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2020 में IGMC में पहुंचे ब्लड कैंसर से पीड़ित 28 बच्चे, बीते 10 सालों में 50 बच्चों ने जीती जंग

हिमाचल के ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए आईजीआई जाना पड़ता था, लेकिन अब अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसे दिल्ली की एक एनजीओ के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसमें 6 से 8 ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है और बीते 2020 में 28 ब्लड कैंसर पीड़ित के नई बच्चे सामने आए हैं.

blood cancer igmc shimla
ब्लड कैंसर वार्ड आइजीएमसी शिमला
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Published : Jan 28, 2021, 9:58 PM IST

शिमला: प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल और कॉलेज आईइजीएमसी के चिलड्रन वार्ड में जहां पहले सुविधाओं के कमी के कारण परिजनों को अपने बच्चो को लेकर पीजीआई जाना पड़ता था. वहीं, अब अस्प्ताल के चिलड्रन वार्ड में बीमार बच्चों को बेहतर इलाज मिल रहा है. यहां तक कि ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चे भी ठीक हो कर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

आईजीएमसी के चिल्ड्रन वार्ड में ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसमें आम तौर 6 से 8 बच्चे दाखिल रहते हैं. अब तक चिल्ड्र्न वार्ड में 50 बच्चे ऐसे आ चुके हैं, जिन्होंने ब्लड कैंसर को मात दी है और अब सामान्य जीवन जी रहे हैं. आईजीएमसी के चिल्ड्र्न वार्ड में ब्लड कैंसर वार्ड 2011 में शुरू किया गया था. तब से लेकर अब तक 150 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है.

वीडियो.

एनजीओ से मिलती है ब्लड कैंसर पीड़ितों को मदद

आईजीएमसी में चिल्ड्रन वार्ड के एचओडी डॉ. अश्वनी सूद ने बताया कि पहले ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए आईजीआई जाना पड़ता था, लेकिन अब अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसे दिल्ली की एक एनजीओ के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसमें 6 से 8 ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है और बीते 2020 में 28 ब्लड कैंसर पीड़ित के नई बच्चे सामने आए हैं.

पढ़ें: कोरोना वैक्सीनेशन के दौर में सबसे बड़ा सवाल, कैसे होता है बायो वेस्ट डिस्पोज ?

शिमला: प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल और कॉलेज आईइजीएमसी के चिलड्रन वार्ड में जहां पहले सुविधाओं के कमी के कारण परिजनों को अपने बच्चो को लेकर पीजीआई जाना पड़ता था. वहीं, अब अस्प्ताल के चिलड्रन वार्ड में बीमार बच्चों को बेहतर इलाज मिल रहा है. यहां तक कि ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चे भी ठीक हो कर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

आईजीएमसी के चिल्ड्रन वार्ड में ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसमें आम तौर 6 से 8 बच्चे दाखिल रहते हैं. अब तक चिल्ड्र्न वार्ड में 50 बच्चे ऐसे आ चुके हैं, जिन्होंने ब्लड कैंसर को मात दी है और अब सामान्य जीवन जी रहे हैं. आईजीएमसी के चिल्ड्र्न वार्ड में ब्लड कैंसर वार्ड 2011 में शुरू किया गया था. तब से लेकर अब तक 150 से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है.

वीडियो.

एनजीओ से मिलती है ब्लड कैंसर पीड़ितों को मदद

आईजीएमसी में चिल्ड्रन वार्ड के एचओडी डॉ. अश्वनी सूद ने बताया कि पहले ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए आईजीआई जाना पड़ता था, लेकिन अब अस्पताल में अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसे दिल्ली की एक एनजीओ के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसमें 6 से 8 ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जा रहा है और बीते 2020 में 28 ब्लड कैंसर पीड़ित के नई बच्चे सामने आए हैं.

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