शिमला: प्रदेश उच्च न्यायालय ने पुलिस उप निरीक्षक के खिलाफ ड्यूटी के दौरान लापरवाही बरतने के आरोप को लेकर विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के आदेश जारी किए हैं. उप निरीक्षक के खिलाफ यह आरोप है कि उसकी लापरवाही के कारण मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामले का चालान देरी से दायर किया गया.
उस पर आरोप है कि उसने अपना स्थानांतरण ऊना से किनौर होने पर अभियोजन सम्बन्धी फाइलें एसएचओ ऊना को समय पर नहीं सौंपीं. फाइलें न सौंपने लेकर इस अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था.
आरोप है कि उप निरीक्षक खुद पुलिस विभाग से होने के कारण उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में कैंसिलेशन रिपोर्ट तैयार करवाने में कामयाब हो गया. न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर ने पुलिस महानिदेशक को इस मामले को व्यक्तिगत रूप से देखने के निर्देश जारी किए है.
उचित कार्रवाई करने के आदेश जारी
सब इंस्पेक्टर अंकुश डोगरा के खिलाफ गैर कानूनी ढंग से आपराधिक मामले की फाइल अपने पास रखने के लिए कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करने के आदेश जारी किए. इस अधिकारी के खिलाफ इस कृत्य के लिए उचित कार्रवाई न करने व मामले की एफआईआर की रद्दीकरण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के पीछे रही मंशा की जांच व्यक्तिगत तौर पर करने के आदेश जारी किए.
चालान पेश करने में देरी के कारण की व्याख्या करने में विफल रहे अधिकारी से भी स्पष्टीकरण प्राप्त करने के लिए भी कहा गया है. पुलिस महानिदेशक, हिमाचल प्रदेश को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे जांच अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करें, ताकि उन्हें चालान/ अंतिम रिपोर्ट में तथ्यों और परिस्थितियों की ठीक से व्याख्या करने में मदद मिल सके.
प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका की थी दाखिल
अभियोजन पक्ष के अनुसार मादक पदार्थ की तस्करी के आरोपी से 16 नवंबर 2016 को 4. 60 ग्राम हेरोइन बरामद की गई थी, जबकि इस मामले को लेकर चालान 24 मई 2018 को कोर्ट के समक्ष दाखिल किया गया था. प्रार्थी ने हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को इस कारण रद्द करने की गुहार लगाई थी कि उसके खिलाफ चालान देरी से दायर किया गया है.
इस आपराधिक मामले के लिए निर्धारित सजा के मुताबिक इस मामले में चालान 1 साल के बाद दाखिल करने के लिए सक्षम न्यायालय के समक्ष चालान को दायर करने में हुई देरी के लिए सही स्पष्टीकरण दिया जाना अति आवश्यक था. जिसे अभियोजन पक्ष दाखिल करने में विफल रहा.
मामले को रद्द करने की गुहार को नामंजूर किया
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए व उपरोक्त अधिकारी के कारण हुई देरी के स्पष्टीकरण के दृष्टिगत प्रार्थी द्वारा उसके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की गुहार को नामंजूर कर दिया. कोर्ट के आदेशों के अनुसार अनुपालना रिपोर्ट 5 जनवरी 2021 तक न्यायालय के समक्ष पेश करने के आदेश जारी किए हैं.