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मैनेजमेंट पर लगा बिजली बोर्ड को डूबाने का आरोप, 'ठेकेदारों से महंगी दरों पर करवाया जा रहा काम' - हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड यूनियन

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने सम्मेलन के दौरान कहा कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने 18 लाख मीटर बदले हैं. कुल 4 लाख मीटर बदले जाने अभी बाकी थे. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे बिजली बोर्ड के इन कामों की जांच करवाएं

बिजली बोर्ड प्रबंधन पर लगा बिजली बोर्ड को डूबाने का आरोप, 'ठेकेदारों से महंगी दरों पर करवाया जा रहा काम'
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Published : Aug 28, 2019, 5:29 PM IST

Updated : Aug 28, 2019, 5:59 PM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने बिजली बोर्ड के सम्मेलन में आरोप लगाया कि प्रदेश में बिजली बोर्ड के घाटे में जाने का मुख्य कारण बोर्ड प्रबंधन की मिस मैनेजमेंट है. बिजली बोर्ड में होने वाले अधिकतर कार्यों को निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है.

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कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने बोर्ड प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली के चलते आज सभी कार्य कर्मचारियों से न करवाकर महंगे दामों पर निजी कंपनियों से करवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रदेश में 25 हजार से अधिक मीटर बदलने का टेंडर जम्मू की एक कंपनी को दिया गया है. प्रति मीटर को बदलने का रेट 982 रूपये तय किया गया, जबकि मीटर का रेट ही 986 रूपए है. अब कंपनी नौनजवानों को 50 से 100 रूपए देकर मीटर बदलवाने का काम करवा रही है.

खरबाड़ा ने बताया कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने 18 लाख मीटर बदले हैं. कुल 4 लाख मीटर बदले जाने अभी बाकी थे, लेकिन बिजली बोर्ड ने अब इस ये काम ठेकेदारों के जिम्मे सौंप दिया है. इस काम पर 2.50 करोड़ खर्च किया जा रहा है, लेकिन इसकी लागत 25 लाख रुपये है.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में लगेगी स्वास्थ्य जांच शिविर, इन बच्चों को मिलेगी सुविधा

यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में 2600 रुपये में सीमेंट का एक पोल 8 हजार में खरीदा जा रहा है. 11 रूपए मीटर वाली तार को 53 रूपए में दिया जा रहा है व 15 रूपए मीटर वाली तार के 177 रूपए दिए जा रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे बिजली बोर्ड के इन कामों की जांच करवाएं. इसके साथ ही उन्होने बिजली बोर्ड में रिक्त पड़े पदों को जल्द भरने की मांग भी उठाई है.

मंडी: हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने बिजली बोर्ड के सम्मेलन में आरोप लगाया कि प्रदेश में बिजली बोर्ड के घाटे में जाने का मुख्य कारण बोर्ड प्रबंधन की मिस मैनेजमेंट है. बिजली बोर्ड में होने वाले अधिकतर कार्यों को निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है.

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कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने बोर्ड प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली के चलते आज सभी कार्य कर्मचारियों से न करवाकर महंगे दामों पर निजी कंपनियों से करवाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रदेश में 25 हजार से अधिक मीटर बदलने का टेंडर जम्मू की एक कंपनी को दिया गया है. प्रति मीटर को बदलने का रेट 982 रूपये तय किया गया, जबकि मीटर का रेट ही 986 रूपए है. अब कंपनी नौनजवानों को 50 से 100 रूपए देकर मीटर बदलवाने का काम करवा रही है.

खरबाड़ा ने बताया कि बिजली बोर्ड के कर्मचारियों ने 18 लाख मीटर बदले हैं. कुल 4 लाख मीटर बदले जाने अभी बाकी थे, लेकिन बिजली बोर्ड ने अब इस ये काम ठेकेदारों के जिम्मे सौंप दिया है. इस काम पर 2.50 करोड़ खर्च किया जा रहा है, लेकिन इसकी लागत 25 लाख रुपये है.

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यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश में 2600 रुपये में सीमेंट का एक पोल 8 हजार में खरीदा जा रहा है. 11 रूपए मीटर वाली तार को 53 रूपए में दिया जा रहा है व 15 रूपए मीटर वाली तार के 177 रूपए दिए जा रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे बिजली बोर्ड के इन कामों की जांच करवाएं. इसके साथ ही उन्होने बिजली बोर्ड में रिक्त पड़े पदों को जल्द भरने की मांग भी उठाई है.

Intro:मंडी। हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड के घाटे में जाने का मुख्य कारण बोर्ड प्रबंधन की मिसमैनेजमैंट है जिसके चलते आज बिजली बोर्ड में होने वाले अधिकतर कार्यों को निजी कंपनियों को सौंपा जा रहा है। यह बात हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने मंडी में सम्मपन्न हुए बोर्ड के सम्मेलन के दौरान कही। Body:उन्होने बोर्ड प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रबंधन की लचर कार्यप्रणाली के चलते आज सभी कार्य कर्मचारियों से न करवाकर महंगे दाम देकर निजी कंपनियों के द्वारा करवाए जा रहे हैं। उन्होने बताया कि हाल ही में प्रदेश में 25 हजार से अधिक मीटर बदलने का टेंडर जम्मू की एक कंपनी को दिया गया है। जिसमें 982 रूपए प्रति मीटर की दर से मीटर बदलने का रेट रखा गया है जबकि मीटर का रेट ही 986 रूपए का है। अब कंपनी 50 से 100 रूपए देकर नौजवानों से मीटर बदलवाने का काम करवा रही है। खरबाड़ा ने बताया कि बजली बोर्ड के कर्मचारियों ने 18 लाख मीटर बदले हैं। 4 लाख मीटर बदलने को थे लेकिन अब इसे ठेकेदारों के माध्यम से बदलवाया जा रहा है। इस कार्य पर अब 2.50 करोड खर्च किया जा रहा है जबकि लागत 25 लाख है। खरबाड़ा ने बताया कि इसी प्रकार से पूरे प्रदेश में टेंडर किए जा रहे हैं और प्रदेश के लोगों और प्रदेश के पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार से इस प्रक्रिया को बंद करने का आहवान किया है। उन्होने कहा कि प्रदेश में 2600 का सिमेंट का एक पोल 8 हजार में खरीदा जा रहा है। 11 रूपए मीटर वाली तार को 53 रूपए में दिया जा रहा है व 15 रूपए मीटर वाली तार के 177 रूपए दिए जा रहे हैं। उन्होने प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि वे बिजली बोर्ड के इस प्रकार के कार्य की जांच करें। इसके साथ ही उन्होने बिजली बोर्ड में रिक्त पड़े 7 हजार के लगभग पदों को जल्द भरने की मांग भी उठाई है। यूनियन ने प्रदेश में आउटसोर्स भर्तियों पर प्रतिबंध लगाने और न्यू पेंशन स्कीम को भी बंद करने का आहवान किया है।
बाइट - कुलदीप सिंह खरबाड़ा, प्रदेश अध्यक्ष, एच.पी.एस.ई.वी.ई. यूनियन

Conclusion:मंडी में आयोजित सम्मेलन में मंडी इकाई का प्रधान टिक्कम सिंह, सचिव हिमांशु, सीनियर वाइस प्रेजिडेंट सुरज सिंह, वाइस प्रेजिडेंट ज्योति शर्मा, सीमा देवी, कुंदन लाल, संत राम, रमेश चंद, ओम प्रकाश, राकेश कुमार, संयुक्त सचिव मुनी लाल, ललित कुमार, मदन सिंह, वित सचिव राजेंद्र कुमार, संगठन सचिव दलीप राव व प्रैस सचिव हरीश कुमार को बनाया गया।
Last Updated : Aug 28, 2019, 5:59 PM IST
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