शिमला: कोरोना महामारी के इस संकट में हिमाचल की जेलों में बंद कैदियों के लिए कारागार के द्वार खोले गए हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद वर्ष 2021 में अप्रैल महीने तक राज्य की जेलों से 245 कैदियों को पैरोल पर रिहाई मिली है. हालांकि हिमाचल की जेलों में बंद विदेशी कैदियों को ये राहत नहीं दी गई है.
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के इस दौर में जेलों में भीड़ कम करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने कुछ निर्देश दिए थे. उन निर्देशों की मूल भावना कैदियों को संक्रमण से बचाने की थी. देश के कई राज्यों में जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं. हालांकि हिमाचल प्रदेश में ऐसी स्थिति नहीं है, फिर भी कारागार में सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए कुछ ऐसे कैदियों को पैरोल दी गई, जिनके अपराध अधिक संगीन नहीं थे. इसके अलावा पहले से ही 71 कैदी पैरोल पर हैं.
33 कैदियों को मिली पैरोल
विभिन्न मामलों में सजा काट रहे 33 कैदियों को भी पैरोल दी गई है. पहले दौर में पैरोल पा चुके जिन कैदियों ने तय समय पर आत्मसमर्पण कर दिया था, वे भी तीन महीने यानी 90 दिन के पैरोल के हकदार होंगे. कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण और भी जानलेवा हुआ है. ऐसे में इस साल भी जेल के कैदियों की संक्रमण से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित हाईपावर कमेटी की मीटिंग हुई.
30 अप्रैल तक 245 कैदियों को मिली पैरोल
वर्चुअल मीटिंग हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि मलीमथ वर्तमान कार्यकारी अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्षता में हुई. मीटिंग में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल हुए. इस बैठक में एक बार फिर से कैदियों को अंतरिम जमानत या फिर पैरोल पर रिहा कर जेलों में भीड़ कम करने का आदेश दिया गया. वर्तमान में इस उच्चाधिकार समिति के आदेशानुसार 2021 में पहली जनवरी से 30 अप्रैल तक 245 कैदियों को पैरोल दी गई है.
वहीं, 71 कैदी पैरोल पर जेल से बाहर हैं और 33 आजीवन कारावास के दोषियों को भी समय से पहले जेलों से रिहा कर दिया गया है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव न्यायमूर्ति प्रेमपाल रांटा ने बताया कि शुक्रवार को हाई पावर कमेटी की बैठक प्रदेश हाईकोर्ट के सीनियर जज और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति रवि मलिमथ की अध्यक्षता में हुई.
पैरोल पर जाने से पहले होगा मेडिकल
बैठक में सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) मनोज कुमार, डीजीपी जेल एन.वेणुगोपाल शामिल हुए. बैठक में 245 कैदियों को पेरोल मंजूर की गई. साथ ही 33 विचाराधीन कैदियों को भी 90 दिन की पैरोल स्वीकार हुई. साथ ही पैरोल के लिए आवेदनों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का फैसला भी लिया. बैठक में कहा गया कि आत्म समपर्ण कर चुके आरोपियों अथवा जेलों में नए आए इनमेट्स को अलग से आइसोलेशन सेल में रखने या इनके लिए अस्थायी जेल बनाने के निर्देश भी दिए गए. जेलों से पैरोल पर जाने वालों का स्वास्थ्य विभाग मेडिकल भी करेगा.
यह भी निर्णय लिया गया है कि जो अपराधी पिछले वर्ष गठित समिति की सिफारिश के अनुसार पैरोल पर हैं और जिन्होंने समयानुसार आत्मसमर्पण किया था, वे भी 90 दिनों का अतिरिक्त पैरोल अथवा विशेष पैरोल पाने के हकदार होंगे.
हाईजीन मैंटेन करने के आदेश
समिति ने यह भी आदेश दिए हैं कि स्वास्थ्य विभाग के मौजूदा कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार कैदियों के साथ-साथ जेल कर्मचारी भी उचित चिकित्सा सुविधाओं और कोविड-19 सुरक्षा उपकरणों जैसे मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट के हकदार होंगे. कमेटी ने कहा है कि जेल अधीक्षक जेलों में हाईजीन मैंटेन करवाएंगे और जेल के कैदियों के बीच संक्रमण रोकने के लिए काम करेंगे. यहां बता दें कि हिमाचल प्रदेश में नाहन व कंडा जेल सेंट्रल जेल हैं और यहां कुल 15 कारागार हैं. इनकी क्षमता 2450 कैदियों की है.
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