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जब 30 छात्रों को लेकर शिमला-कालका हेरिटेज ट्रैक पर दौड़ा स्टीम इंजन, देखें वीडियो

रेलवे की ओर से मंथ लांग हेरिटेज इवेंट्स के तहत स्कूली बच्चों को विश्व धरोहर कालका-शिमला के इतिहास से रुबरू करवाने के लिए स्टीम इंजन में बच्चों को सफर करवाया गया.

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Published : Feb 16, 2019, 2:36 PM IST

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शिमला: राजधानी के स्कूली छात्रों ने शुक्रवार को धरोहर कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर ऐतिहासिक स्टीम इंजन में सफर का लुत्फ उठाया. इस दौरान में शिमला के सरकारी और निजी स्कूलों के 30 छात्रों ने स्टीम इंजन में सफर किया.

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रेलवे की ओर से मंथ लांग हेरिटेज इवेंट्स के तहत स्कूली बच्चों को विश्व धरोहर कालका-शिमला के इतिहास से रुबरू करवाने के लिए स्टीम इंजन में बच्चों को सफर करवाया गया. शुक्रवार को स्टीम इंजन को हेरिटेज ट्रैक पर शिमला से कैथलीघाट तक चलाया गया, जिसमें साथ दो स्टीम कोच लगाए गए.इस दौरान रेलवे के अधिकारियों ने स्कूली छात्रों को स्टीम इंजन की जानकारी देने के साथ कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक के बारे में भी बताया.

वहीं छात्र भी स्टीम इजनं में सफर के लिए काफी उत्साहित दिखे. छात्रों का कहना है कि अब तक उन्होंने स्टीम इंजन के बारे में सुना था, लेकिन कभी इसमें सफर करने का मौका नहीं मिला था और आज वे इस स्टीम इंजन के बारे में जानने के साथ सफर का लुफ्त भी उठा

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शिमला रेलवे स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने कहा कि मंथ लांग हेरिटेज इवेंट्स के तहत अंबाला डिवीजन ने स्टीम इंजन को ट्रैक पर चलाया है, जिसमें राजधानी के स्कूलों के 30 छात्रों को सफर करवाया जा रहा है. छात्रों को ट्रैक पर सफर का आनंद देने के साथ ही कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक के बारे में बताया जा रहा है और स्टीम इंजन के महत्व से अवगत करवाया जा रहा है.

गौर हो कि कालका-शिमला ट्रैक पर पहली बार स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था. 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा.1971 में सर्विस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया. 2001 में इस इंजन की मुरम्मत करवाई गई, जिसके बाद अब इसे ट्रैक पर चलाया जाता है. बच्चों को स्टीम इंजन का सफर करवाने के लिए स्टीम इंजन के साथ लगे कोच को आकर्षक तरीके से सजाया गया था. वैसे तो इस स्टीम इंजन को ट्रैक पर बुकिंग पर ही चलाया जाता है और एक तरफ का किराया लाखों का रहता है. यही वजह है कि इस स्टीम इंजन की बुकिंग ब्रिटिश सैलानी ही करते है, लेकिन स्कूली बच्चों के लिए इस ट्रैक की महत्ता बताने के लिए स्कूली बच्चों के लिए यह सफर फ्री में रेलवे ने करवाया.

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शिमला: राजधानी के स्कूली छात्रों ने शुक्रवार को धरोहर कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक पर ऐतिहासिक स्टीम इंजन में सफर का लुत्फ उठाया. इस दौरान में शिमला के सरकारी और निजी स्कूलों के 30 छात्रों ने स्टीम इंजन में सफर किया.

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रेलवे की ओर से मंथ लांग हेरिटेज इवेंट्स के तहत स्कूली बच्चों को विश्व धरोहर कालका-शिमला के इतिहास से रुबरू करवाने के लिए स्टीम इंजन में बच्चों को सफर करवाया गया. शुक्रवार को स्टीम इंजन को हेरिटेज ट्रैक पर शिमला से कैथलीघाट तक चलाया गया, जिसमें साथ दो स्टीम कोच लगाए गए.इस दौरान रेलवे के अधिकारियों ने स्कूली छात्रों को स्टीम इंजन की जानकारी देने के साथ कालका-शिमला हेरिटेज ट्रैक के बारे में भी बताया.

वहीं छात्र भी स्टीम इजनं में सफर के लिए काफी उत्साहित दिखे. छात्रों का कहना है कि अब तक उन्होंने स्टीम इंजन के बारे में सुना था, लेकिन कभी इसमें सफर करने का मौका नहीं मिला था और आज वे इस स्टीम इंजन के बारे में जानने के साथ सफर का लुफ्त भी उठा

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शिमला रेलवे स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने कहा कि मंथ लांग हेरिटेज इवेंट्स के तहत अंबाला डिवीजन ने स्टीम इंजन को ट्रैक पर चलाया है, जिसमें राजधानी के स्कूलों के 30 छात्रों को सफर करवाया जा रहा है. छात्रों को ट्रैक पर सफर का आनंद देने के साथ ही कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक के बारे में बताया जा रहा है और स्टीम इंजन के महत्व से अवगत करवाया जा रहा है.

गौर हो कि कालका-शिमला ट्रैक पर पहली बार स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था. 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा.1971 में सर्विस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया. 2001 में इस इंजन की मुरम्मत करवाई गई, जिसके बाद अब इसे ट्रैक पर चलाया जाता है. बच्चों को स्टीम इंजन का सफर करवाने के लिए स्टीम इंजन के साथ लगे कोच को आकर्षक तरीके से सजाया गया था. वैसे तो इस स्टीम इंजन को ट्रैक पर बुकिंग पर ही चलाया जाता है और एक तरफ का किराया लाखों का रहता है. यही वजह है कि इस स्टीम इंजन की बुकिंग ब्रिटिश सैलानी ही करते है, लेकिन स्कूली बच्चों के लिए इस ट्रैक की महत्ता बताने के लिए स्कूली बच्चों के लिए यह सफर फ्री में रेलवे ने करवाया.

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शिमला के स्कूली छात्रों ने किया ऐतिहासिक स्टीम इंजन का सफर,जाना विश्व धरोहर कालका-शिमला ट्रैक का इतिहास

शिमला: रेलवे ने विश्व धरोहर कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक पर ऐतिहासिक स्टीम इंजन में शिमला के स्कूली बच्चों ने सफर का लुत्फ उठाया। रेलवे की ओर से मंथ लांग हैरिटेज इवेंट्स के तहत स्कूली बच्चों को विश्व धरोहर कालका-शिमला के इतिहास से रु ब रु करवाने के लिए स्टीम इंजन में बच्चों को सफर करवाया गया। इस सफर में शिमला के सरकारी और निजी स्कूलों के 30 छात्रों ने स्टीम इजनं में सफर किया। 
शुक्रवार को स्टीम इंजन को हैरिटेज ट्रैक पर शिमला से कैथलीघाट तक चलाया गया, जिसमें साथ दो स्टीम कोच लगाए गए। इस दौरान रेलवे के अधिकारियों ने  स्कूली छात्रों को स्टीम इंजन की जानकारी देने के साथ कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक के बारे में भी बताया । स्टीम इजनं में सफर के लिए छात्र काफी उत्साहित दिखे। छात्रों का कहना है कि अब तक उन्होंने स्टीम इंजन के बारे में सुना था लेकिन कभी इसमे सफर करने का मौका नहीं मिला था और आज वे इस स्टीम इंजन के बारे में जानने के साथ सफर का लुफ्त भी उठाएंगे।
शिमला रेलवे स्टेशन अधीक्षक प्रिंस सेठी ने कहा कि मंथ लांग हैरिटेज इवेंट्स के तहत अंबाला डिवीजन ने स्टीम इंजन को ट्रैक पर चलाया है, जिसमे शिमला शहर के स्कूलों के 30 छात्रो को इसमें सफर करवाया जा रहा है। छात्रों को ट्रैक पर सफर का आनंद देने के साथ ही कालका-शिमला हैरिटेज ट्रैक के बारे में जहां बताया जा रहा है वहीं स्टीम इजनं के महत्व से भी अवगत करवाया जा रहा है। यह एक प्रयास है कि स्कूली छात्रों को उनकी ऐतिहासिक विरासतों के बारे में बता कर उन्हें विरासतों को सहेजने के प्रति जागरूक किया जा सके। 
बता दें कि स्टीम इंजन रेलवे की धरोहर है जो वर्षों पुरानी है। कालका-शिमला ट्रैक पर स्टीम इंजन 1906 में अंग्रेजों ने चलाया था. 1971 तक भाप इंजन ट्रैक पर दौड़ता रहा.1971 में सर्विस करने के बाद इस इंजन को ट्रैक पर चलाना बंद कर दिया गया। 2001 में इस इंजन की मुरम्मत करवाई गई, जिसके बाद अब इसे ट्रैक पर चलाया जाता है। बच्चों को स्टीम इंजन का सफर करवाने के लिए स्टीम इंजन के साथ लगे कोच को आकर्षक तरिके से सजाया गया था। वैसे तो इस स्टीम इंजन को ट्रैक पर बुकिंग पर ही चलाया जाता है और एक तरफ का किराया लाखों का रहता है यही वजह है कि इस स्टीम इंजन की बुकिंग ब्रिटिश सैलानी ही करते है लेकिन स्कूली बच्चों के लिए इस ट्रैक की महत्ता बताने के लिए स्कूली बच्चों के लिए यह सफर फ्री में रेलवे ने करवाया। 
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