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करसोग में जंगली सूअरों का आतंक, रात को खेतों में घुसकर कई गांव की फसलें कर दी तबाह

करसोग की बखरौट पंचायत के तहत आने वाले कई गांवों में जंगली सूअरों ने किसानों की नींद हराम कर रखी है. यहां जंगली सूअरों ने ही रात को खेतों में खड़ी फसलों को तबाह कर दिया. सुबह जैसे ही ग्रामीणों ने खेतों में जाकर देखा तो उनकी साल भर की मेहनत बर्बाद हो गई (wild boars destroyed crops in fields in Karsog) थी. किसानों ने सरकार से नुकसान की भरपाई किए जाने की मांग उठाई है. पढे़ं पूरी खबर...

करसोग में जंगली सूअरों का आतंक
करसोग में जंगली सूअरों का आतंक
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Published : Nov 15, 2022, 5:42 PM IST

करसोग: हिमाचल के करसोग में पहले ही महंगाई के बोझ से दबे किसानों की रातों की नींद जंगली जानवरों ने हराम कर (Terror of wild boars in Karsog) दी है. यहां तहसील मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पंचायत बखरौट के तहत कई गांव में जंगली सूअरों ने एक ही रात को खेतों में खड़ी फसलों को तबाह कर दिया. ग्रामीणों ने सुबह जैसे ही खेतों में जाकर देखा तो उनकी साल भर की मेहनत की घर पहुंचने से पहले ही खेतों में बर्बाद हो गई (wild boars destroyed crops in fields in Karsog) थी.

बखरौट पंचायत के तहत सोमवार देर रात को जंगली सूअरों ने खनेरी, कुजो, माहोग, जुड़, चिंडी, बाओग व तकनाड़ नाला आदि गांव में खेतों में घुसकर एक ही रात को मक्की, दाल सहित सब्जी की फसल को तबाह कर दिया. यहीं नहीं खेतों में घुसे सूअरों के झुंडों ने सेब के पौधों को भी नुकसान पहुंचाया है. जंगली जानवरों की ये समस्या केवल बखरौट पंचायत में ही नहीं है. करसोग की अधिकतर ग्रामीण जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से जंगलों जानवरों से निजात दिलाए जाने की दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है. इसके साथ ही फसलों को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने का भी आग्रह किया है.

खेनेरी गांव के इंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जंगली सूअरों में क्षेत्र में आतंक फैला रखा है. बीती रात को भी सूअरों ने खेतों में घुसकर कई गांव में फसलों को तबाह किया है. उन्होंने कहा किसानों ने खेती करने के लिए हजारों रूपये बीज और खाद खरीदने के लिए खर्च किए हैं. इस पर पूरे परिवार की मेहनत अलग से है, लेकिन जब फसल तैयार होती है तो जंगली जानवर उसे तबाह कर रहे हैं. ऐसे में फसलों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए.

मुआवजा देने का नहीं कोई प्रावधान: डीएफओ कृण्ण बाग नेगी का कहना है कि जंगली जानवरों की ओर से फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने पर भरपाई का कोई प्रावधान नहीं है. इस बारे में कोई पॉलिसी नहीं बनी है. उन्होंने कहा कि फिर भी विभाग अपने स्तर पर सर्वे करेगा.

ये भी पढ़ें: धर्मशाला से लापता विदेशी पर्यटक का 8 दिन बाद भी नहीं लगा कोई सुराग, DGP बोले: तलाश जारी

करसोग: हिमाचल के करसोग में पहले ही महंगाई के बोझ से दबे किसानों की रातों की नींद जंगली जानवरों ने हराम कर (Terror of wild boars in Karsog) दी है. यहां तहसील मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर पंचायत बखरौट के तहत कई गांव में जंगली सूअरों ने एक ही रात को खेतों में खड़ी फसलों को तबाह कर दिया. ग्रामीणों ने सुबह जैसे ही खेतों में जाकर देखा तो उनकी साल भर की मेहनत की घर पहुंचने से पहले ही खेतों में बर्बाद हो गई (wild boars destroyed crops in fields in Karsog) थी.

बखरौट पंचायत के तहत सोमवार देर रात को जंगली सूअरों ने खनेरी, कुजो, माहोग, जुड़, चिंडी, बाओग व तकनाड़ नाला आदि गांव में खेतों में घुसकर एक ही रात को मक्की, दाल सहित सब्जी की फसल को तबाह कर दिया. यहीं नहीं खेतों में घुसे सूअरों के झुंडों ने सेब के पौधों को भी नुकसान पहुंचाया है. जंगली जानवरों की ये समस्या केवल बखरौट पंचायत में ही नहीं है. करसोग की अधिकतर ग्रामीण जंगली जानवरों के आतंक से परेशान हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से जंगलों जानवरों से निजात दिलाए जाने की दिशा में उचित कदम उठाने की मांग की है. इसके साथ ही फसलों को हुए नुकसान की भरपाई किए जाने का भी आग्रह किया है.

खेनेरी गांव के इंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जंगली सूअरों में क्षेत्र में आतंक फैला रखा है. बीती रात को भी सूअरों ने खेतों में घुसकर कई गांव में फसलों को तबाह किया है. उन्होंने कहा किसानों ने खेती करने के लिए हजारों रूपये बीज और खाद खरीदने के लिए खर्च किए हैं. इस पर पूरे परिवार की मेहनत अलग से है, लेकिन जब फसल तैयार होती है तो जंगली जानवर उसे तबाह कर रहे हैं. ऐसे में फसलों को हुए नुकसान की भरपाई की जाए.

मुआवजा देने का नहीं कोई प्रावधान: डीएफओ कृण्ण बाग नेगी का कहना है कि जंगली जानवरों की ओर से फसलों को नुकसान पहुंचाए जाने पर भरपाई का कोई प्रावधान नहीं है. इस बारे में कोई पॉलिसी नहीं बनी है. उन्होंने कहा कि फिर भी विभाग अपने स्तर पर सर्वे करेगा.

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