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डॉ. परमार की 114वीं जयंती पर पीटरहॉफ में कार्यक्रम, CM सहित विपक्ष ने दी श्रद्धांजलि

शिमला के पीटरहॉफ हॉल में हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की 114वीं जयंती पर सीएम जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में समारोह आयोजित किया गया और उन्हें श्रद्धांजलि देकर याद किया गया. इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री मुख्य रुप से मौजूद रहे.

cm jairam thakur
शिमला
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Published : Aug 4, 2020, 8:10 PM IST

शिमला: पूरे प्रदेश में आज हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को उनकी 114वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें याद किया.

इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह,स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर मुख्य रुप से मौजूद रहे. साथ ही सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार डॉ. परमार के सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत है.

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सीएम ने कहा कि डाॅ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस पहाड़ी राज्य की अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए राज्य का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि डॉ. वाईएस परमार ने प्रदेश की मजबूत नींव रखते हुए ये सुनिश्चित किया कि हिमाचल प्रदेश देश अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक आदर्श राज्य बनकर उभरे. साथ ही उनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18वां राज्य बना और तब से प्रदेश विकास और समृद्धि के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल प्रदेश के साथ विलय करने का अनुरोध किया जिनकी संस्कृति और जीवन शैली एक समान थी. उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में तीव्र गति से विकास हुआ है.

उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार एक बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी सादगी से राज्य के लाखों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. साथ ही कहा कि हिमाचल प्रदेश उनके द्वारा कहे गए वाक्यों को पूरा करते हुए अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार जानते थे कि सड़कें इस पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखा हैं, इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर विशेष बल दिया. साथ ही वो किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के पक्ष में थे और उनकी प्रेरणा से ही लोगों ने सेब की खेती शुरू की, जो आज 5 हजार करोड़ रूपये की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल निर्माता एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने ऐसे राज्य की कल्पना की जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्धि का अवसर मिल सके. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर डाॅ. परमार का सम्मान सभी क्षेत्रों के लोगों ने किया है. पहले ये दिन विधानसभा के एक छोटे से पुस्तकालय सभागार में मनाया जाता रहा, लेकिन पिछले साल ये निर्णय लिया गया कि इस अवसर को धूमधाम से मनाया जाएगा.

विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आज आदर्श राज्य के रूप में उभरा है और डाॅ. परमार द्वारा निर्धारित मजबूत आधार के कारण प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ रहा है.

डाॅ. परमार ने केंद्र सरकार को एहसास दिलाया कि पहाड़ी राज्य की विकासात्मक जरूरतें देश के अन्य राज्यों से अलग हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए सड़कों के निर्माण, बिजली उत्पादन व बागवानी सहित कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया है.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की यात्रा वास्तव में डाॅ. परमार की कठिन परिश्रम की यात्रा हैं, क्योंकि उन्होंने इस पहाड़ी राज्य को अलग पहचान देने के लिए सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर संघर्ष के पथ को चुना था.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में 25 जनवरी 1971 का दिन एक स्वर्णिम दिवस है, क्योंकि डाॅ. परमार के कठिन परिश्रम से हिमाचल प्रदेश को राज्यत्व की अलग पहचान प्राप्त हुई थी. साथ ही कहा कि भूमि सुधार अधिनियम में भी डाॅ. परमार का बहुत योगदान है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डाॅ. परमार एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने पहाड़ी राज्य के विकास के लिए अनगिनत प्रगतिशील योजनाएं बनाईं थी. राज्य की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत डाॅ. परमार ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष बल दिया है.

उन्होंने कहा कि उन्हीं के ही कुशल नेतृत्व के कारण हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त हुआ है, क्योंकि पंजाब के ज्यादातर नेता हिमाचल प्रदेश को पंजाब में शामिल करने के पक्ष में थे.

पीटरहॉफ हॉल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज, विधायक डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, इन्द्र सिंह गांधी, विनय कुमार,आशीष बुटेल, मुल्ख राज प्रेमी, बलवीर सिंह, अरूण कुमार, रीना कश्यप व विशाल नेहरिया, नगर निगम शिमला की महापौर सत्या कौंडल, मुख्य सचिव अनिल खाची, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जे.सी. शर्मा, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव देवेश कुमार, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन मौजूद रहे.

ये भी पढ़ें: खैर के पेड़ काटने के आरोप में हरियाणा के 3 आरोपी गिरफ्तार, पूछताछ में जुटी पुलिस

शिमला: पूरे प्रदेश में आज हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को उनकी 114वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें याद किया.

इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह,स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर मुख्य रुप से मौजूद रहे. साथ ही सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार डॉ. परमार के सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत है.

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सीएम ने कहा कि डाॅ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस पहाड़ी राज्य की अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए राज्य का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि डॉ. वाईएस परमार ने प्रदेश की मजबूत नींव रखते हुए ये सुनिश्चित किया कि हिमाचल प्रदेश देश अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक आदर्श राज्य बनकर उभरे. साथ ही उनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18वां राज्य बना और तब से प्रदेश विकास और समृद्धि के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल प्रदेश के साथ विलय करने का अनुरोध किया जिनकी संस्कृति और जीवन शैली एक समान थी. उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में तीव्र गति से विकास हुआ है.

उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार एक बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी सादगी से राज्य के लाखों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. साथ ही कहा कि हिमाचल प्रदेश उनके द्वारा कहे गए वाक्यों को पूरा करते हुए अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार जानते थे कि सड़कें इस पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखा हैं, इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर विशेष बल दिया. साथ ही वो किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के पक्ष में थे और उनकी प्रेरणा से ही लोगों ने सेब की खेती शुरू की, जो आज 5 हजार करोड़ रूपये की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है.

उन्होंने कहा कि हिमाचल निर्माता एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने ऐसे राज्य की कल्पना की जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्धि का अवसर मिल सके. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर डाॅ. परमार का सम्मान सभी क्षेत्रों के लोगों ने किया है. पहले ये दिन विधानसभा के एक छोटे से पुस्तकालय सभागार में मनाया जाता रहा, लेकिन पिछले साल ये निर्णय लिया गया कि इस अवसर को धूमधाम से मनाया जाएगा.

विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश आज आदर्श राज्य के रूप में उभरा है और डाॅ. परमार द्वारा निर्धारित मजबूत आधार के कारण प्रगति और समृद्धि के मार्ग पर लगातार आगे बढ़ रहा है.

डाॅ. परमार ने केंद्र सरकार को एहसास दिलाया कि पहाड़ी राज्य की विकासात्मक जरूरतें देश के अन्य राज्यों से अलग हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए सड़कों के निर्माण, बिजली उत्पादन व बागवानी सहित कृषि क्षेत्रों को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया है.

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की यात्रा वास्तव में डाॅ. परमार की कठिन परिश्रम की यात्रा हैं, क्योंकि उन्होंने इस पहाड़ी राज्य को अलग पहचान देने के लिए सभी सुख-सुविधाओं को त्याग कर संघर्ष के पथ को चुना था.

उन्होंने कहा कि प्रदेश के इतिहास में 25 जनवरी 1971 का दिन एक स्वर्णिम दिवस है, क्योंकि डाॅ. परमार के कठिन परिश्रम से हिमाचल प्रदेश को राज्यत्व की अलग पहचान प्राप्त हुई थी. साथ ही कहा कि भूमि सुधार अधिनियम में भी डाॅ. परमार का बहुत योगदान है.

शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि डाॅ. परमार एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने पहाड़ी राज्य के विकास के लिए अनगिनत प्रगतिशील योजनाएं बनाईं थी. राज्य की विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के दृष्टिगत डाॅ. परमार ने समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष बल दिया है.

उन्होंने कहा कि उन्हीं के ही कुशल नेतृत्व के कारण हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व का दर्जा प्राप्त हुआ है, क्योंकि पंजाब के ज्यादातर नेता हिमाचल प्रदेश को पंजाब में शामिल करने के पक्ष में थे.

पीटरहॉफ हॉल में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में विधानसभा उपाध्यक्ष हंस राज, विधायक डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, इन्द्र सिंह गांधी, विनय कुमार,आशीष बुटेल, मुल्ख राज प्रेमी, बलवीर सिंह, अरूण कुमार, रीना कश्यप व विशाल नेहरिया, नगर निगम शिमला की महापौर सत्या कौंडल, मुख्य सचिव अनिल खाची, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जे.सी. शर्मा, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव देवेश कुमार, उपायुक्त शिमला अमित कश्यप, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन मौजूद रहे.

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