें कि साल 1968 में वैश्विक नेताओं ने सुझाव दिया था कि जनता को स्वतंत्र रूप से और जिम्मेदारी से अपने बच्चों की संख्या और समय निर्धारित करने का एक बुनियादी मानव अधिकार होना चाहिए. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास (United Nations Development) कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा की गई थी. दरअसल 11 जुलाई, 1987 तक वैश्विक जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार हो चुका था, जिसे देखते हुए वैश्व‍िक हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाने और जारी रखने का निर्णय लिया गया.

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शिमला: आज दुनिया भर में विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) मनाया जा रहा है. इस माैके पर आईजीएमसी के इमरजेंसी वार्ड में मरीजाें और तीमारदाराें काे जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया गया. इस अवसर पर आईजीएमसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डाॅ. प्रवीण भाटिया ने कहा कि देश में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिसका मुख्य कारण है लाेगाें में जागरूकता न होना. उन्हाेंने कहा कि जनसंख्या के प्रति हर व्यक्ति काे जागरूक हाेना जरूरी है क्याेंकि तभी जनसंख्या काे नियंत्रित किया जा सकेगा.

डाॅ. प्रवीण भाटिया ने कहा कि काेराेना, टीबी जैसी कई बीमारियां हैं, जाे एक दूसरे में फैल सकती हैं. जिन क्षेत्राें में अधिक जनसंख्या है, वहां पर इन बीमारियाें के फैलने का ज्यादा डर बना रहता है. काेराेना ने पहले भी ज्यादा आबादी वाले राज्याें में कहर मचाया था. इसी तरह आबादी जिस तरह देश में बढ़ रही है ताे आगामी कुछ वर्षाें में न ताे लाेगाें के पास राेजगार बचेगा और न ही खाने के लिए अनाज. उन्हाेंने कहा कि जनसंख्या के मामले में अब केवल चीन भारत से आगे है, लेकिन कुछ ही सालाें में भारत चीन से आगे निकल जाएगा. उन्हाेंने कहा कि लाेगाें काे कानून बनने का इंतजार नहीं करना चाहिए, स्वयं भी जागरूक हाेना पड़ेगा.

आईजीएमसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर (Casualty Medical Officer of IGMC) ने कहा कि पहले हम दाे हमारे दाे का नारा चलता था, लेकिन आज हम दाे हमारा एक का नारा है. उन्होंने कहा जनसंख्या कम होने के कई फायदे हैं, इससे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी. साथ ही बच्चों काे भी अच्छी एजुकेशन के साथ-साथ राेजगार मिलना आसान हाेगा. उन्होंने कहा अधिक जनसंख्या के कारण कोरोना काल में भी सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) बनाए रखना भी एक चुनौती है.

बता दें कि साल 1968 में वैश्विक नेताओं ने सुझाव दिया था कि जनता को स्वतंत्र रूप से और जिम्मेदारी से अपने बच्चों की संख्या और समय निर्धारित करने का एक बुनियादी मानव अधिकार होना चाहिए. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास (United Nations Development) कार्यक्रम की संचालक परिषद द्वारा की गई थी. दरअसल 11 जुलाई, 1987 तक वैश्विक जनसंख्या का आंकड़ा 5 अरब के पार हो चुका था, जिसे देखते हुए वैश्व‍िक हितों को ध्यान में रखते हुए इस दिवस को मनाने और जारी रखने का निर्णय लिया गया.

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