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भीम-हिडिंबा ने पांगणा शिव मंदिर में की थी शादी! खुदाई में मिली कई प्राचीन मूर्तियां - marriage of Bhima and Hidimba!

पांडवों ने इस गांव में काफी समय गुजारा. इस गांव का नाम पांडवांगण के नाम से पौराणिक कथाओं में वर्णित है. पांगण में स्थित शिव मंदिर में भीम का विवाह हिडिंबा से हुआ था. इस शिव मंदिर के बाहर स्थित नंदी की ऐसी विशाल मूर्ति करसोग के अन्य किसी मंदिर में नहीं है.

This Shiva temple in Pangana
भीम और हिडिंबा के विवाह का साक्षी बना था पांगणा का यह शिव मंदिर!
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Published : Mar 4, 2020, 9:06 PM IST

Updated : Mar 4, 2020, 9:58 PM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश देव पंरपराओं के लिए जाना जाता है. देव परंपराओं से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. लोगों का अटूट विश्वास से ही आधुनिकता की अंधी दौड़ में भी पौराणिक आस्था का झंडा बुलंद है. हिमाचल की करसोग घाटी में जब पौराणिक कथाओं के कुछ फल-सफे खुलते हैं तो महा पराक्रमी पांडवों के पदचिन्ह मिलते हैं.

मंडी जिला की करसोग घाटी देवी-देवताओं और शक्ति स्थलों के लिए जानी जाती है. यहां कई ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपने आप में ही अद्भुत हैं. आस्था की यह जड़ें इतनी गहरी हैं कि आधुनिकता का तूफान भी धार्मिक मान्यताओं का आज तक एक पत्ता तक नहीं हिला पाया है.

वीडियो.

पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों का संबंध करसोग के पांगणा से भी रहा है. अज्ञातवास के समय पांडव घूमते-फिरते पांगणा आए थे. पांडवों ने इस गांव में काफी समय गुजारा. इस गांव का नाम पांडवांगण के नाम से पौराणिक कथाओं में वर्णित है. पांगणा में स्थित शिव मंदिर में भीम का विवाह हिडिंबा से हुआ था. इस शिव मंदिर के बाहर स्थित नंदी की ऐसी विशाल मूर्ति करसोग के अन्य किसी मंदिर में नहीं है.

इतिहास के कई रहस्य समेटे ये मंदिर वर्ष 1981 में भीषण अग्नि की भेंट चढ़ गया था. उस दौरान इस मंदिर का नए सिरे से निर्माण किया गया था, लेकिन सालों बीत जाने के बाद अब ये मंदिर जर्जर हालत में है. प्रशासन की बेरुखी के बाद स्थानीय लोग अब खुद ही मंदिर के पुनः जीर्णोद्धार के लिए श्रमदान कर रहे हैं. इस दौरान आस पास की जा रही खुदाई के दौरान पत्थर की पुरातन मूर्तियां भी मिली हैं. जो इस मंदिर के द्वापर युग में बने होने का प्रमाण दे रही हैं.

मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय बिताया था और वे यहीं से हिमालय को पार करके उत्तर की ओर गंधमादन पर्वत गए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडव हिमाचल के कई हिस्सों में गये. इन तमाम जगहों से आज भी उनकी कई यादें जुड़ी हैं. ममलेश्वर महादेव मंदिर में भी पांडव काल का माना जाने वाला 250 ग्राम का गेहूं का दाना और विशाल ढोल आज भी लोगों के लिये आश्चर्य की बात है.

ये भी पढे़ं: 60 साल से किराए के भवन में चल रही है 1 लाख से ज्यादा किताबों वाली हिमाचल की पहली लाइब्रेरी

मंडी: हिमाचल प्रदेश देव पंरपराओं के लिए जाना जाता है. देव परंपराओं से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. लोगों का अटूट विश्वास से ही आधुनिकता की अंधी दौड़ में भी पौराणिक आस्था का झंडा बुलंद है. हिमाचल की करसोग घाटी में जब पौराणिक कथाओं के कुछ फल-सफे खुलते हैं तो महा पराक्रमी पांडवों के पदचिन्ह मिलते हैं.

मंडी जिला की करसोग घाटी देवी-देवताओं और शक्ति स्थलों के लिए जानी जाती है. यहां कई ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपने आप में ही अद्भुत हैं. आस्था की यह जड़ें इतनी गहरी हैं कि आधुनिकता का तूफान भी धार्मिक मान्यताओं का आज तक एक पत्ता तक नहीं हिला पाया है.

वीडियो.

पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों का संबंध करसोग के पांगणा से भी रहा है. अज्ञातवास के समय पांडव घूमते-फिरते पांगणा आए थे. पांडवों ने इस गांव में काफी समय गुजारा. इस गांव का नाम पांडवांगण के नाम से पौराणिक कथाओं में वर्णित है. पांगणा में स्थित शिव मंदिर में भीम का विवाह हिडिंबा से हुआ था. इस शिव मंदिर के बाहर स्थित नंदी की ऐसी विशाल मूर्ति करसोग के अन्य किसी मंदिर में नहीं है.

इतिहास के कई रहस्य समेटे ये मंदिर वर्ष 1981 में भीषण अग्नि की भेंट चढ़ गया था. उस दौरान इस मंदिर का नए सिरे से निर्माण किया गया था, लेकिन सालों बीत जाने के बाद अब ये मंदिर जर्जर हालत में है. प्रशासन की बेरुखी के बाद स्थानीय लोग अब खुद ही मंदिर के पुनः जीर्णोद्धार के लिए श्रमदान कर रहे हैं. इस दौरान आस पास की जा रही खुदाई के दौरान पत्थर की पुरातन मूर्तियां भी मिली हैं. जो इस मंदिर के द्वापर युग में बने होने का प्रमाण दे रही हैं.

मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय बिताया था और वे यहीं से हिमालय को पार करके उत्तर की ओर गंधमादन पर्वत गए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडव हिमाचल के कई हिस्सों में गये. इन तमाम जगहों से आज भी उनकी कई यादें जुड़ी हैं. ममलेश्वर महादेव मंदिर में भी पांडव काल का माना जाने वाला 250 ग्राम का गेहूं का दाना और विशाल ढोल आज भी लोगों के लिये आश्चर्य की बात है.

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Last Updated : Mar 4, 2020, 9:58 PM IST
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