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मानसिक दबाव के कारण 4 महीने में 151 लोग जहर खाकर पहुंचे IGMC, 28 बच्चे भी शामिल

हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में 1 जनवरी 2023 से लेकर 19 मई 2023 तक 151 जहर खा कर पहुंच चुके हैं. जिनमें 28 बच्चे भी शामिल हैं. जो कि हिमाचल में युवाओं में बढ़ रहे मानसिक दबाव के घातक परिणाम के स्वरुप में सामने आ रहे हैं.

151 people reached IGMC after consuming poison in 4 months due to Mental Stress.
सांकेतिक तस्वीर.
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Published : May 21, 2023, 12:39 PM IST

Updated : May 21, 2023, 2:15 PM IST

जानकारी देते हुए मनो चिकित्सा विशेषज्ञ व डिप्टी एमएस डॉ. प्रवीण भाटिया.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में युवा मानसिक दबाव में आ रहा है जिसके कारण आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश करने के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं. जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के आपातकाल में इस साल जनवरी से लेकर 19 मई तक 151 लोग जहर खा कर पहुंच चुके हैं. वहीं, इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इसमें 28 बच्चे भी शामिल हैं. यह खुलासा आईजीएमसी के आपातकाल विभाग द्वारा किया गया है. वहीं, जहर खाने के कई कारण हो रहे हैं, जिनमें मुख्य कारण नशा ओर डिप्रेशन है.

'4 महीने में 151 लोग जहर खा कर पहुंचे IGMC': आईजीएमसी में मनो चिकित्सा विशेषज्ञ व डिप्टी एमएस डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि लोग मानसिक दबाव के कारण आत्महत्या करने की सोच रहे हैं. डॉ. प्रवीन भाटिया ने बताया कि इस साल 1 जनवरी से 19 मई तक 151 लोग जहर खाकर अस्पताल पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि जिसमें 70 पुरूष, 53 महिलाएं, 15 नाबालिग लड़के, 13 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं. चिकित्सकों के अनुसार सबसे ज्यादा स्थिति यहां खराब होती है कि इनमें से 28 नाबालिग बच्चे हैं, जिन्होंने जहर खाया है.

जहर खाने का मुख्य कारण मानसिक दबाव: डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि जहर खा ने के कई मुख्य कारण हैं. जिसमें मानसिक दबाव, कई बार फाइनेंशियल लॉस, पढ़ाई का डर, नौकरी चले जाने का डर, नौकरी ना लगने का डर, घर के घरेलू झगड़े ये सब मुख्य कारण रहते हैं, जिसके कारण व्यक्ति मानसिक दबाव में आकर नशा करता है या जहर खाने की कोशिश करता है, जिससे वो आत्महत्या कर सके.

151 people reached IGMC after consuming poison in 4 months due to Mental Stress.
4 महीने में 151 लोग जहर खा कर पहुंचे IGMC

विड्रॉल पेन है सबसे खतरनाक: विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि विड्रॉल पेन सबसे खतरनाक है, क्योंकि इस दौरान व्यक्ति नशा तो छोड़ना चाहता है, लेकिन वह छोड़ नहीं सकता है. इस विड्रॉल पेन में व्यक्ति की आंखों से पानी आना, बदन दर्द, कमर दर्द, नसों में तनाव रहता है और व्यक्ति को खुद लगता है कि वह नशे का आदि हो चुका है और वह नशा छोड़ देना चाहता है, लेकिन नशा छोड़ नहीं पाता है. इसमें उसके शरीर को नशे की तलब लगती है, तब उसे नशा करने के बाद ही राहत मिलती है, लेकिन अगर कोई भी व्यक्ति विड्रॉल पेन में हो तो वह 72 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचकर इलाज करवाए. इसका इलाज केवल अस्पताल में ही संभव है, घर में विड्रॉल पेन का इलाज संभव नहीं है.

नशा छुड़ाने दर्जनों लोग पहुंच रहे अस्पताल: डॉ. भाटिया ने बताया कि अस्पताल में उनके पास दर्जनों परिजन आते हैं जो पकड़ कर अपने लड़के लड़कियों को लाते हैं और कहते हैं इनका नशा छुड़ाना है. यही नहीं कई पत्नियां भी आती है जो कहती हैं कि वह अपने पति से परेशान हैं, क्योंकि वह नशे के आदी हो चुके हैं और वह खुद मानसिक दबाव में जी रहे हैं. डॉ. भाटिया ने बताया कि ऐसे लोगों को अस्पताल में आकर उन्हें ठीक किया जा सकता है और वह एक खुशहाल जिंदगी शुरू कर सकते हैं. उन्हें युवाओं को संदेश दिया है कि वह मानसिक दबाव में ना रहे और अपना कार्य ईमानदारी से करते रहें.

ये भी पढ़ें: कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत, लीनियर एक्सीलेटर व सीटी सिम्युलेटर मशीनों से अब प्रदेश में ही होगा इलाज

जानकारी देते हुए मनो चिकित्सा विशेषज्ञ व डिप्टी एमएस डॉ. प्रवीण भाटिया.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में युवा मानसिक दबाव में आ रहा है जिसके कारण आत्महत्या या आत्महत्या की कोशिश करने के मामले सबसे ज्यादा सामने आ रहे हैं. जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के आपातकाल में इस साल जनवरी से लेकर 19 मई तक 151 लोग जहर खा कर पहुंच चुके हैं. वहीं, इसमें सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि इसमें 28 बच्चे भी शामिल हैं. यह खुलासा आईजीएमसी के आपातकाल विभाग द्वारा किया गया है. वहीं, जहर खाने के कई कारण हो रहे हैं, जिनमें मुख्य कारण नशा ओर डिप्रेशन है.

'4 महीने में 151 लोग जहर खा कर पहुंचे IGMC': आईजीएमसी में मनो चिकित्सा विशेषज्ञ व डिप्टी एमएस डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि लोग मानसिक दबाव के कारण आत्महत्या करने की सोच रहे हैं. डॉ. प्रवीन भाटिया ने बताया कि इस साल 1 जनवरी से 19 मई तक 151 लोग जहर खाकर अस्पताल पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि जिसमें 70 पुरूष, 53 महिलाएं, 15 नाबालिग लड़के, 13 नाबालिग लड़कियां शामिल हैं. चिकित्सकों के अनुसार सबसे ज्यादा स्थिति यहां खराब होती है कि इनमें से 28 नाबालिग बच्चे हैं, जिन्होंने जहर खाया है.

जहर खाने का मुख्य कारण मानसिक दबाव: डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि जहर खा ने के कई मुख्य कारण हैं. जिसमें मानसिक दबाव, कई बार फाइनेंशियल लॉस, पढ़ाई का डर, नौकरी चले जाने का डर, नौकरी ना लगने का डर, घर के घरेलू झगड़े ये सब मुख्य कारण रहते हैं, जिसके कारण व्यक्ति मानसिक दबाव में आकर नशा करता है या जहर खाने की कोशिश करता है, जिससे वो आत्महत्या कर सके.

151 people reached IGMC after consuming poison in 4 months due to Mental Stress.
4 महीने में 151 लोग जहर खा कर पहुंचे IGMC

विड्रॉल पेन है सबसे खतरनाक: विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि विड्रॉल पेन सबसे खतरनाक है, क्योंकि इस दौरान व्यक्ति नशा तो छोड़ना चाहता है, लेकिन वह छोड़ नहीं सकता है. इस विड्रॉल पेन में व्यक्ति की आंखों से पानी आना, बदन दर्द, कमर दर्द, नसों में तनाव रहता है और व्यक्ति को खुद लगता है कि वह नशे का आदि हो चुका है और वह नशा छोड़ देना चाहता है, लेकिन नशा छोड़ नहीं पाता है. इसमें उसके शरीर को नशे की तलब लगती है, तब उसे नशा करने के बाद ही राहत मिलती है, लेकिन अगर कोई भी व्यक्ति विड्रॉल पेन में हो तो वह 72 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचकर इलाज करवाए. इसका इलाज केवल अस्पताल में ही संभव है, घर में विड्रॉल पेन का इलाज संभव नहीं है.

नशा छुड़ाने दर्जनों लोग पहुंच रहे अस्पताल: डॉ. भाटिया ने बताया कि अस्पताल में उनके पास दर्जनों परिजन आते हैं जो पकड़ कर अपने लड़के लड़कियों को लाते हैं और कहते हैं इनका नशा छुड़ाना है. यही नहीं कई पत्नियां भी आती है जो कहती हैं कि वह अपने पति से परेशान हैं, क्योंकि वह नशे के आदी हो चुके हैं और वह खुद मानसिक दबाव में जी रहे हैं. डॉ. भाटिया ने बताया कि ऐसे लोगों को अस्पताल में आकर उन्हें ठीक किया जा सकता है और वह एक खुशहाल जिंदगी शुरू कर सकते हैं. उन्हें युवाओं को संदेश दिया है कि वह मानसिक दबाव में ना रहे और अपना कार्य ईमानदारी से करते रहें.

ये भी पढ़ें: कैंसर के मरीजों को बड़ी राहत, लीनियर एक्सीलेटर व सीटी सिम्युलेटर मशीनों से अब प्रदेश में ही होगा इलाज

Last Updated : May 21, 2023, 2:15 PM IST
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