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भाषा एवं संस्कृति विभाग की पहल, ऑनलाइन पारंपारिक लोक नाटय बांठडा का आयोजन - मांडव्य कला मंच

बांठडा मंडी जनपद का लोकप्रिय लोक नाटय रहा है. बांठडा का शाब्दिक अर्थ सुन्दर अथवा बनठकर कर रहने वाले के लिए भी प्रयुक्त होता है. हिमाचल के लोक नाटयों में बांठडा का अपना विशेष स्थान है. लोक नाटय में हास्य प्रदान होने के साथ-साथ अपने समय में फैली कुरीतियों व विसंगतियों के प्रति लोगों को जागरूकता का संदेश दिया जाता है.

Banthra Folk Play
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Published : Aug 3, 2020, 8:37 PM IST

मंडी: भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से बल्ह उपमंडल के लूणा पानी में ऑनलाइन पारम्पारिक लोक नाटय बांठडा का आयोजन किया गया. जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि पारंपारिक लोक नाटय बांठडा की सशक्त व मनोरंजक परिस्थिति हिमाचल की प्रसिद्ध संस्था मांडव्य कला मंच के लोक कलाकारों ने की.

कार्यक्रम का संचालन व संयोजन संस्कृति कर्मी कुलदीप गुलेरिया ने बांठडा की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए हर संवाग का परिचय देते हुए बखूबी निभाया. उन्होंने पारंपारिक तरीके से बांठडा का मंचन करवाया.

सर्वप्रथम बीरी सिंह की शहनाई और भीषम की बांसुरी वादन की युगलबंदी के बाद लोक कलाकार ललिता कुमारी, संगीता कुमारी और विजेन्द्र पाल ने कृष्ण व गोपियों का अभियन्य करते हुए हरि रंग लागा, श्याम रंग लागा पर रास लीला रचाते हुए हरि रंग की मनोरम प्रस्तुति दी.

इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से माल सवांग में दुर्गा दास, गुर चेला (डाऊ) सवांग में धर्मेन्द्र, अभय, ललिता, रवि, दुर्गादास, संगीता ने सामाजिक कुरीतियों व अंध विश्वासों पर जबरदस्त प्रहार करते हुए अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ी. लोक नाटय बांठडा में अभिनय और संगीत पक्ष दोनों ही सशक्त होते हैं.

संगीत और गायन में मनीष अटल, कमलदीप, राजेश, जितेश, अंशुल ने बेहतरीन तालमेल के साथ सभी प्रस्तुतियों में सामाजस्य बनाए रखा. मांडव्य कला मंच के प्रधान मयंक गुलेरिया ने लोक कलाकारों के प्रोत्साहन व लुप्त होती विधाओं को बचाए रखने और लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए भाषा विभाग का आभार व्यक्त किया.

पढ़ें: कार बेचने के नाम पर 1.08 लाख रुपए की ठगी, फेसबुक पर ऐड के जरिए बनाया शिकार

मंडी: भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से बल्ह उपमंडल के लूणा पानी में ऑनलाइन पारम्पारिक लोक नाटय बांठडा का आयोजन किया गया. जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि पारंपारिक लोक नाटय बांठडा की सशक्त व मनोरंजक परिस्थिति हिमाचल की प्रसिद्ध संस्था मांडव्य कला मंच के लोक कलाकारों ने की.

कार्यक्रम का संचालन व संयोजन संस्कृति कर्मी कुलदीप गुलेरिया ने बांठडा की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए हर संवाग का परिचय देते हुए बखूबी निभाया. उन्होंने पारंपारिक तरीके से बांठडा का मंचन करवाया.

सर्वप्रथम बीरी सिंह की शहनाई और भीषम की बांसुरी वादन की युगलबंदी के बाद लोक कलाकार ललिता कुमारी, संगीता कुमारी और विजेन्द्र पाल ने कृष्ण व गोपियों का अभियन्य करते हुए हरि रंग लागा, श्याम रंग लागा पर रास लीला रचाते हुए हरि रंग की मनोरम प्रस्तुति दी.

इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से माल सवांग में दुर्गा दास, गुर चेला (डाऊ) सवांग में धर्मेन्द्र, अभय, ललिता, रवि, दुर्गादास, संगीता ने सामाजिक कुरीतियों व अंध विश्वासों पर जबरदस्त प्रहार करते हुए अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ी. लोक नाटय बांठडा में अभिनय और संगीत पक्ष दोनों ही सशक्त होते हैं.

संगीत और गायन में मनीष अटल, कमलदीप, राजेश, जितेश, अंशुल ने बेहतरीन तालमेल के साथ सभी प्रस्तुतियों में सामाजस्य बनाए रखा. मांडव्य कला मंच के प्रधान मयंक गुलेरिया ने लोक कलाकारों के प्रोत्साहन व लुप्त होती विधाओं को बचाए रखने और लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए भाषा विभाग का आभार व्यक्त किया.

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