मंडी: भारत में ही नहीं अपितु पूरे विश्व में लगभग हर आदमी अपनी जिंदगी में कभी ना कभी वाहन चलाने की इच्छा व्यक्त करता है. इनमें से कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने किसी जानकार, रिश्तेदार या भाई-बहन से ड्राइविंग सीख लेते हैं, लेकिन अधिकतर लोग वाहन चलाना सीखने के लिए किसी ड्राइविंग स्कूल में अवश्य जाते हैं.
ड्राइविंग स्कूल में एक व्यावसायी ट्रेनर की मौजूदगी में लोग जल्दी गाड़ी सीख पाने में सक्षम होते हैं. मंडी जिला की बात की जाए तो यहां पर 75 के करीब ड्राइविंग स्कूल है, जो कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चलाए जा रहे हैं.
जिला में चलाए जा रहे ड्राइविंग स्कूलों में एक ही ड्राइविंग स्कूल है जिसमें सिम्युलेटर की सुविधा है. हालांकि परिवहन विभाग के नियमों के अनुसार सिम्युलेटर होना आवश्यक नहीं है.
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी मंडी संजीत सिंह ने बताया कि ड्राइविंग स्कूल खोलने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत फॉर्म भर 12 भरना जरूरी होता है. उसके बाद नियमानुसार ड्राइविंग स्कूल खोलने वाली जगह की निरीक्षण किया जाता है और मूलभूत सुविधाओं को जांचा जाता है.
'कहीं कमी पाई जाती है तो फॉर्म को रद्द कर दिया जाता है'
उन्होंने बताया कि यदि नियम अनुसार कहीं कमी पाई जाती है तो फॉर्म को रद्द कर दिया जाता है. उन्होंने कहा कि सभी मूलभूत सुविधाएं जांचने के उपरांत ही ड्राइविंग स्कूल खोलने की अनुमति दी जाती है.
उन्होंने कहा कि जिला में समय-समय पर ड्राइविंग स्कूलों की चेकिंग भी की जाती है, ताकि कोई भी स्कूल अनाधिकृत तरीके से ना चलाया गया हो. प्रशिक्षक घनश्याम ठाकुर का कहना है कि ड्राइविंग स्कूल में सरकार के नियमों के अनुसार प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग दी जाती है.
'पहले सिमुलेटर और उसके बाद रोड पर गाड़ी चलाना सिखाया जाता है'
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी मंडी संजीत सिंह का कहना है कि प्रशिक्षण के दौरान थ्योरी सेशन में ट्रैफिक रूल्स, गाड़ी के पार्ट्स की बेसिक जानकारी देने के बाद सिमुलेटर और उसके बाद रोड पर गाड़ी चलाना सिखाया जाता है, ताकि प्रशिक्षण को किसी भी तरह की दिक्कत पर आए.
प्रशिक्षक जितेंद्र कुमार का कहना है कि प्रशिक्षकों को ड्राइविंग सिखाते समय हर बेसिक जानकारी दी जाती है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षु को सीट बेल्ट, रोड साइन, ट्रैफिक साइन, मूविंग- स्टॉपिंग, पार्किंग हर जानकारी दी जाती है. उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग के दौरान प्रशिक्षुओं को गाड़ी चलाना ही नहीं अपितु राज्य व स्थानीय नियमों के अनुसार सुरक्षित वाहन चलाना सिखाया जाता है.
'50 प्रतिशत गाड़ी सीखने का मौका सिम्युलेटर पर ही मिल रहा है'
जिला के भगवती ड्राइविंग स्कूल में ड्राइविंग सीख रहे प्रशिक्षु अवंशिका ठाकुर का कहना है कि सबसे पहले उन्हें थ्योरी और उसके बाद सिमुलेटर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिससे उन्हें 50 प्रतिशत गाड़ी सीखने का मौका सिम्युलेटर पर ही मिल रहा है.
वहीं, थ्योरी और सिमुलेटर का सेशन पूरा कर चुके प्रशिक्षु नवीन कुमार का कहना है कि इन दिनों वे बाहर रोड पर गाड़ी चलाना सीख रहे हैं और सड़क पर गाड़ी चलाते समय उन्हें ट्रेनर द्वारा हर बेसिक जानकारी दी जा रही है.
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