शिमला: कोविड-19 के संकट के बीच में प्रदेश के कलाकारों को एक मंच प्रदान करने के लिए हिमाचल राज्य संग्रहालय शिमला की ओर से भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से शिमला के रिज मैदान पर एक कला एवं शिल्प मेले का आयोजन कर प्रदान किया गया है.
इस मेले में हिमाचल में हैंडीक्राफ्ट ओर वुलेन के साथ ही मिनियेचर पेंटिंग, बैम्बू आर्ट, मैटल आर्ट तैयार करने वाले कलाकारों ने अपने स्टॉल लगाए है. इन स्टालों पर अलग-अलग तरह के उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध करवाए जा रहे है जिन्हें लोग खरीद सकें और इन कलाकारों, शिल्पकारों को भी आमदनी का साधन मिल सके. आज इस प्रदर्शनी का शुभारंभ निदेशक भाषा, संस्कृति एवं कला विभाग के निदेशक की ओर से किया गया.
वहीं, इस प्रदर्शनी को देखने के लिए अमेरिकी राजदूत केनेथ आई. जस्टर भी पहुंचे. इन्होंने मेले में लगे हर एक स्टॉल को देखा और इनमें लगाये गए उत्पादों की भी जानकारी ली. इस अवसर पर भाषा,संस्कृति एवं कला विभाग के निदेशक सुनील शर्मा ने उन्हें पेंटिंग देने के साथ ही एक किताब भी भेंट की.
जस्टर ने इस प्रदर्शनी में लगाई गई चीजों की तारीफ की. इस कला एवं शिल्प मेले में हिमाचल के अलग-अलग जिलों की झलक देखने के लिए मिल रही है. कहीं कांगड़ा पेंटिंग का स्टॉल लगाया गया है तो कहीं क्ले स्टॉल जहां मिट्टी और क्ले से बने हुए बर्तन सजाए गए हैं तो कहीं बांस से बनाए गए अलग-अलग तरह के आइटम के स्टाल लगाए गए हैं.
प्रदर्शनी में मेटल आर्ट जिसमें हिमाचल की देव संस्कृति की झलक देखने के लिए मिल रही है उसे सजाया गया है. इसमें देवता के रथ के साथ ही पूजा में इस्तेमाल होने वाले वाद्य यंत्र और देवताओं की अलग-अलग फ्रेम लगाई गई है जिन्हें लोग खरीद सकते हैं.
इसके साथ ही चंबा चप्पल और चंबा रुमाल के स्टॉल भी मेले में लगाए गए है. तो वही किन्नौरी और कुल्लवी शॉल के स्टॉल भी मेले की शोभा को बढ़ा रहे हैं. इसके अलावा हैंडीक्राफ्ट से बनी हुई आइटम और पाइन नीडल से बने उत्पाद भी मेले में लगाए गए हैं.
इस अवसर पर निदेशक भाषा, संस्कृति एवं कला विभाग में कहा कि इस तरह के मेलों से कलाकारों को एक मंच प्रदान होता है कि वह अपने काम को लोगों के बीच ले कर आ सकें और उन्हें खरीदार मिल सकें. उन्होंने कहा कि सटस्टेंबले डेवलपमेंट में हमारा प्रदेश भी अग्रणी भूमिका निभा रहा हैं तो उसमें यह मेला अपनी भूमिका निभा रहा है.
उन्होंने कहा कि 7 नवंबर से 11 नवंबर तक यह मेला चलेगा. जिससे उम्मीद है कि जो भी कलाकार और शिल्पकार इस मेले में आए हैं उनका सामान यहां बिकेगा और उन्हें भी इस मेले का लाभ मिल पाएगा. जिससे कि इस मेले को लगाने का उद्देश्य पूरा हो सकें और कलाकारों की मदद हो सके.