रामपुर: भगवान परशुराम की तपोस्थली और छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध प्रदेश का सबसे बड़ा गांव निरमंड प्राचीन धरोहरों के लिए जाना जाता हैं, लेकिन ठीक रखरखाव न होने के चलते कुछ धरोहर लुप्त हो गई और कुछ जवाबादरों की अनदेखी के कारण लुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं.
लुप्त होने वाली कुछ धरोहरें और पानी की प्राचीन प्राकृतिक बावड़ियां शामिल हैं. यह धरोहरें देखने को साधारण हो पर इनके पीछे का इतिहास काफी प्राचीन रहा है. अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति जिला अध्यक्ष एवं इतिहासकार दीपक शर्मा ने भी इनकी बदलाही को लेकर चिंता जताई है.
उन्होंने स्वयंसेवी संगठनों से आग्रह किया वह इन स्मारकों के रखरखाव और बचाने के लिए आगे आकर काम करें. इतिहासकार दीपक शर्मा ने बताया निरमंड गांव में परशुराम मंदिर के साथ प्राचीन चट्टान मौजूद है. यहां पर एक गुफा है. इस चट्टान को पवीत्र माना जाता, लेकिन आए दिन इस चट्टान की गुफा के अंदर कचरा पड़ा रहता है.
कचराघर बन गई गुफा
दीपक शर्मा के मुताबिक कुछ लोगों ने इस गुफा के अंदर कचरा, शराब की बोतलों को डालकर कचराघर बना दिया. उन्होंने इनके बचाव के लिए सामाजिक संगठनों सहित धरोहरों को बचाने के लिए काम कर रही संस्थाओं से आगे आकर इनको बचाने का आग्रह किया है.
इतिहासकार दीपक शुर्मा ने बताया जहां इस प्राचीन गुफा की पूजा-अर्चना की जाना चाहिए. वहां इसकी हालत शासन और प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार खराब होती जा रही है. यहां जानवारों का डेरा लगा रहता है. इसमे यहां के बाशिदों को भी जागरूक होना पड़ेगा. अगर नगर की पहचान की हालत खस्ता होती जाएगी और हम मौन रहेंगे तो हालत रोज बिगड़ते जाएंगे.
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