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Universal Carton for Apple: हिमाचल में अब वजन के हिसाब से बिकेगा सेब, यूनिवर्सल कार्टन को लागू करेगी सरकार

हिमाचल में सेब अब पेटियों के हिसाब से नहीं,बल्कि वजन के हिसाब बिकेगा. इसको लेकर हिमाचल प्रदेश कृषि मार्केटिंग बोर्ड ने नोटिफिकेशन जारी कर दी है. बागवानों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. वहीं, सरकार ने यह भी कहा है कि अगर कार्टन जल्द उपलब्ध मिल गए तो इसी सीजन से ही यूनिवर्सल कार्टन व्यवस्था भी प्रदेश में लागू हो जाएगी.(Universal Carton for Apple).

हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब
हिमाचल में वजन के हिसाब से बिकेगा सेब
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Published : Apr 8, 2023, 8:35 AM IST

Updated : Apr 8, 2023, 5:12 PM IST

शिमला: हिमाचल सरकार ने बागवानों को बड़ी राहत देते हुए वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था लागू करने का बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार की ओर इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है. ऐसे में अब मंडियों में सेब की बिक्री प्रति किलो के हिसाब से की जाएगी. मंडियों में सेब की पेटियों को तोलने की व्यवस्था आढ़तियों को करनी होगी. यही नहीं बागवान भी पेटियों में यह दर्शाएंगे कि इसमें कितना सेब है. यह नई व्यवस्था इसी सीजन से हिमाचल में लागू की जा रही है. इसके साथ ही सरकार यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने की भी सीजन के लिए कोशिश कर रही है.

पेटियों के हिसाब से मिलता रहा बागवानों को दाम: हिमाचल सरकार ने सेब बागवानों की कई सालों से लंबित मांग पूरी की है. हिमाचल में सेब बागवान पहले की व्यवस्था को बदलने की मांग लगातार सरकारों से करते रहे हैं. इसकी वजहें भी है. बागवान अभी तक पेटियों में सेब भर भर कर ले जाते हैं जो कि 30 से 35 किलो तक के वजन की होती हैं, लेकिन सेब के दाम पेटियों के हिसाब से मिलते थे. सेब की एक पेटी औसतन 20 किलो की मानी जाती और बागवानों को 30 से 35 किलो वाली पेटियों के दाम भी 20 किलो के हिसाब से दिए जा रहे थे.

आढ़ती नए सिरे से करते पैकिंग: मंडियों में सेब बेचने के बाद जब बागवान अपने घर चले जाते हैं. आढ़ती इन पेटियों की नए सिरे से पैकिंग करते हैं और अतिरिक्त रूप से भरे गए 10 से 15 किलो सेब को निकालकर अलग पेटियां बनाते है. इस तरह बागवानों का शोषण होता रहा, लेकिन सरकार के मौजूदा फैसले के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा.

वजन के हिसाब से ही बेचना होगा सेब: हिमाचल प्रदेश कृषि मार्केटिंग बोर्ड की ओर से इस बारे में जो नोटिफिकेशन जारी की गई है. उसके मुताबिक अब वजन हिसाब से ही सेब बिकेगा. सभी मंडियों को यह व्यवस्था लागू करनी होगी. यही नहीं आढ़तियों को अब लाइसेंस भी इसी शर्त के आधार पर दिया जाएगा कि वे वजन के मुताबिक ही सेब बेचेंगे. आढ़तियों के लाइसेंस रिन्यूअल में भी शर्त रहेगी.आढ़तियों को वेइंग मशीन लगानी होगी.

आढ़तियों को लगाना होगी वेइंग मशीन: नई व्यवस्था के तहत सभी आढ़तियों को अपनी यहां वेइंग मशीन लगानी होगी. बागवान अपनी पेटियों पर सेब का वजन लिखेंगे और आढ़ती सैंपल आधार पर पेटियों का वजन तोलेंगे, अगर बागवान के लिखे वजन और आढ़ती के तोले गए सेब की पेटियों के वजन में कोई अंतर आता है तो मार्केटिंग कमेटियों की मशीनों में इनको तोला जाएगा, इसमें आने वाले वजन को फाइनल माना जाएगा. यही नहीं बागवान मार्केट में अधिकतम 24 किलो की ही पेटी ले जा सकेंगे. इस तरह बागवानों को ज्यादा वजन वाली सेब की पेटियां लाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा.

हिमाचल में अभी टेलीस्कोपिक कार्टन में भरा जा रहा सेब: हिमाचल में सेब के लिए अभी टेलीस्कोपिक कार्टन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन कार्टन का डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें निर्धारित 20 किलो से ज्यादा सेब भरने की गुंजाइश रहती है. यही नहीं बागवानों को इससे अधिक सेब पेटियों में भरने को मजबूर किया जाता है. अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनका सेब रिजेक्ट किया जाता या इसके कम दाम दिए जाते हैं. आम तौर पर सेब की 5 लेयर भरी जाती है, लेकिन टेलीस्कोपिक कार्टन में कुछ किस्म के ग्रेड के सेब को 7 से 8 लेयर में बागवानों को भरना पड़ रहा है, जबकि बागवानों को 1 पेटी यानी 20 किलो के हिसाब से मंडियों में रेट मिलता है.

ये है यूनिवर्सल कार्टन के फायदे: हिमाचल सरकार ने साफ किया है कि अगर कार्टन जल्दी उपलब्ध हो गए तो इसी सीजन से ही यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था को भी लागू किया जाएगा. इसकी खासियत यह है कि टेलीस्कोपिक कार्टन के विपरीत यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक पैकिंग नहीं की जा सकती. इसका डिजाइन ही इस तरह से होता है कि इसकी पैकिंग 20 किलो से ज्यादा सेब भरा नहीं जा सकता. वैसे ये कार्टन 10 किलो में भी उपलब्ध रहते हैं, इसमें भी इतनी ही मात्रा का सेब आता है. इस तरह सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करने बागवानों का शोषण रुकेगा. मंडियों में बागवान अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते. यही वजह है कि राज्य सरकार ने बागवानों के हित्त में यूनिवर्सल कार्टन लाने की बात कही है.

यूनिवसर्ल कार्टन लागू करने में यह आ सकती दिकक्त: हालांकि यूनिवसर्ल कार्टन लागू करने में एक आंशका है कि आढ़ती सेब की पेटियों के दाम कहीं घटा न दे. इससे बागवानों को नुकसान होगा ,क्योंकि भरान से लेकर इसको मंडियों तक ले जाने में बढ़ जाएगा ,क्योंकि अब पेटियों की संख्या पहले ज्यादा बढ़ जाएगी. इससे पेटियों का खर्च भी बढ़ जाएगा. ऐसे में सरकार इस पर नजर रखकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आढ़ती मनमानी न करें.

बागवानों ने सरकार के फैसले का किया स्वागत: हिमाचल में वजन के हिसाब सेब बेचने की मांग को लेकर किसान और बागवान लंबे समय से संघर्षरत है. वजन के हिसाब से सेब बेजने की व्यवस्था लागू करने के सरकार के फैसले से किसान और बागवान खुश है. हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि मंच ने अपने 20 सूत्रीय मांग पत्र में सेब सहित सभी फलों को किलो के हिसाब से बेचने की व्यवस्था करने की मांग की थी, इसे बागवानों को राहत मिली है. उन्होंने सरकार से हिमाचल प्रदेश मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 , पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट 1955 के प्रावधान लागू कर यूनिवर्सल कार्टन और माल भाड़ा प्रति किलोमीटर के हिसाब से लेने का फैसला जल्द कर इसी सीजन में लागू करने की मांग की है.

ये भी पढें: एप्पल स्टेट हिमाचल के सेब पर ग्लोबल वार्मिंग का असर, शिफ्ट हो रही सेब की बेल्ट

शिमला: हिमाचल सरकार ने बागवानों को बड़ी राहत देते हुए वजन के हिसाब से सेब बेचने की व्यवस्था लागू करने का बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार की ओर इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दी गई है. ऐसे में अब मंडियों में सेब की बिक्री प्रति किलो के हिसाब से की जाएगी. मंडियों में सेब की पेटियों को तोलने की व्यवस्था आढ़तियों को करनी होगी. यही नहीं बागवान भी पेटियों में यह दर्शाएंगे कि इसमें कितना सेब है. यह नई व्यवस्था इसी सीजन से हिमाचल में लागू की जा रही है. इसके साथ ही सरकार यूनिवर्सल कार्टन को लागू करने की भी सीजन के लिए कोशिश कर रही है.

पेटियों के हिसाब से मिलता रहा बागवानों को दाम: हिमाचल सरकार ने सेब बागवानों की कई सालों से लंबित मांग पूरी की है. हिमाचल में सेब बागवान पहले की व्यवस्था को बदलने की मांग लगातार सरकारों से करते रहे हैं. इसकी वजहें भी है. बागवान अभी तक पेटियों में सेब भर भर कर ले जाते हैं जो कि 30 से 35 किलो तक के वजन की होती हैं, लेकिन सेब के दाम पेटियों के हिसाब से मिलते थे. सेब की एक पेटी औसतन 20 किलो की मानी जाती और बागवानों को 30 से 35 किलो वाली पेटियों के दाम भी 20 किलो के हिसाब से दिए जा रहे थे.

आढ़ती नए सिरे से करते पैकिंग: मंडियों में सेब बेचने के बाद जब बागवान अपने घर चले जाते हैं. आढ़ती इन पेटियों की नए सिरे से पैकिंग करते हैं और अतिरिक्त रूप से भरे गए 10 से 15 किलो सेब को निकालकर अलग पेटियां बनाते है. इस तरह बागवानों का शोषण होता रहा, लेकिन सरकार के मौजूदा फैसले के बाद ऐसा नहीं हो पाएगा.

वजन के हिसाब से ही बेचना होगा सेब: हिमाचल प्रदेश कृषि मार्केटिंग बोर्ड की ओर से इस बारे में जो नोटिफिकेशन जारी की गई है. उसके मुताबिक अब वजन हिसाब से ही सेब बिकेगा. सभी मंडियों को यह व्यवस्था लागू करनी होगी. यही नहीं आढ़तियों को अब लाइसेंस भी इसी शर्त के आधार पर दिया जाएगा कि वे वजन के मुताबिक ही सेब बेचेंगे. आढ़तियों के लाइसेंस रिन्यूअल में भी शर्त रहेगी.आढ़तियों को वेइंग मशीन लगानी होगी.

आढ़तियों को लगाना होगी वेइंग मशीन: नई व्यवस्था के तहत सभी आढ़तियों को अपनी यहां वेइंग मशीन लगानी होगी. बागवान अपनी पेटियों पर सेब का वजन लिखेंगे और आढ़ती सैंपल आधार पर पेटियों का वजन तोलेंगे, अगर बागवान के लिखे वजन और आढ़ती के तोले गए सेब की पेटियों के वजन में कोई अंतर आता है तो मार्केटिंग कमेटियों की मशीनों में इनको तोला जाएगा, इसमें आने वाले वजन को फाइनल माना जाएगा. यही नहीं बागवान मार्केट में अधिकतम 24 किलो की ही पेटी ले जा सकेंगे. इस तरह बागवानों को ज्यादा वजन वाली सेब की पेटियां लाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकेगा.

हिमाचल में अभी टेलीस्कोपिक कार्टन में भरा जा रहा सेब: हिमाचल में सेब के लिए अभी टेलीस्कोपिक कार्टन का इस्तेमाल किया जा रहा है. इन कार्टन का डिजाइन इस तरह से होता है कि इसमें निर्धारित 20 किलो से ज्यादा सेब भरने की गुंजाइश रहती है. यही नहीं बागवानों को इससे अधिक सेब पेटियों में भरने को मजबूर किया जाता है. अगर वे ऐसा नहीं करते तो उनका सेब रिजेक्ट किया जाता या इसके कम दाम दिए जाते हैं. आम तौर पर सेब की 5 लेयर भरी जाती है, लेकिन टेलीस्कोपिक कार्टन में कुछ किस्म के ग्रेड के सेब को 7 से 8 लेयर में बागवानों को भरना पड़ रहा है, जबकि बागवानों को 1 पेटी यानी 20 किलो के हिसाब से मंडियों में रेट मिलता है.

ये है यूनिवर्सल कार्टन के फायदे: हिमाचल सरकार ने साफ किया है कि अगर कार्टन जल्दी उपलब्ध हो गए तो इसी सीजन से ही यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था को भी लागू किया जाएगा. इसकी खासियत यह है कि टेलीस्कोपिक कार्टन के विपरीत यूनिवर्सल कार्टन में 20 किलो से अधिक पैकिंग नहीं की जा सकती. इसका डिजाइन ही इस तरह से होता है कि इसकी पैकिंग 20 किलो से ज्यादा सेब भरा नहीं जा सकता. वैसे ये कार्टन 10 किलो में भी उपलब्ध रहते हैं, इसमें भी इतनी ही मात्रा का सेब आता है. इस तरह सेब के लिए यूनिवर्सल कार्टन की व्यवस्था करने बागवानों का शोषण रुकेगा. मंडियों में बागवान अपने साथ हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते. यही वजह है कि राज्य सरकार ने बागवानों के हित्त में यूनिवर्सल कार्टन लाने की बात कही है.

यूनिवसर्ल कार्टन लागू करने में यह आ सकती दिकक्त: हालांकि यूनिवसर्ल कार्टन लागू करने में एक आंशका है कि आढ़ती सेब की पेटियों के दाम कहीं घटा न दे. इससे बागवानों को नुकसान होगा ,क्योंकि भरान से लेकर इसको मंडियों तक ले जाने में बढ़ जाएगा ,क्योंकि अब पेटियों की संख्या पहले ज्यादा बढ़ जाएगी. इससे पेटियों का खर्च भी बढ़ जाएगा. ऐसे में सरकार इस पर नजर रखकर यह सुनिश्चित करना होगा कि आढ़ती मनमानी न करें.

बागवानों ने सरकार के फैसले का किया स्वागत: हिमाचल में वजन के हिसाब सेब बेचने की मांग को लेकर किसान और बागवान लंबे समय से संघर्षरत है. वजन के हिसाब से सेब बेजने की व्यवस्था लागू करने के सरकार के फैसले से किसान और बागवान खुश है. हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि मंच ने अपने 20 सूत्रीय मांग पत्र में सेब सहित सभी फलों को किलो के हिसाब से बेचने की व्यवस्था करने की मांग की थी, इसे बागवानों को राहत मिली है. उन्होंने सरकार से हिमाचल प्रदेश मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 , पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट 1955 के प्रावधान लागू कर यूनिवर्सल कार्टन और माल भाड़ा प्रति किलोमीटर के हिसाब से लेने का फैसला जल्द कर इसी सीजन में लागू करने की मांग की है.

ये भी पढें: एप्पल स्टेट हिमाचल के सेब पर ग्लोबल वार्मिंग का असर, शिफ्ट हो रही सेब की बेल्ट

Last Updated : Apr 8, 2023, 5:12 PM IST

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