मंडी: शहर में हर साल 1 अप्रैल को पेयजल व सीवरेज की दरों में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी जाती है जो मूल दर के बजाय बढ़ी हुई दरों पर ही ली जाती है. मंडी नागरिक सभा ने इन दरों में कमी करने को लेकर एक हस्ताक्षर अभियान चलाया था और इसके लिए शहर के 1033 परिवारों और 18 से अधिक सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा था.
नागरिक सभा मंडी के उपप्रधान रविकांत कपूर ने कहा कि हर साल जिस तरह से दरें बढ़ाई जा रही है उसे अदा करना अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रहा है. वर्ष 2005 में पेयजल की दर 4 रुपये प्रति किलोलीटर निर्धारित की गई थी, जो अब सवा 15 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई हैं.
रविकांत कपूर ने कहा कि पंजाब में पेयजल के बिल का 15 प्रतिशत व हरियाणा में 20 प्रतिशत लिया जाता है, लेकिन मंडी में 50 प्रतिशत लिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इन राज्यों में पांच और 6 साल के बाद ही बढ़ोतरी होती है. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मंडी में पेयजल की दरों में कम से कम 50 प्रतिशत की कटौती की जाए और बढ़ोतरी का पैमाना बढ़ी हुई दरों के बजाए मूल दर पर होना चाहिए.