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16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा, जानें शुभ समय तक सब कुछ - SHARAD PURNIMA 2024

Sharad Purnima 2024, शरद पूर्णिमा का पर्व अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन लोग रात में खीर बनाकर रखते हैं. ताकि खीर में अमृत की बारिश हो सके.

When is Sharad Purnima, 16 or 17 October
16 या 17 अक्टूबर कब है शरद पूर्णिमा (प्रतीकात्मक फोटो-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2024, 6:10 AM IST

Updated : Oct 13, 2024, 2:47 PM IST

हैदराबाद : शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा का व्रत हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पत्र की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात काफी खास मानी जाती है, क्योंकि इस रात में चांद पूरी तरह से चमकता है यानी चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होने के साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. साथ ही अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी. इस वजह से शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.

शरद पूर्णिमा का पूजन मुहूर्त
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा. बता दें कि शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की किरणों में खीर रखी जाती है. इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय रात में 08 बजकर 40 मिनट से शुरू होगा. पूजन के बाद खीर को खुले आसमान में रखा जा सकता है.

शरद पूर्णिमा पर पूजा की विधि

  • शरद पूर्णिमा की शाम को स्नान करके साफ कपड़े पहनें.
  • घर की साफ- सफाई करके घी का दीपक जलाएं.
  • एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं.
  • चांदनी रात में खीर बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं.
  • साथ ही चंद्रमा को जल अर्पित करें.
  • मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.

शरद पूर्णिमा की रात क्यों रखी जाती है खीर?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात अमृत की वर्षा होती है. साथ ही कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों वाली होती हैं, जो शीतलता भी प्रदान करती हैं. इस कारण शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर कुछ देर के लिए रखा जाता है, जिससे वह चंद्रमा की किरणों से औषधीय गुणों वाली हो जाए. उसे खाने से लोगों की सेहत अच्छी रहती है.

शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व
शरद पूर्णिमा को लेकर मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव की पूजा करने के साथ चांदनी रात में खीर बनाकर रखी जाती है. इस रात आकाश से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आने के साथ ही अपने भक्तों पर धन-धान्य की बारिश करती हैं. वहीं इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो सभी जीवों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है.

ये भी पढ़ें - जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

हैदराबाद : शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. शरद पूर्णिमा का व्रत हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पत्र की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा की रात काफी खास मानी जाती है, क्योंकि इस रात में चांद पूरी तरह से चमकता है यानी चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सुख समृद्धि की प्राप्ति होने के साथ ही सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है.

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर दिन रात 08 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी. साथ ही अगले दिन 17 अक्टूबर दिन गुरुवार को शाम 04 बजकर 53 मिनट पर समाप्त होगी. इस वजह से शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा.

शरद पूर्णिमा का पूजन मुहूर्त
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 5 बजकर 5 मिनट पर होगा. बता दें कि शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की किरणों में खीर रखी जाती है. इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर खीर रखने का समय रात में 08 बजकर 40 मिनट से शुरू होगा. पूजन के बाद खीर को खुले आसमान में रखा जा सकता है.

शरद पूर्णिमा पर पूजा की विधि

  • शरद पूर्णिमा की शाम को स्नान करके साफ कपड़े पहनें.
  • घर की साफ- सफाई करके घी का दीपक जलाएं.
  • एक चौकी पर मां लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं.
  • चांदनी रात में खीर बनाकर मां लक्ष्मी को भोग लगाएं.
  • साथ ही चंद्रमा को जल अर्पित करें.
  • मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें.

शरद पूर्णिमा की रात क्यों रखी जाती है खीर?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, शरद पूर्णिमा की रात अमृत की वर्षा होती है. साथ ही कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणें औषधीय गुणों वाली होती हैं, जो शीतलता भी प्रदान करती हैं. इस कारण शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाकर कुछ देर के लिए रखा जाता है, जिससे वह चंद्रमा की किरणों से औषधीय गुणों वाली हो जाए. उसे खाने से लोगों की सेहत अच्छी रहती है.

शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व
शरद पूर्णिमा को लेकर मान्यता है कि इस दिन चंद्र देव की पूजा करने के साथ चांदनी रात में खीर बनाकर रखी जाती है. इस रात आकाश से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन मां लक्ष्मी धरती पर आने के साथ ही अपने भक्तों पर धन-धान्य की बारिश करती हैं. वहीं इस रात चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है, जो सभी जीवों को स्वस्थ और दीर्घायु बनाता है.

ये भी पढ़ें - जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Last Updated : Oct 13, 2024, 2:47 PM IST
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