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न्यूटन के तीसरे लॉ को हिमाचल के अजय शर्मा ने किया चैलेंज, बेंगलोर में पढ़ेंगे शोध पत्र

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Published : Dec 30, 2019, 7:42 PM IST

Updated : Dec 30, 2019, 8:44 PM IST

37 वर्षों से न्यूटन के तीसरे नियम पर शोध कर रहे अजय शर्मा 107वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे. अजय शर्मा ने अपनी बात को प्रयोग के जरिए सिद्ध करने के लिए प्रधानमंत्री से भी आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

Ajay sharma from himachal challenged newton 3rd law
न्यूटन के तीसरे लॉ नियम को हिमाचल के अजय शर्मा ने किया चैलेंज

शिमलाः पिछले 37 वर्षों से न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन पर शोध कर रहे अजय शर्मा को एक और मौका मिला है. वह न्यूटन के तीसरे नियम 107वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे. 6 जनवरी को बेंगलोर में आयोजित होने वाली इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने के लिए अजय शर्मा को आमंत्रित किया गया है. अपने इस शोध को लेकर पहचान देश भर में मिल रही है.

यही वजह भी है कि उन्हें अपने शोध से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग जगहों से बुलाया जा रहा है. अजय शर्मा को अभी भी अपनी बात वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट के जरिए सिद्ध करने की जरुरत है.

वीडियो रिपोर्ट.

अजय शर्मा ने कहा कि अपने शोध को सही और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने के लिए उन्हें लैब के साथ ही अन्य साधनों की आवश्यकता है, जिसे सरकार पूरा कर सकती है. अजय शर्मा ने ईटीवी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि उन्हें अपने प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए प्रयोगशाला दी जाए. अजय शर्मा ने अपने इस शोध पत्र की प्रस्तुति यूएस में दी थी.

अजय शर्मा ने 2266 साल पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत और 333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आईंस्टीन के पदार्थ ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ से कई फेरबदल किए हैं. अजय शर्मा की दो किताबें भी इंग्लैंड के कैम्ब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी हैं.

अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन का तीसरा नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है. इसी पर न्यूटन की परिभाषा, अनुप्रयोगों और इलास्टिक कोलियनज के आलोचनात्मक अध्ययन से नियम का संशोधन किया है. अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन के अनुसार वस्तु का आकार चाहे कैसा भी हो उसकी क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए.

इसी में संशोधन करते हुए अजय शर्मा के अनुसार प्रतिक्रिया वस्तु के आकर पर निभर्र करती हैं और इसी को मान्यता देने के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है. अजय शर्मा का दावा है कि नए प्रयोगों से न्यूटन के नियमों को बदला जा सकता है.

शिमलाः पिछले 37 वर्षों से न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन पर शोध कर रहे अजय शर्मा को एक और मौका मिला है. वह न्यूटन के तीसरे नियम 107वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे. 6 जनवरी को बेंगलोर में आयोजित होने वाली इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने के लिए अजय शर्मा को आमंत्रित किया गया है. अपने इस शोध को लेकर पहचान देश भर में मिल रही है.

यही वजह भी है कि उन्हें अपने शोध से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग जगहों से बुलाया जा रहा है. अजय शर्मा को अभी भी अपनी बात वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट के जरिए सिद्ध करने की जरुरत है.

वीडियो रिपोर्ट.

अजय शर्मा ने कहा कि अपने शोध को सही और वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करने के लिए उन्हें लैब के साथ ही अन्य साधनों की आवश्यकता है, जिसे सरकार पूरा कर सकती है. अजय शर्मा ने ईटीवी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि उन्हें अपने प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए प्रयोगशाला दी जाए. अजय शर्मा ने अपने इस शोध पत्र की प्रस्तुति यूएस में दी थी.

अजय शर्मा ने 2266 साल पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत और 333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आईंस्टीन के पदार्थ ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ से कई फेरबदल किए हैं. अजय शर्मा की दो किताबें भी इंग्लैंड के कैम्ब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी हैं.

अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन का तीसरा नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है. इसी पर न्यूटन की परिभाषा, अनुप्रयोगों और इलास्टिक कोलियनज के आलोचनात्मक अध्ययन से नियम का संशोधन किया है. अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन के अनुसार वस्तु का आकार चाहे कैसा भी हो उसकी क्रिया और प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए.

इसी में संशोधन करते हुए अजय शर्मा के अनुसार प्रतिक्रिया वस्तु के आकर पर निभर्र करती हैं और इसी को मान्यता देने के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है, जिसके लिए उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है. अजय शर्मा का दावा है कि नए प्रयोगों से न्यूटन के नियमों को बदला जा सकता है.

Intro:पिछले 37 वर्षों से न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन पर प्रयोग कर रहे अजय शर्मा को एक ओर मौका मिला है कि वह न्यूटन के तीसरे नियम पर किए गए अपने शोध के शोध पत्र पर को 107 वीं इंडियन साइंस कांग्रेस 2020 में प्रस्तुत कर सके। 6 जनवरी को बेंगलोर में आयोजित होने वाली इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने के लिए उन्हें आमंत्रित किया गया है। अजय शर्मा को अपने इस शोध को लेकर पहचान देश भर में मिल रही है यही वजह भी है कि उन्हें अपने शोध से संबंधित शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अलग-अलग जगहों से बुलाया जा रहा है। बड़ी बात यह है कि कि अजय शर्मा के न्यूटन के तीसरे नियम पर शोध किए गए अभी तक के शोध के आधार पर क़ई वैज्ञानिक इसके सही होने की संभावनाएं जता चुके है लेकिन इसके लिए वह अजय शर्मा को अपनी बात वैज्ञानिक एक्सपेरिमेंट के जरिये सिद्ध करने की बात कह रहे है जिसके लिए अजय शर्मा को सरकार की मदद की दरकार है। अपने प्रयोगों को सही ओर वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करना है तो इसके लिए उन्हें लैब के साथ ही अन्य साधनों की आवश्यकता होगी जिसे सरकार पूरा कर सकती है।



Body:अजय शर्मा ने अपने इस शोध पत्र की प्रस्तुति यूएस में दी थी जिसपर अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीजरज के पेजीडेंट प्रो.गौरडन पी रामसे ने उन्हें प्रयोग करने को कहा था। उन्होंने कहा है कि अगर अपने प्रयोगों से न्यूटन की खामी को सिद्ध किया जाता है तो भारत नोबेल प्राइज का हक़दार होगा।
न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन हो सकता है। इसके साथ ही अक्टूबर 2019 में सीएसआईआर दिल्ली स्थित नेशनल लेबोरेट्री ने भी अजय शर्मा के शोध पत्र पर प्रयोगों के लिए पूरा प्रोजेक्ट भेजने को कहा है। देश विदेश के वैज्ञानिकों का भी यह मत है कि अजय शर्मा के प्रयोगों से न्यूटन का नियम गलत सिद्ध हो सकता है। अब अजय शर्मा ने ईटीवी के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह अपील की है कि उन्हें अपने प्रयोगों को सिद्ध करने के लिए प्रयोगशाला दी जाए जिसके बाद वह भारत को फिजिक्स में नोबेल पुरस्कार दिलवाएंगे।


Conclusion:अजय शर्मा की मांग है कि उनके इस प्रयोग को सिद्ध करने में प्रयोगों पर खर्च होने वाले 10 से 12 लाख की मदद सरकार दे जिससे कि वह अपने प्रयोगों को सिद्ध कर भारत का नाम कर सके। बता के की अजय शर्मा उप जिला शिक्षा अधिकारी शिमला के पद पर कार्यरत है। अजय शर्मा ने अमेरिका यूरोप से प्रकाशित शोध पत्रों में 2266 साल पुराने आर्किमिडीज के सिद्धांत,333 वर्ष पुराने न्यूटन के नियमों और आईंस्टीन के पदार्थ ऊर्जा समीकरण में अपनी तरफ से क़ई फेरबदल किए है। अजय शर्मा की दो किताबें भी इंग्लैंड के कैम्ब्रिज प्रकाशन से प्रकाशित हो चुकी है। अजय शर्मा के न्यूटन के सिद्धांतों को चुनौती दी है। 25 जून 2019 को इंडियन साइंस अकादमी बंगलूर के जनरल करंट साइंस के एडिटर ने भी लिखा है कि न्यूटन का तीसरा नियम निश्चित तौर पर अस्पष्ट है और इस शोध और अजय शर्मा को बधाई देनी चाहिएं।

यह है अजय शर्मा के शोध का निष्कर्ष, ऐसे दे रहे न्यूटन के तीसरे नियम को चुनौती

अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन का तीसरा नियम वस्तु के आकार की अनदेखी करता है। इसी पर न्यूटन की परिभाषा,अनुप्रयोगों ओर इलास्टिक कोलियनज के आलोचनात्मक अध्ययन से नियम का संशोधन किया है। अजय शर्मा का कहना है कि न्यूटन के अनुसार वस्तु का आकार चाहे कैसा भी हो उसकी क्रिया ओर प्रतिक्रिया बराबर होनी चाहिए। इसी में संशोधन करते हुए अजय शर्मा का कहना है प्रतिक्रिया में वस्तु के आकर पर निभर्र करती हैं ओर इसी को मान्यता देने के लिए कुछ प्रयोगों की आवश्यकता है जिसके लिए उन्हें सरकार की मदद की जरूरत है। अजय शर्मा का दावा है कि नए प्रयोगों से न्यूटन के नियमों को बदला जा सकता है।
Last Updated : Dec 30, 2019, 8:44 PM IST
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