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इन्वेस्टर्स मीट इवेंट पर खर्च हुए 12.53 करोड़ रुपये, कुल खर्च का ब्यौरा आना बाकी - सरकार पर आरोप

हिमाचल प्रदेश सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर 12.53 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है. वहीं, निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा उद्योग विभाग को निवेश प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली धनराशि उपलब्ध कराई गई है.

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इन्वेस्टर्स मीट इवेंट पर खर्च हुए 12.53 करोड़ रुपये. कुल खर्च का ब्यौरा आना बाकी
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Published : Dec 16, 2019, 2:14 PM IST

शिमला: जयराम सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर 12.53 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है, इसके अलावा विदेशों में आयोजित रोड शो, विभिन्न जगहों पर आयोजित मिनी कॉन्क्लेव और हिमाचल में उद्यमियों को निवेश के लिए सुविधाओं का खर्च अलग से है. वहीं, इन्वेस्टर्स मीट पर हुआ कुल खर्च का ब्यौरा आना अभी बाकी है.

विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने इन्वेस्टर्स मीट को बड़ा घोटाला करार देते हुए सरकार पर आरोप लगाया था कि प्रदेश सरकार ने उधार के पैसे लुटाकर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था कि यह इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला प्रदेश में हुआ है. समझौता ज्ञापन केवल निवेश की इच्छा के आधार पर साइन किए गए हैं.अग्निहोत्री ने कहा कि इनमें ना तो कोई कानूनी बाधा है और ना ही कोई समय सीमा निश्चित की गई है.

वीडियो.

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने विधानसभा में लिखित जवाब में विधानसभा को सूचित किया था कि इन्वेस्टर्स मीट में हुए कुल खर्च के अंतिम आंकड़े अभी आना बाकी है. इसके अलावा बिलों की जांच भी जारी है. जबकि कुछ अन्य बिल प्रस्तुत किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर्स मीट के दौरान हिमाचल में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योग को आकर्षित करने के लिए इन 703 एमओयू पर फरवरी और नवंबर 2019 के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं.

सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, विद्युत क्षेत्र में सबसे अधिक 34,112 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं, दूसरे नंबर पर उद्योग विभाग में 17,063 करोड़ रुपये के एमओयू हुए, पर्यटन क्षेत्र में 16,559 रुपये. हाउसिंग के क्षेत्र में 12,054 करोड़ रुपये, शहरी विकास में 6,027 करोड़ रुपये और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 2,833 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए गए हैं.

वहीं, निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा उद्योग विभाग को निवेश प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली धनराशि उपलब्ध कराई गई है.

ये भी पढ़ें: सांसद आनंद शर्मा ने नागरिकता संशोधन बिल पर केंद्र पर साधा निशाना, बोले- सरकार ने खड़ा किया विवाद

शिमला: जयराम सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर 12.53 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है, इसके अलावा विदेशों में आयोजित रोड शो, विभिन्न जगहों पर आयोजित मिनी कॉन्क्लेव और हिमाचल में उद्यमियों को निवेश के लिए सुविधाओं का खर्च अलग से है. वहीं, इन्वेस्टर्स मीट पर हुआ कुल खर्च का ब्यौरा आना अभी बाकी है.

विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने इन्वेस्टर्स मीट को बड़ा घोटाला करार देते हुए सरकार पर आरोप लगाया था कि प्रदेश सरकार ने उधार के पैसे लुटाकर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था कि यह इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला प्रदेश में हुआ है. समझौता ज्ञापन केवल निवेश की इच्छा के आधार पर साइन किए गए हैं.अग्निहोत्री ने कहा कि इनमें ना तो कोई कानूनी बाधा है और ना ही कोई समय सीमा निश्चित की गई है.

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विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने विधानसभा में लिखित जवाब में विधानसभा को सूचित किया था कि इन्वेस्टर्स मीट में हुए कुल खर्च के अंतिम आंकड़े अभी आना बाकी है. इसके अलावा बिलों की जांच भी जारी है. जबकि कुछ अन्य बिल प्रस्तुत किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर्स मीट के दौरान हिमाचल में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योग को आकर्षित करने के लिए इन 703 एमओयू पर फरवरी और नवंबर 2019 के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं.

सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, विद्युत क्षेत्र में सबसे अधिक 34,112 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं, दूसरे नंबर पर उद्योग विभाग में 17,063 करोड़ रुपये के एमओयू हुए, पर्यटन क्षेत्र में 16,559 रुपये. हाउसिंग के क्षेत्र में 12,054 करोड़ रुपये, शहरी विकास में 6,027 करोड़ रुपये और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 2,833 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए गए हैं.

वहीं, निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा उद्योग विभाग को निवेश प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली धनराशि उपलब्ध कराई गई है.

ये भी पढ़ें: सांसद आनंद शर्मा ने नागरिकता संशोधन बिल पर केंद्र पर साधा निशाना, बोले- सरकार ने खड़ा किया विवाद

Intro:शिमला. जयराम सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर 12.53 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है, इसके अलावा विदेशों में आयोजित रोड शो, विभिन्न जगहों पर आयोजित मिनी कॉन्क्लेव और हिमाचल में उद्यमियों को निवेश के लिए सुविधाओं का खर्च अलग से है इन्वेस्टर्स मीट पर हुआ कुल खर्च का ब्यौरा आना अभी बाकी है.

विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने इन्वेस्टर्स मीट को बड़ा घोटाला करार देते हुआ सरकार पर आरोप लगाए थे प्रदेश सरकार ने उधार के पैसे लुटाकर प्रदेश की जानता के साथ घोखा किया है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था कि यह इन्वेस्र्टर्स मीट के नाम पर बहुता बडा घोटाला प्रदेश में हुआ है. ये समझौता ज्ञापन केवल निवेश के इच्छा के आधार पर साइन किए गए हैं इनमें ना तो कोई कानूनी बाध्यता है और ना ही कोई समय सीमा निश्चित की गई है. इसके अलावा सबसे इन समझौता ज्ञापनों को लागू करने में सबसे बड़ी कठिनाई केंद्र और विशेष रूप से केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से कुछ सहित कई अनुमतियों को लेने की रहेगी क्योकि ये सभी एमओयू केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय नियमों के अधीन ही लागू हो सकेंगे ।
Body:विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने विधानसभा में लिखित जवाब में विधानसभा को सूचित किया था कि इन्वेस्टर्स मीट में हुए कुल खर्च के अंतिम आंकड़े अभी आना बाकी है इसके अलावा बिलों की जांच भी जारी है. जबकि कुछ अन्य बिल प्रस्तुत किए जा चुके हैं. उन्होने कहा कि इन्वेस्टर्स मीट के दौरान हिमाचल में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योग को आकर्षित करने के लिए इन 703 एमओयू पर फरवरी और नवंबर 2019 के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं।
Conclusion:सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, विद्युत क्षेत्र में सबसे अधिक 34,112 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं, दूसरे नंबर पर उद्योग विभाग में 17,063 करोड़ रुपये के एमओयू हुए, पर्यटन क्षेत्र में 16,559 रुपये. हाउसिंग के क्षेत्र में 12,054 करोड़ रुपये, शहरी विकास में 6,027 करोड़ रुपये और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 2,833 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किए गए हैं. निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा उद्योग विभाग को निवेश प्रोत्साहन योजना के तहत मिलने वाली धनराशि उपलब्ध कराई गई है।
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