शिमलाः पिछले 37 वर्षों से न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन पर शोध कर रहे अजय शर्मा को एक और मौका मिला है. वह न्यूटन के तीसरे नियम 107वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे. 6 जनवरी को बेंगलोर में आयोजित होने वाली इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने के लिए अजय शर्मा को आमंत्रित किया गया है. अपने इस शोध को लेकर पहचान देश भर में मिल रही है.
यही वजह भी है कि उन्हें अपने शोध से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग जगहों से बुलाया जा रहा है. अजय शर्मा को अभी भी अपनी बात वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट के जरिए सिद्ध करने की जरुरत है.
अजय शर्मा ने कहा कि अपने शोध को सही और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने के लिए उन्हें लैब के साथ ही अन्य साधनों की आवश्यकता है, जिसे सरकार पूरा कर सकती है. अजय शर्मा ने ईटीवी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि उन्हें अपने प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए प्रयोगशाला दी जाए. अजय शर्मा ने अपने इस शोध पत्र की प्रस्तुति यूएस में दी थी.
अजय शर्मा ने 2266 साल पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत और 333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आईंस्टीन के पदार्थ ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ से कई फेरबदल किए हैं. अजय शर्मा की दो किताबें भी इंग्लैंड के कैम्ब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी हैं.
अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन का तीसरा नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है. इसी पर न्यूटन की परिभाषा, अनुप्रयोगों और इलास्टिक कोलियनज के आलोचनात्मक अध्ययन से नियम का संशोधन किया है. अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन के अनुसार वस्तु का आकार चाहे कैसा भी हो उसकी क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए.
इसी में संशोधन करते हुए अजय शर्मा के अनुसार प्रतिक्रिया वस्तु के आकर पर निभर्र करती हैं और इसी को मान्यता देने के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है. अजय शर्मा का दावा है कि नए प्रयोगों से न्यूटन के नियमों को बदला जा सकता है.