करसोग: हिमाचल को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद मंदिर अपने भीतर कई रहस्य और राज छिपाए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता चला आ रहा है. इसी कड़ी में आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्य से रूबरू करवाएंगे. जहां पूजा करने के ढाई घंटों के भीतर बारिश होने लगती है.
मंडी के करसोग क्षेत्र में मौजूद मंदिरों के गहरे रहस्य आज भी लोगों को अचंभित कर देते हैं, लेकिन करसोग से करीब 40 किलोमीटर दूर खील पंचायत में पड़ने वाला अशणी शिव मंदिर ऐसी जगह पर बनाया गया है, जहां तीन खड्ड आपस में मिलते हैं. इसलिए स्थानीय लोग इस क्षेत्र को अशणी त्रिवेणी के नाम से भी पुकारते हैं.
मान्यता है कि सूखा पड़ने पर करसोग की कई पंचायतों के लोग शिव मंदिर में बारिश के लिए रुद्राभिषेक का पाठ का आयोजन करते हैं. पूर्णाहुति के दिन दूर-दूर से लोग यहां ढोल नगाड़ों के साथ बारिश की मनोकामना लिए मंदिर में एकत्रित होते हैं.
बता दें कि यज्ञ में पूर्णाहुति डालने से पहले श्रद्धालु साथ बहते तीन खड्डों के पास मंदिर तक जाने वाले रास्ते के दोनों ओर लंबी कतारें बनाकर खड़े हो जाते हैं और साथ लगते स्त्रोत से पानी की बाल्टियां एक दूसरे को पकड़ाकर हर-हर महादेव के उच्चारण के साथ शिवलिंग का अभिषेक करते हैं. शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद यज्ञ में पूर्णाहुति डाली जाती है. मान्यता है कि यज्ञ संपन्न होने के बाद ढाई घंटे के भीतर आसमान में बादल उमड़ आते हैं और बारिश होने लगती है.
पूर्णाहुति वाले दिन अशणी शिव मंदिर में कई गांवों से आई महिलाएं भजन कीर्तन करती हैं. पुजारी गोविंद राम ने जानकारी देते हुए बताया कि भगवान को प्रसन्न करने के लिए मंदिर में रुद्राभिषेक का पाठ किया जाता है. उनका कहना है कि जब भी कभी क्षेत्र में किसी भी तरह की प्राकृतिक विपदा आती है तो अशनी मंदिर ही लोगों की रक्षा करता है.
करसोग में सूखा पड़ने पर सदियों से यह परंपरा चली आ रही है, जो आज भी विज्ञान के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है. आसमान में चाहे दूर-दूर तक बादल दिखाई न दे, लेकिन मंदिर में यज्ञ संपन्न हो जाने के चंद घंटों के भीतर ही करसोग में झमाझम बारिश होने लगती है.
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