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राजकीय अध्यापक संघ की चुनाव प्रणाली पर उठे सवाल, प्रदेश अध्यक्ष ने दिया जवाब - चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल

9 नवंबर को शिमला में होने वाले हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के चुनावों को लेकर अध्यापक संघ के कुछ एक पदाधिकारियों ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. आरोपों के साथ-साथ शिमला से बदल कर कहीं और चुनाव करवाने की मांग भी की जा रही है.

allegation on teachers union election
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Published : Nov 5, 2019, 5:20 PM IST

शिमलाः हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के 9 नवंबर को शिमला में होने वाले चुनावों को लेकर सियासत गर्मा गई है. अध्यापक संघ के कुछ एक पदाधिकारियों ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के साथ ही चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं.

अध्यापक संघ ने कई तरह के आरोप चुनाव आयोग पर लगाने के साथ ही संघ के वर्त्तमान प्रदेशाध्यक्ष पर भी लगाए गए हैं. बता दें कि लगाए गए आरोपों का चुनाव आयोग के पदाधिकारियों और संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने वीरेंद्र चौहान निराधार बताया है.

उन्होंने कहा कि उनपर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे है उनका काम करने का तरीका अलोकतांत्रिक है. जिला प्रधानों कि शक्तियां छीनने का आरोप के साथ ही उनपर संघ के संविधान में मनमाफिक संशोधन का आरोप भी विरोधी लगा रहे है जिसका वीरेंद्र चौहान ने विरोध जताया है.

वीडियो.

वीरेंद्र चौहान ने कहा कि जिला अध्यक्षों की ओर से यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि चुनाव शिमला के बजाए कहीं और करवाए जांए, लेकिन 31 मार्च को शिमला के घनाहट्टी में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से खंड, जिला और राज्य चुनाव शिमला के भट्टाकुफर में करवाने का फैसला लिया गया है.

अध्यापक संघ के चुनावों के लिए बनाए गए चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरुण गुलेरिया ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्षता और संविधान के दायरे में रहकर ही करवाए जा रहे हैं. वहीं, जहां आयोग पर जिलावार सदस्यता को सार्वजनिक ना करने का आरोप विरोधी खेमे ने लगाया है.वह आरोप भी निराधार है और संघ के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिलों की सदस्यता को सार्वजनिक किया जाए.

शिमलाः हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के 9 नवंबर को शिमला में होने वाले चुनावों को लेकर सियासत गर्मा गई है. अध्यापक संघ के कुछ एक पदाधिकारियों ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के साथ ही चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं.

अध्यापक संघ ने कई तरह के आरोप चुनाव आयोग पर लगाने के साथ ही संघ के वर्त्तमान प्रदेशाध्यक्ष पर भी लगाए गए हैं. बता दें कि लगाए गए आरोपों का चुनाव आयोग के पदाधिकारियों और संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने वीरेंद्र चौहान निराधार बताया है.

उन्होंने कहा कि उनपर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे है उनका काम करने का तरीका अलोकतांत्रिक है. जिला प्रधानों कि शक्तियां छीनने का आरोप के साथ ही उनपर संघ के संविधान में मनमाफिक संशोधन का आरोप भी विरोधी लगा रहे है जिसका वीरेंद्र चौहान ने विरोध जताया है.

वीडियो.

वीरेंद्र चौहान ने कहा कि जिला अध्यक्षों की ओर से यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि चुनाव शिमला के बजाए कहीं और करवाए जांए, लेकिन 31 मार्च को शिमला के घनाहट्टी में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से खंड, जिला और राज्य चुनाव शिमला के भट्टाकुफर में करवाने का फैसला लिया गया है.

अध्यापक संघ के चुनावों के लिए बनाए गए चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरुण गुलेरिया ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्षता और संविधान के दायरे में रहकर ही करवाए जा रहे हैं. वहीं, जहां आयोग पर जिलावार सदस्यता को सार्वजनिक ना करने का आरोप विरोधी खेमे ने लगाया है.वह आरोप भी निराधार है और संघ के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिलों की सदस्यता को सार्वजनिक किया जाए.

Intro:हिमाचल राजकीय अध्यापक संघ के 9 नवंबर को शिमला में होने वाले चुनावों को लेकर सियासत शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को लेकर गर्मा गई है। संघ के कुछ एक पदाधिकारियों ने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाने के साथ ही चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए है। क़ई तरह के आरोप चुनाव आयोग पर लगाने के साथ ही संघ के वर्त्तमान प्रदेशाध्यक्ष पर भी लगाए गए है जिन्हें चुनाव आयोग के पदाधिकारियों ओर संघ के प्रदेशाध्यक्ष ने निराधार बताया है। संघ के चुनावों के लिए बनाए गए चुनाव आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त अरुण गुलेरिया ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग निष्पक्षता ओर संविधान के दायरे में रहकर ही करवाए जा रहे है।


Body:वहीं जहां आयोग पर जिलावार सदस्यता को सार्वजनिक ना करने आरोप विरोधी खेमे के लगाया है वह भी निराधार है और संघ के संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि जिलों की सदस्यता को सार्वजनिक किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्षों की ओर से यह भी आरोप लगाए जा रहे है चुनाव शिमला में करवाए जा रहे है ओर इस चुनाव स्थल को बदलने की भी मांग हो रही है लेकिन 31 मार्च को शिमला के घनाहट्टी में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया था कि खंड,जिला और राज्य चुनाव इनके मुख्यालयों में ही करवाए जाए। इसी के आधार पर ही राज्य चुनावों के लिए शिमला का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि 9 नवंबर को राज्य चुनाव शिमला के भट्टाकुफर में होंगे और प्रक्रिया पूरी तरह से संविधानिक तरीके से पूरी की जाएगी।


Conclusion:वहीं प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र चौहान पर भी प्रदेश महासचिव नरेश महाजन ओर दूसरे विरोधियों के उनपर लगाए गए आरोपों को सिरे से नकारा है। उन्होंने कहा कि उनपर इस तरह के आरोप लगाए जा रहे है उनका काम करने का तरीका अलोकतांत्रिक है। जिला प्रधानों कि शक्तियां छीनने का आरोप के साथ ही उनपर संघ के संविधान में मनमाफिक संशोधन का आरोप भी विरोधी लगा रहे है जिसका वीरेंद्र चौहान ने विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि 2016 में भी इसी व्यवस्था के तहत चुनाव हुई तब कोई आरोप ओर विरोध चुनावों का नहीं हुआ लेकिन अब जब शिमला में चुनाव हो रहे है तो राज्य में अपना आधार विरोधियों को खत्म होता नजर आ रहा है जिसकी वजह से यह सब आरोप उनपर लगाए जा रहे है। उन्होंने कहा कि कुछ एक पदाधिकारी अपनी राजनीतिक मंशाओं को पूरा करने के लिए यह सब कर रहे है ओर जो वास्तव में शिक्षकों के हित के लिए आवाज उठाते है उनके खिलाफ इस तरह के आरोप लगाते है लेकिन उन्हें भी जवाब 9 नवंबर को होने वाले चुनावो के दौरान मिल जाएगा।

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शिक्षकों की राजनीति के चलते शिक्षा की गुणवत्ता पर नहीं ध्यान के सवाल पर अध्यक्ष वीरेन्द्र चौहान में कहा कि उनका संगठन शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर भी काम कर रहा है। इसी को लेकर एक अधिवेशन भी करवाया गया था जिसमें सभी शिक्षाविदों ने शामिल हो कर शिक्षा में किस तरह से गुणवत्ता लाई जा सकती है इस पर चर्चा कर पूरा ड्राफ्ट सरकार को सौंपा था। उन्होंने कहा की स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं तो शुरू कर दी गई है लेकिन वहां शिक्षक वहां देना जरूरी है। इसके साथ ही स्कूलों में शिक्षकों पर नॉन टीचिंग कार्यों का अधिक बोझ है जिसे कम करनी की मांग सरकार से क़ई बार की जा चुकी है।
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