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हिमाचल में मौसम शुष्क, बारिश न होने से किसानों को फसल खराब होने का सता रहा डर

हिमाचल प्रदेश में लंबे अंतराल से बारिश का नहीं होना खेती कारोबार के लिए महंगा साबित होने लगा है. गैर सिंचित क्षेत्रों की फसलें बारिश नहीं होने के चलते बुरी तरह प्रभावित हो रही है. केवल मात्र बारिश का ना होना ही फसलों के लिए खतरनाक नहीं है बल्कि कड़ाके की सर्दी और घना कोहरा भी फसलों को तबाह करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहा. (lack of rain in himachal)

Weather in Himachal
Weather in Himachal
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Published : Dec 28, 2022, 7:44 PM IST

हिमाचल में बारिश की कमी

मंडी: इन दिनों हिमाचल में शुष्क मौसम चल रहा है. हालांकि प्रदेश में ठंड बहुत बढ़ गई है. लेकिन बर्फबारी और बारिश न होने के चलते सबसे ज्यादा फसलों पर प्रभाव पड़ रहा है. बात अगर मंडी जिले की करें तो यहां भी बारिश ना होने से किसान-बागवान कोहरे व धुंध की मार झेल रहे हैं. बारिश व बर्फबारी न होने से शुष्क ठंड बढ़ गई है. (lack of rain in himachal)

बारिश पर निर्भर रहने वाले किसान परेशान हैं. किसानों को अब उनकी फसलों के बर्बाद होने का डर सता रहा है. किसान और बागवान अब आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि कब बादल बरसेंगे. वहीं, जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में किसान बारिश के अभाव में अभी तक गेहूं की फसल की बिजाई नहीं कर पाए हैं. जिले के अधिकांश किसान खेती के लिए बारिश पर ही निर्भर रहते हैं. इस बार बारिश समय पर ना होने के कारण फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है. वर्ष के अंतिम माह का आखिरी सप्ताह बीतने वाला है लेकिन अभी तक लोग शुष्क ठंड की मार झेल रहे हैं.

किसानों का कहना है कि उन्होंने गेहूं, चना, सरसों और सब्जियों की बिजाई का काम तो पूर्ण कर लिया है लेकिन बारिश ना होने से उनकी फसलें बर्बाद होने की कगार पर है. किसानों का कहना है कि यदि देरी से बारिश होती है तो उनकी फसल की कम पैदावार होगी. कम पैदावार होने से उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा. (Weather in Himachal Pradesh)

वहीं, इस बार मौसम विभाग के भी सभी पूर्वानुमान फेल ही साबित हो रहे हैं. मौसम विभाग ने क्रिसमस के दौरान ऊपरी इलाकों में बर्फबारी व मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना जताई थी. लेकिन ना तो बर्फबारी हुई और ना ही बारिश. वहीं, 29 और 30 दिसंबर को प्रदेश के ऊंचाई वाले भागों में बर्फबारी व मैदानी इलाकों में मौसम विभाग का बारिश का पूर्वानुमान है. (Crops are affected due to lack of rain)

ऊना: हिमाचल प्रदेश के कृषि बहुल जिला ऊना में रबी फसलों पर बारिश की कमी के चलते खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इनमें गैर सिंचित क्षेत्रों की फसलें सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं. हालांकि अब तो कृषि विशेषज्ञ भी यह मानने लगे हैं कि यदि बारिश 2 हफ्ते तक नहीं होती है तो गेहूं की फसल में करीब 20 फीसदी तक नुकसान होना तय है.

हिमाचल में बारिश की कमी

बारिश की कमी ही नहीं घना कोहरा भी फसलों के लिए काफी खतरनाक माना जा रहा है. जिसके चलते कोहरे से फसलों को बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञ रात के समय ही फसलों की सिंचाई करने की सलाह दे रहे हैं. कई सालों के बाद ऐसा देखने को मिला है कि जिले में लंबे अंतराल से बारिश नहीं हो रही और इसका असर फसलों पर काफी अधिक पड़ रहा है. सिंचित क्षेत्रों में कृषि विशेषज्ञ बारिश नहीं होने का कोई असर नहीं मानते लेकिन गैर सिंचित क्षेत्रों की फसलें पूरी तरह से अब इंद्र देवता की मेहरबानी पर टिकी है.

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर कुलभूषण धीमान का कहना है कि आने वाले 15 दिनों तक बारिश का होना फसलों के लिए बेहद जरूरी है. यदि 2 सप्ताह तक भी बारिश नहीं होती है तो जिले में गेहूं की फसल का करीब 20 फीसदी तक नुकसान होना लगभग तय है. हालांकि सिंचित क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई के लिए भी कृषि विशेषज्ञों द्वारा अहम टिप्स दिए जा रहे हैं. जिसके तहत घने कोहरे का प्रभाव फसलों पर कम करने के लिए रात के समय ही सिंचाई करने की सलाह दी गई है.

ये भी पढ़ें: शुष्क मौसम के बीच हिमाचल में कड़ाके की ठंड, पर्यटकों को बर्फबारी का इंतजार

हिमाचल में बारिश की कमी

मंडी: इन दिनों हिमाचल में शुष्क मौसम चल रहा है. हालांकि प्रदेश में ठंड बहुत बढ़ गई है. लेकिन बर्फबारी और बारिश न होने के चलते सबसे ज्यादा फसलों पर प्रभाव पड़ रहा है. बात अगर मंडी जिले की करें तो यहां भी बारिश ना होने से किसान-बागवान कोहरे व धुंध की मार झेल रहे हैं. बारिश व बर्फबारी न होने से शुष्क ठंड बढ़ गई है. (lack of rain in himachal)

बारिश पर निर्भर रहने वाले किसान परेशान हैं. किसानों को अब उनकी फसलों के बर्बाद होने का डर सता रहा है. किसान और बागवान अब आसमान की ओर टकटकी लगाए हुए हैं कि कब बादल बरसेंगे. वहीं, जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में किसान बारिश के अभाव में अभी तक गेहूं की फसल की बिजाई नहीं कर पाए हैं. जिले के अधिकांश किसान खेती के लिए बारिश पर ही निर्भर रहते हैं. इस बार बारिश समय पर ना होने के कारण फसलों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाया है. वर्ष के अंतिम माह का आखिरी सप्ताह बीतने वाला है लेकिन अभी तक लोग शुष्क ठंड की मार झेल रहे हैं.

किसानों का कहना है कि उन्होंने गेहूं, चना, सरसों और सब्जियों की बिजाई का काम तो पूर्ण कर लिया है लेकिन बारिश ना होने से उनकी फसलें बर्बाद होने की कगार पर है. किसानों का कहना है कि यदि देरी से बारिश होती है तो उनकी फसल की कम पैदावार होगी. कम पैदावार होने से उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा. (Weather in Himachal Pradesh)

वहीं, इस बार मौसम विभाग के भी सभी पूर्वानुमान फेल ही साबित हो रहे हैं. मौसम विभाग ने क्रिसमस के दौरान ऊपरी इलाकों में बर्फबारी व मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना जताई थी. लेकिन ना तो बर्फबारी हुई और ना ही बारिश. वहीं, 29 और 30 दिसंबर को प्रदेश के ऊंचाई वाले भागों में बर्फबारी व मैदानी इलाकों में मौसम विभाग का बारिश का पूर्वानुमान है. (Crops are affected due to lack of rain)

ऊना: हिमाचल प्रदेश के कृषि बहुल जिला ऊना में रबी फसलों पर बारिश की कमी के चलते खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. इनमें गैर सिंचित क्षेत्रों की फसलें सबसे अधिक प्रभावित हो रही हैं. हालांकि अब तो कृषि विशेषज्ञ भी यह मानने लगे हैं कि यदि बारिश 2 हफ्ते तक नहीं होती है तो गेहूं की फसल में करीब 20 फीसदी तक नुकसान होना तय है.

हिमाचल में बारिश की कमी

बारिश की कमी ही नहीं घना कोहरा भी फसलों के लिए काफी खतरनाक माना जा रहा है. जिसके चलते कोहरे से फसलों को बचाने के लिए कृषि विशेषज्ञ रात के समय ही फसलों की सिंचाई करने की सलाह दे रहे हैं. कई सालों के बाद ऐसा देखने को मिला है कि जिले में लंबे अंतराल से बारिश नहीं हो रही और इसका असर फसलों पर काफी अधिक पड़ रहा है. सिंचित क्षेत्रों में कृषि विशेषज्ञ बारिश नहीं होने का कोई असर नहीं मानते लेकिन गैर सिंचित क्षेत्रों की फसलें पूरी तरह से अब इंद्र देवता की मेहरबानी पर टिकी है.

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉक्टर कुलभूषण धीमान का कहना है कि आने वाले 15 दिनों तक बारिश का होना फसलों के लिए बेहद जरूरी है. यदि 2 सप्ताह तक भी बारिश नहीं होती है तो जिले में गेहूं की फसल का करीब 20 फीसदी तक नुकसान होना लगभग तय है. हालांकि सिंचित क्षेत्रों में फसलों की सिंचाई के लिए भी कृषि विशेषज्ञों द्वारा अहम टिप्स दिए जा रहे हैं. जिसके तहत घने कोहरे का प्रभाव फसलों पर कम करने के लिए रात के समय ही सिंचाई करने की सलाह दी गई है.

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