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हिमाचल में आरक्षण से आगे निकली नारीशक्ति, बढ़चढ़ उठा रही जनता के मुद्दे

हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है.

panchayti raj
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Published : Aug 6, 2019, 11:01 PM IST

करसोगः हिमाचल में घर की चारदिवारी की चौखट से बाहर निकल नारीशक्ति राजकाज चलाने में अब पुरुषों से आगे निकल गई है. घर के कार्यों का बीड़ा उठाने के साथ-साथ महिलाओं ने राजनीति के मोर्चे में भी सफलता का झंडा गाड़ा है. वर्तमान में प्रदेश की पंचायतीराज संस्था में महिलाओं के कब्जे को देखते हुए तो ये बात साफ हो गई है.

हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. ऐसे में न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि जिला परिषद में भी दबदबे से निचले स्तर पर महिलाओं को खूब मान सम्मान मिला है.

प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है. हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया है. ऐसे में लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था की दहलीज पार करने के लिए नारीशक्ति को संघर्ष का लंबा सफर तय करना अभी बाकी है.

ये है पंचायतीराज संस्था में महिलाओं की स्थिति:

ये भी पढे़ें- शतकवीर मतदाता 110 वर्षीय शाड़ी देवी का सपना रह गया अधूरा, सरकार को लोकगीत के माध्यम से की थी अपील

हिमाचल की पंचायतों में प्रधानों की संख्या 3,226 है. इसमें 1631 पदों पर महिलाओं का वर्चस्व है. ये कुल संख्या का 50.50 फीसदी है. इसी तरह से प्रदेश में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 20,348 है. इसमें 11,778 पद महिलाओं के कब्जे में है. यह कुल वार्ड सदस्यों की संख्या का 57.88 फीसदी है. पंचायत समिति सदस्यों की संख्या भी 1673 है. इसमें 862 फीसदी पर महिलाओं का राज है. जो कुल संख्या का 51.52 फीसदी है. इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों की संख्या 250 है, इसमें 127 पदों पर महिलाएं बिराजमान है. ये संख्या भी पुरुष सदस्यों की संख्या की तुलना में 50.80 फ़ीसदी है.

प्रदेश की आधी आवादी को 2008 में दिया गया 50 फीसदी आरक्षण:

पंचायतीराज संस्था में वर्ष 2008 में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था. इसके पीछे प्रदेश की आधी आवादी को पुरुषों की तुलना में बराबर का अधिकार देना था. यही नही नारी सशक्तिकरण के लिहाज से भी सरकार का महत्वपूर्ण कदम था. लोकतंत्र की छोटी संसद में प्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद में ही महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है. प्रदेश की 3226 पंचायतों में उपप्रधान पद के लिए महिलाओं को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है. इसलिए प्रदेश की इन सभी पंचायतों में उप प्रधान पदों पर पुरुषों का कब्जा है.

ये भी पढे़ें- हिमाचल की इस मुस्लिम महिला ने मांगा न्याय, ट्रिपल तलाक का मामला!

आरक्षण से ज्यादा सीटों पर महिलाएं जीती है: अतिरिक्त निदेशक

पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त निदेशक केवल शर्मा का कहना है कि वर्तमान में पंचायतीराज संस्था में 56.46 फीसदी सीटे महिलाओं के पास है. उनका कहना है प्रदेश में पंचायतीराज संस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है. जिसमे उप प्रधान का पद शामिल नहीँ है.

ये भी पढे़ें- सरपारा में पर्यटन की अपार संभावनाएं, लोगों ने की विकसित करने की मांग

करसोगः हिमाचल में घर की चारदिवारी की चौखट से बाहर निकल नारीशक्ति राजकाज चलाने में अब पुरुषों से आगे निकल गई है. घर के कार्यों का बीड़ा उठाने के साथ-साथ महिलाओं ने राजनीति के मोर्चे में भी सफलता का झंडा गाड़ा है. वर्तमान में प्रदेश की पंचायतीराज संस्था में महिलाओं के कब्जे को देखते हुए तो ये बात साफ हो गई है.

हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. ऐसे में न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि जिला परिषद में भी दबदबे से निचले स्तर पर महिलाओं को खूब मान सम्मान मिला है.

प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है. हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया है. ऐसे में लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था की दहलीज पार करने के लिए नारीशक्ति को संघर्ष का लंबा सफर तय करना अभी बाकी है.

ये है पंचायतीराज संस्था में महिलाओं की स्थिति:

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हिमाचल की पंचायतों में प्रधानों की संख्या 3,226 है. इसमें 1631 पदों पर महिलाओं का वर्चस्व है. ये कुल संख्या का 50.50 फीसदी है. इसी तरह से प्रदेश में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 20,348 है. इसमें 11,778 पद महिलाओं के कब्जे में है. यह कुल वार्ड सदस्यों की संख्या का 57.88 फीसदी है. पंचायत समिति सदस्यों की संख्या भी 1673 है. इसमें 862 फीसदी पर महिलाओं का राज है. जो कुल संख्या का 51.52 फीसदी है. इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों की संख्या 250 है, इसमें 127 पदों पर महिलाएं बिराजमान है. ये संख्या भी पुरुष सदस्यों की संख्या की तुलना में 50.80 फ़ीसदी है.

प्रदेश की आधी आवादी को 2008 में दिया गया 50 फीसदी आरक्षण:

पंचायतीराज संस्था में वर्ष 2008 में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था. इसके पीछे प्रदेश की आधी आवादी को पुरुषों की तुलना में बराबर का अधिकार देना था. यही नही नारी सशक्तिकरण के लिहाज से भी सरकार का महत्वपूर्ण कदम था. लोकतंत्र की छोटी संसद में प्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद में ही महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है. प्रदेश की 3226 पंचायतों में उपप्रधान पद के लिए महिलाओं को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है. इसलिए प्रदेश की इन सभी पंचायतों में उप प्रधान पदों पर पुरुषों का कब्जा है.

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आरक्षण से ज्यादा सीटों पर महिलाएं जीती है: अतिरिक्त निदेशक

पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त निदेशक केवल शर्मा का कहना है कि वर्तमान में पंचायतीराज संस्था में 56.46 फीसदी सीटे महिलाओं के पास है. उनका कहना है प्रदेश में पंचायतीराज संस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है. जिसमे उप प्रधान का पद शामिल नहीँ है.

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Intro:हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है। Body:इस राज्य में आरक्षण से आगे निकली नारीशक्ति, मिला है 50 फीसदी आरक्षण
करसोग
करसोग सहित हिमाचल में घर की चारदिवारी की चौखट से बाहर निकल नारीशक्ति राजकाज चलाने में अब पुरुषों से आगे निकल गई है। घर के कार्यों का बीड़ा उठाने के साथ साथ महिलाओं ने राजनीति के मोर्चे में भी सफलता का झंडा गाड़ा है। वर्तमान में प्रदेश की पंचायतीराज संस्था में महिलाओं के कब्जे को देखते हुए तो ये बात साफ हो गई है। हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है। ऐसे में न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि जिला परिषद में भी दबदबे से निचले स्तर पर महिलाओं को खूब मान सम्मान मिला है। प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है। हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया है। ऐसे में लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था की दहलीज पार करने लिए नारीशक्ति को संघर्ष का लंबा सफर तय करना अभी बाकी है।

ये है पंचायतीराज संस्था में महिलाओं की स्थिति:
हिमाचल की पंचायतों में प्रधानों की संख्या 3,226 है। इसमें 1631 पदों पर महिलाओं का वर्चस्व है। ये कुल संख्या का 50.50 फीसदी है। इसी तरह से प्रदेश में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 20,348 है। इसमें 11,778 पद महिलाओं के कब्जे में है। यह कुल वार्ड सदस्यों की संख्या का 57.88 फीसदी है। पंचायत समिति सदस्यों की संख्या भी 1673 है। इसमें 862 फीसदी पर महिलाओं का राज है। जो कुल संख्या का 51.52 फीसदी है। इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों की संख्या 250 है, इसमें 127 पदों पर महिलाएं बिराजमान है। ये संख्या भी पुरुष सदस्यों की संख्या की तुलना में 50.80 फ़ीसदी है।

प्रदेश की आधी आवादी को 2008 में दिया गया 50 फीसदी आरक्षण:
पंचायतीराज संस्था में वर्ष 2008 में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था। इसके पीछे प्रदेश की आधी आवादी को पुरुषों की तुलना में बराबर का अधिकार देना था। यही नही नारी सशक्तिकरण के लिहाज से भी सरकार का महत्वपूर्ण कदम था। लोकतंत्र की छोटी संसद में प्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद में ही महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है। प्रदेश की 3226 पंचायतों में उपप्रधान पद के लिए महिलाओं को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। इसलिए प्रदेश की इन सभी पंचायतों में उप प्रधान पदों पर पुरुषों का कब्जा है।

आरक्षण से ज्यादा सीटों पर महिलाएं जीती है: अतिरिक्त निदेशक
पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त निदेशक केवल शर्मा का कहना है कि वर्तमान में पंचायतीराज संस्था में 56.46 फीसदी सीटे महिलाओं के पास है। उनका कहना है प्रदेश में पंचायतीराज संस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है। जिसमे उप प्रधान का पद शामिल नहीँ है।


Conclusion:इस राज्य में आरक्षण से आगे निकली नारीशक्ति, मिला है 50 फीसदी आरक्षण
करसोग
करसोग सहित हिमाचल में घर की चारदिवारी की चौखट से बाहर निकल नारीशक्ति राजकाज चलाने में अब पुरुषों से आगे निकल गई है। घर के कार्यों का बीड़ा उठाने के साथ साथ महिलाओं ने राजनीति के मोर्चे में भी सफलता का झंडा गाड़ा है। वर्तमान में प्रदेश की पंचायतीराज संस्था में महिलाओं के कब्जे को देखते हुए तो ये बात साफ हो गई है। हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फ़ीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है। ऐसे में न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि जिला परिषद में भी दबदबे से निचले स्तर पर महिलाओं को खूब मान सम्मान मिला है। प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है। हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया है। ऐसे में लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था की दहलीज पार करने लिए नारीशक्ति को संघर्ष का लंबा सफर तय करना अभी बाकी है।

ये है पंचायतीराज संस्था में महिलाओं की स्थिति:
हिमाचल की पंचायतों में प्रधानों की संख्या 3,226 है। इसमें 1631 पदों पर महिलाओं का वर्चस्व है। ये कुल संख्या का 50.50 फीसदी है। इसी तरह से प्रदेश में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 20,348 है। इसमें 11,778 पद महिलाओं के कब्जे में है। यह कुल वार्ड सदस्यों की संख्या का 57.88 फीसदी है। पंचायत समिति सदस्यों की संख्या भी 1673 है। इसमें 862 फीसदी पर महिलाओं का राज है। जो कुल संख्या का 51.52 फीसदी है। इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों की संख्या 250 है, इसमें 127 पदों पर महिलाएं बिराजमान है। ये संख्या भी पुरुष सदस्यों की संख्या की तुलना में 50.80 फ़ीसदी है।

प्रदेश की आधी आवादी को 2008 में दिया गया 50 फीसदी आरक्षण:
पंचायतीराज संस्था में वर्ष 2008 में 50 फीसदी आरक्षण दिया गया था। इसके पीछे प्रदेश की आधी आवादी को पुरुषों की तुलना में बराबर का अधिकार देना था। यही नही नारी सशक्तिकरण के लिहाज से भी सरकार का महत्वपूर्ण कदम था। लोकतंत्र की छोटी संसद में प्रधान, पंचायत समिति और जिला परिषद में ही महिलाओं को आरक्षण प्राप्त है। प्रदेश की 3226 पंचायतों में उपप्रधान पद के लिए महिलाओं को कोई आरक्षण नहीं दिया गया है। इसलिए प्रदेश की इन सभी पंचायतों में उप प्रधान पदों पर पुरुषों का कब्जा है।

आरक्षण से ज्यादा सीटों पर महिलाएं जीती है: अतिरिक्त निदेशक
पंचायतीराज विभाग के अतिरिक्त निदेशक केवल शर्मा का कहना है कि वर्तमान में पंचायतीराज संस्था में 56.46 फीसदी सीटे महिलाओं के पास है। उनका कहना है प्रदेश में पंचायतीराज संस्था में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया है। जिसमे उप प्रधान का पद शामिल नहीँ है।


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