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छोटी काशी मंडी की शिवरात्रि की कहानी, शैव वैष्णव और लोक देवताओं का होता है मिलन - himachal udate

हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला छोटी काशी के रूप में जाना जाता है. मंडी में कुल 81 मंदिर है. जिनकी संख्या वाराणसी के मंदिरों से एक अधिक है. मंडी जनपद अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए मशहूर है. महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है. पूरे भारतवर्ष सहित छोटी काशी मंडी में भी महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

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Published : Mar 10, 2021, 9:54 PM IST

Updated : Mar 11, 2021, 3:02 PM IST

मंडीः हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला छोटी काशी के रूप में जाना जाता है. मंडी में कुल 81 मंदिर हैं. जिनकी संख्या वाराणसी के मंदिरों से एक अधिक है. मंडी जनपद अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए मशहूर है. महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है. पूरे भारतवर्ष सहित छोटी काशी मंडी में भी महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस बार शिवरात्रि महोत्सव मंडी में 12 मार्च से शुरू होगा जो 7 दिनों तक चलेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मंडी के शिवरात्रि मेले का राज परिवार से गहरा नाता है, जब तक शहर में भगवान माधव राय की पालकी नहीं निकलती तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं निकाली जाती है.

शोभा यात्रा से पहले निकालती है भगवान माधव राय की पालकी

राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है, 18 वीं शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों का निधन हो गया. तब उन्होंने अपना सारा राजपाठ भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को सौंप दिया और खुद सेवक बन गए. यही कारण है कि आज भी भगवान माधव राय की पालकी, शोभा यात्रा से पहले निकाली जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन
शिवरात्रि महोत्सव की एक मान्यता यह भी है कि इसमें शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन होता है. शैव को भगवान शिव, वैष्णव को भगवान कृष्ण और लोक देवता जनपद के आराध्य देव कमरूनाग को कहा गया है. इन तीन देवताओं की अनुमति के बाद ही शिवरात्रि का महोत्सव शुरू होता है.

सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत
आजादी के बाद धीरे-धीरे सभी देशी रियासतों का विलय भारत में हो गया और राजाओं का राज पाठ भी समाप्त हो गया. राजाओं के राजपाठ की समाप्ति के बाद आज इस शिवरात्रि महोत्सव की बागडोर जिला प्रशासन के हाथों में है. जिले में सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत हैं. इनमें से 200 के करीब देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में आते हैं. वहीं कुछ देवी-देवता बिना निमंत्रण के भी शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचते हैं जो की शिवरात्रि की शोभा को बढ़ाते हैं.

पढ़ेंः- ...जब माकपा विधायक राकेश सिंघा को हाथ जोड़कर मांगनी पड़ी मंत्री सरवीण चौधरी से माफी

कोरोना काल में मनाया जाने वाला मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव हिमाचल में पहला बड़ा आयोजन होगा. 12 मार्च को शिवरात्रि महोत्सव की पहली जलेब के साथ मेले का आयोजन होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शुक्रवार यानी 12 मार्च को मेले की विधिवत शुरुआत करेंगे. वहीं 15 मार्च को दूसरी व 18 मार्च को अंतिम जलेब निकाली जाएगी. महोत्सव के दौरान 12 मार्च से 18 मार्च तक छह सांस्कृतिक संध्या होंगी. इनमें हिमाचली, पंजाबी, लोक कलाकार अपनी गायकी का जादू बिखेरेंगे.

वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो जाता है मंदिरों का शहर मंडी

देवी-देवताओं के मंडी में आगमन से मंदिरों का यह शहर वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो जाता है. यह नजारा 8 दिनों तक बना रहता है. देवलुओं की नृत्य व देव ध्वनि से मंडी शहर एक तरह से थिरकने लगता है. देवी देवताओं के मिलन का यह नजारा देखते ही बनता है. इस बार मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यत्व के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है. राज्य सरकार ने प्रदेश में स्वर्णिम हिमाचल की थीम के साथ वर्ष भर विविध कार्यक्रम करने का निर्णय लिया है. मंडी का शिवरात्रि महोत्सव भी इसी रंग से सराबोर दिखेगा.

पढ़ें: गर्मी का मौसम शुरू होते ही पांवटा साहिब में बढ़ी आइसक्रीम और जूस की डिमांड

मंडीः हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला छोटी काशी के रूप में जाना जाता है. मंडी में कुल 81 मंदिर हैं. जिनकी संख्या वाराणसी के मंदिरों से एक अधिक है. मंडी जनपद अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए मशहूर है. महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है. पूरे भारतवर्ष सहित छोटी काशी मंडी में भी महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस बार शिवरात्रि महोत्सव मंडी में 12 मार्च से शुरू होगा जो 7 दिनों तक चलेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मंडी के शिवरात्रि मेले का राज परिवार से गहरा नाता है, जब तक शहर में भगवान माधव राय की पालकी नहीं निकलती तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं निकाली जाती है.

शोभा यात्रा से पहले निकालती है भगवान माधव राय की पालकी

राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है, 18 वीं शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों का निधन हो गया. तब उन्होंने अपना सारा राजपाठ भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को सौंप दिया और खुद सेवक बन गए. यही कारण है कि आज भी भगवान माधव राय की पालकी, शोभा यात्रा से पहले निकाली जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन
शिवरात्रि महोत्सव की एक मान्यता यह भी है कि इसमें शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन होता है. शैव को भगवान शिव, वैष्णव को भगवान कृष्ण और लोक देवता जनपद के आराध्य देव कमरूनाग को कहा गया है. इन तीन देवताओं की अनुमति के बाद ही शिवरात्रि का महोत्सव शुरू होता है.

सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत
आजादी के बाद धीरे-धीरे सभी देशी रियासतों का विलय भारत में हो गया और राजाओं का राज पाठ भी समाप्त हो गया. राजाओं के राजपाठ की समाप्ति के बाद आज इस शिवरात्रि महोत्सव की बागडोर जिला प्रशासन के हाथों में है. जिले में सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत हैं. इनमें से 200 के करीब देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में आते हैं. वहीं कुछ देवी-देवता बिना निमंत्रण के भी शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचते हैं जो की शिवरात्रि की शोभा को बढ़ाते हैं.

पढ़ेंः- ...जब माकपा विधायक राकेश सिंघा को हाथ जोड़कर मांगनी पड़ी मंत्री सरवीण चौधरी से माफी

कोरोना काल में मनाया जाने वाला मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव हिमाचल में पहला बड़ा आयोजन होगा. 12 मार्च को शिवरात्रि महोत्सव की पहली जलेब के साथ मेले का आयोजन होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर शुक्रवार यानी 12 मार्च को मेले की विधिवत शुरुआत करेंगे. वहीं 15 मार्च को दूसरी व 18 मार्च को अंतिम जलेब निकाली जाएगी. महोत्सव के दौरान 12 मार्च से 18 मार्च तक छह सांस्कृतिक संध्या होंगी. इनमें हिमाचली, पंजाबी, लोक कलाकार अपनी गायकी का जादू बिखेरेंगे.

वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो जाता है मंदिरों का शहर मंडी

देवी-देवताओं के मंडी में आगमन से मंदिरों का यह शहर वाद्य यंत्रों से गुंजायमान हो जाता है. यह नजारा 8 दिनों तक बना रहता है. देवलुओं की नृत्य व देव ध्वनि से मंडी शहर एक तरह से थिरकने लगता है. देवी देवताओं के मिलन का यह नजारा देखते ही बनता है. इस बार मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यत्व के स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में विशेष धूमधाम से मनाया जा रहा है. राज्य सरकार ने प्रदेश में स्वर्णिम हिमाचल की थीम के साथ वर्ष भर विविध कार्यक्रम करने का निर्णय लिया है. मंडी का शिवरात्रि महोत्सव भी इसी रंग से सराबोर दिखेगा.

पढ़ें: गर्मी का मौसम शुरू होते ही पांवटा साहिब में बढ़ी आइसक्रीम और जूस की डिमांड

Last Updated : Mar 11, 2021, 3:02 PM IST
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