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किसान ने देहदान करने का लिया निर्णय, मेडिकल कॉलेज नेरचौक में सभी औपचारिकताएं की पूरी - Decision to donate body organs

45 वर्षीय किसान दत्त राम डोगरा ने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का निर्णय लिया है. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया.

किसान ने मरणोपरांत देहदान करने का लिया निर्णय
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Published : Nov 5, 2019, 1:32 PM IST

Updated : Nov 5, 2019, 1:42 PM IST

मंडी: अपना शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है. ऐसे ही पुण्य के भागी बने है मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के रिवालसर के रहने वाले एक किसान दत्त राम डोगरा जिन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का निर्णय लिया है. राम डोगरा पुत्र सुखिया गांव सरहवार उप तहसील रिवालसर के रहने वाले हैं. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया.

45 वर्षीय किसान दत्त राम डोगरा ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आ सकते हैं इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद मिट्टी का ढेर बन कर रह जाता है. अगर मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर कोई और बात नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि देहदान महादान माना जाता है.

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देहदान करने वाले दत्त राम डोगरा ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया. वहीं, क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए जरूर आगे आएं ताकि इन अंगों से जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सके.

मंडी: अपना शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है. ऐसे ही पुण्य के भागी बने है मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के रिवालसर के रहने वाले एक किसान दत्त राम डोगरा जिन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का निर्णय लिया है. राम डोगरा पुत्र सुखिया गांव सरहवार उप तहसील रिवालसर के रहने वाले हैं. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया.

45 वर्षीय किसान दत्त राम डोगरा ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आ सकते हैं इसलिए उन्होंने यह निर्णय लिया है. उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद मिट्टी का ढेर बन कर रह जाता है. अगर मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर कोई और बात नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि देहदान महादान माना जाता है.

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देहदान करने वाले दत्त राम डोगरा ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया. वहीं, क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए जरूर आगे आएं ताकि इन अंगों से जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सके.

Intro:किसान दत्त राम डोगरा ने मरणोपरांत देहदान करने का लिया निर्णय,

मैडीकल कॉलेज नेरचौक में सभी औपचारिकताऐ की पूरीBody:एकर : अपना शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। ऐसे ही पुण्य के भागी बने है मंडी जिला के बल्ह उपमंडल के रिवालसर के रहने वाले एक किसान दत्त राम डोगरा जिन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का निर्णय लिया है। दानी दत्त राम डोगरा पुत्र सुखिया गांव सरहवार उप तहसील रिवालसर के रहने वाले हैं। उन्होंने श्री लाल बहादुर शास्त्री राजकीय मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया।
45 वर्षीय किसान दत्त राम डोगरा ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आ सकते है इस लिए उन्होंने यह निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद मिट्टी ढेर बन कर रह जाता है। यदि मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर कोई और बात नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि देहदान महादान माना जाता है। देहदान करने वाले दत्त राम डोगरा ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए।
उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया वही क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए जरूर आगे आएं। ताकि इन अंगो से जरूरतमंद लोगो की जान बचाई जा सके।Conclusion:बाइट : देहदानी दत्त राम डोगरा
Last Updated : Nov 5, 2019, 1:42 PM IST
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