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सर्वे: सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा के बच्चों को नहीं गिनती का ज्ञान, अंग्रेजी में भी स्थिति खराब - शिमला न्यूज

शिक्षा के क्षेत्र में दो बार पुरस्कार हासिल करने वाले राज्य में प्राथमिक शिक्षा का स्तर ही ऊपर नहीं उठ पाया है. इस बात का खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019 में हुआ है.

education survey report of hiamcha
एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019
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Published : Jan 18, 2020, 10:54 AM IST

शिमला: शिक्षा के क्षेत्र में दो बार पुरस्कार हासिल करने वाले राज्य में प्राथमिक शिक्षा का स्तर ही ऊपर नहीं उठ पाया है. स्कूलों में जहां बच्चों को गिनती का ज्ञान नहीं है वहीं अंग्रेजी में भी बच्चों की स्थिति अच्छी नहीं है. इस बात का खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019 में हुआ है.

यह रिपोर्ट प्राथमिक शिक्षा के लिए कार्य कर रही संस्था प्रथम की ओर से जारी की गई है. इस रिपोर्ट को एक सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है और यह सर्वे कांगड़ा के 60 गांव में 1334 बच्चों पर किया गया है. इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 4 से 8 साल के बच्चे गिनती के अंकों की पहचान ही नहीं कर पा रहे हैं.

सर्वे के आधार पर जहां बच्चों की शैक्षणिक क्षमता को जाना गया है. तो वहीं छात्रों की मेंटल हेल्थ को लेकर भी सर्वे किया गया है सर्वे के दौरान छात्रों को गिनती की कितनी समझ है और कहां तक छात्र अंको को पहचानते हैं और उसके साथ ही अंग्रेजी के शब्दों को पहचानने में कितने सक्षम है इस बात को जाना गया है.

वीडियो.

जिससे यह पता चला है कि कांगड़ा में पहली कक्षा में पढ़ने वाले 8.2 फीसदी बच्चे गिनती के 1 से 9 अंकों तक के पहचान नहीं कर पा रहे हैं. 8.5 फीसदी बच्चे एक से नौ तक के अंक पहचानते है. यहां तक कि दूसरी कक्षा के 10.5 ओर तीसरी के 11.5 फीसदी बच्चों के भी यही हाल है कि यह बच्चे भी 10 से 99 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं, अंग्रेजी में भी स्थिति यह है की पहली के 34.1 फीसदी अंग्रेजी के शब्दों को ही नहीं समझ पा रहे हैं. कक्षा दूसरी में 14.2 ओर कक्षा तीसरी में 12.5 फीसदी बच्चों की भी यही स्थिति है. हालांकि आंगनबाड़ी ओर प्री प्राइमरी स्कूलों में जाने वाले बच्चों का आंकड़ा सर्वे में बेहतर आया है.

ये भी पढ़ेंः PM के कार्यक्रम के लिए हिमाचल से सिलेक्ट हुए 10 बच्चों में एक भी सरकारी स्कूल से नहीं

गिनती ओर अंग्रेजी के ज्ञान के साथ ही छात्रों की मेंटल हेल्थ पर भी सर्वे में फोकस किया गया है कि बच्चे किस तरह से भावों की समझ रखते है जिसमें यह बात सामने आई है कि चार साल के 39.1 फीसदी, पांच साल के 40.7 ओर छह साल के 50.3. सात साल के 65.1 ओर आठ साल के 75.9 फीसदी बच्चे गुस्सा, डर, खुशी, उदासी की भावनाओं को नहीं समझ नहीं पा रहे हैं.

यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े भी सर्वे में दिए गए हैं जिसमें कक्षा एक के 28.1 फीसदी बच्चे 1 से 9 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पाते हैं। बता दें की यह संस्था समग्र शिक्षा के साथ प्रदेश में शिक्षा को लेकर कार्य कर रही है और हर साल सर्वे कर यह संस्था अपनी रिपोर्ट पेश करती है.

ये भी पढ़ेंः अद्भुत हिमाचल: जटोली में जटाधारी शंकर की छटा, द्रविड़ शैली में बना है एशिया का ये सबसे ऊंचा शिव मंदिर

शिमला: शिक्षा के क्षेत्र में दो बार पुरस्कार हासिल करने वाले राज्य में प्राथमिक शिक्षा का स्तर ही ऊपर नहीं उठ पाया है. स्कूलों में जहां बच्चों को गिनती का ज्ञान नहीं है वहीं अंग्रेजी में भी बच्चों की स्थिति अच्छी नहीं है. इस बात का खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019 में हुआ है.

यह रिपोर्ट प्राथमिक शिक्षा के लिए कार्य कर रही संस्था प्रथम की ओर से जारी की गई है. इस रिपोर्ट को एक सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है और यह सर्वे कांगड़ा के 60 गांव में 1334 बच्चों पर किया गया है. इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 4 से 8 साल के बच्चे गिनती के अंकों की पहचान ही नहीं कर पा रहे हैं.

सर्वे के आधार पर जहां बच्चों की शैक्षणिक क्षमता को जाना गया है. तो वहीं छात्रों की मेंटल हेल्थ को लेकर भी सर्वे किया गया है सर्वे के दौरान छात्रों को गिनती की कितनी समझ है और कहां तक छात्र अंको को पहचानते हैं और उसके साथ ही अंग्रेजी के शब्दों को पहचानने में कितने सक्षम है इस बात को जाना गया है.

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जिससे यह पता चला है कि कांगड़ा में पहली कक्षा में पढ़ने वाले 8.2 फीसदी बच्चे गिनती के 1 से 9 अंकों तक के पहचान नहीं कर पा रहे हैं. 8.5 फीसदी बच्चे एक से नौ तक के अंक पहचानते है. यहां तक कि दूसरी कक्षा के 10.5 ओर तीसरी के 11.5 फीसदी बच्चों के भी यही हाल है कि यह बच्चे भी 10 से 99 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पा रहे हैं.

वहीं, अंग्रेजी में भी स्थिति यह है की पहली के 34.1 फीसदी अंग्रेजी के शब्दों को ही नहीं समझ पा रहे हैं. कक्षा दूसरी में 14.2 ओर कक्षा तीसरी में 12.5 फीसदी बच्चों की भी यही स्थिति है. हालांकि आंगनबाड़ी ओर प्री प्राइमरी स्कूलों में जाने वाले बच्चों का आंकड़ा सर्वे में बेहतर आया है.

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गिनती ओर अंग्रेजी के ज्ञान के साथ ही छात्रों की मेंटल हेल्थ पर भी सर्वे में फोकस किया गया है कि बच्चे किस तरह से भावों की समझ रखते है जिसमें यह बात सामने आई है कि चार साल के 39.1 फीसदी, पांच साल के 40.7 ओर छह साल के 50.3. सात साल के 65.1 ओर आठ साल के 75.9 फीसदी बच्चे गुस्सा, डर, खुशी, उदासी की भावनाओं को नहीं समझ नहीं पा रहे हैं.

यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े भी सर्वे में दिए गए हैं जिसमें कक्षा एक के 28.1 फीसदी बच्चे 1 से 9 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पाते हैं। बता दें की यह संस्था समग्र शिक्षा के साथ प्रदेश में शिक्षा को लेकर कार्य कर रही है और हर साल सर्वे कर यह संस्था अपनी रिपोर्ट पेश करती है.

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Intro:शिक्षा के क्षेत्र में दो बार पुरस्कार हासिल करने वाले राज्य में प्राथमिक शिक्षा का स्तर ही ऊपर नहीं उठ पाया है. स्कूलों में जहां बच्चों को गिनती का ज्ञान नहीं है वहीं अंग्रेजी में भी बच्चों की स्थिति अच्छी नहीं है. इस बात का खुलासा एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2019 में हुआ है. यह रिपोर्ट प्राथमिक शिक्षा के लिए कार्य कर रही संस्था प्रथम की ओर से जारी की गई है. इस रिपोर्ट को एक सर्वे के आधार पर तैयार किया गया है और यह सर्वे कांगड़ा के 60 गांव में 1334 बच्चों पर किया गया है. इस रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 4 से 8 साल के बच्चे गिनती के अंकों की पहचान ही नहीं कर पा रहे हैं.


Body:सर्वे के आधार पर जहां बच्चों की शैक्षणिक क्षमता को जाना गया है. तो वहीं छात्रों की मेंटल हेल्थ को लेकर भी सर्वे किया गया है सर्वे के दौरान छात्रों को गिनती की कितनी समझ है और कहां तक छात्र अंको को पहचानते हैं और उसके साथ ही अंग्रेजी के शब्दों को पहचानने में कितने सक्षम है इस बात को जाना गया है. जिससे यह पता चला है कि कांगड़ा में पहली कक्षा में पढ़ने वाले 8.2 फ़ीसदी बच्चे गिनती के 1 से 9 अंकों तक के पहचान नहीं कर पा रहे हैं.18.5 फ़ीसदी बच्चे एक से नौ तक के अंक पहचानते है। यहां तक कि दूसरी कक्षा के 10.5 ओर तीसरी के 11.5 फ़ीसदी बच्चों के भी यही हाल है कि यह बच्चे भी 10 से 99 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पा रहे हैं वहीं अंग्रेजी में भी स्थिति यह है की पहली के 34.1 फीसदी अंग्रेजी के शब्दों को ही नहीं समझ पा रहे है। कक्षा दूसरी में 14.2 ओर कक्षा तीसरी में 12.5 फ़ीसदी बच्चों की भी यही स्थिति है। हालांकि आंगनबाड़ी ओर प्री प्राइमरी स्कूलों में जाने वाले बच्चों का आंकड़ा सर्वे में बेहतर आया है।


Conclusion:गिनती ओर अंग्रेजी के ज्ञान के साथ ही छात्रों की मेंटल हेल्थ पर भी सर्वे में फोकस किया गया है कि बच्चें किस तरह से भावों की समझ रखते है जिसमें यह बात सामने आई है कि चार साल के 39.1 फ़ीसदी,पांच साल के 40.7 ओर छह साल के 50.3.सात साल के 65.1 ओर आठ साल के 75.9 फ़ीसदी बच्चें गुस्सा,डर,खुशी,उदासी की भावनाओं को नहीं समझ नहीं पा रहे है। यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े भी सर्वे में दिए गए है जिसमें कक्षा एक के 28.1 फ़ीसदी बच्चें 1 से 9 तक के अंकों की पहचान नहीं कर पाते है। बता दे की यह संस्था समग्र शिक्षा के साथ प्रदेश में शिक्षा को लेकर कार्य कर रही है और हर साल सर्वे कर यह संस्था अपनी रिपोर्ट पेश करती है।
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