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जंगलों में आगजनी की घटनाएं रोकने के लिए वन मंडल की अनूठी पहल, सूचना देने वाले को मिलेगा इनाम

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Published : Jun 7, 2019, 10:18 AM IST

जंगलों में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए करसोग वन मंडल ने नई पहल की है. वन मंडल द्वारा आगजनी की सूचना देने वाले व्यक्ति को इनाम दिया जाएगा और सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम भी गुप्त रखा जाएगा.

कॉन्सेप्ट इमेज.

मंडी: प्रदेश में लगातार जंगलों में आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं. आगजनी की घटनाओं में वन संपदा को भारी नुकसान होने के साथ-साथ भीषण गर्मी में तापमान में बढ़ोतरी होने पर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन घटनाओं को रोकने के लिए करसोग वनमंडल ने नया कदम उठाया है.

करसोग वनमंडल अब जंगलों में आग लगाने वाले लोगों की सूचना देने पर ऐसे व्यक्ति को उचित धन राशि देकर सम्मानित करेगा. वनमंडल द्वारा सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा. वन विभाग का मानना है कि जंगलों में प्राकृतिक तरीके से आग लगने की घटनाएं न के बराबर होती है. आग लगने की अधिकतर घटनाएं इंसानों की वजह से होती हैं.

डीएफओ, वन मंडल, करसोग (वीडियो).

करसोग वन मंडल के डीएफओ आरके शर्मा ने बताया कि जंगलों में आग लगने की 98 फीसदी घटनाएं लोगों की लापरवाही से होती हैं. कभी भी नेचुरल सिस्टम से आग नहीं लगती है. जंगलों में आग लगाने वाले व्यक्ति की सूचना देने वाले व्यक्ति को उचित धनराशि देकर सम्मानित किया जाएगा और ऐसे व्यक्ति का नाम भी गुप्त रखा जाएगा.

आखिर कैसे लगती है आग?

आग लगने और इसके फैलने में मौसम की भी बहुत भूमिका होती है. कम बारिश सूखे का कारण बनती है, इससे तापमान बढ़ता है और गर्म हवाएं जंगलों में आग लगने के लिए अनुकूल माहौल बना देती है.

ये भी पढ़ें: रामपुर में आग लगने से 2 मंजिला मकान जलकर राख, 2 गाय 8 भेड़ें जिंदा जले

कुछ लोग आदतन धूम्रपान का लुत्फ लेते समय जलती हुई सिगरेट, बीड़ी के टुकड़े या माचिस की तीली जंगल में फेंक देते हैं, जो जंगलों में पड़े हुए सूखे कचरे के संपर्क में आकर भीषण आग का कारण बन जाते हैं. इसी तरह से अलाव को जलता हुआ छोड़ना भी आग लगने का एक कारण है.

मंडी: प्रदेश में लगातार जंगलों में आगजनी की घटनाएं सामने आ रही हैं. आगजनी की घटनाओं में वन संपदा को भारी नुकसान होने के साथ-साथ भीषण गर्मी में तापमान में बढ़ोतरी होने पर लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इन घटनाओं को रोकने के लिए करसोग वनमंडल ने नया कदम उठाया है.

करसोग वनमंडल अब जंगलों में आग लगाने वाले लोगों की सूचना देने पर ऐसे व्यक्ति को उचित धन राशि देकर सम्मानित करेगा. वनमंडल द्वारा सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा. वन विभाग का मानना है कि जंगलों में प्राकृतिक तरीके से आग लगने की घटनाएं न के बराबर होती है. आग लगने की अधिकतर घटनाएं इंसानों की वजह से होती हैं.

डीएफओ, वन मंडल, करसोग (वीडियो).

करसोग वन मंडल के डीएफओ आरके शर्मा ने बताया कि जंगलों में आग लगने की 98 फीसदी घटनाएं लोगों की लापरवाही से होती हैं. कभी भी नेचुरल सिस्टम से आग नहीं लगती है. जंगलों में आग लगाने वाले व्यक्ति की सूचना देने वाले व्यक्ति को उचित धनराशि देकर सम्मानित किया जाएगा और ऐसे व्यक्ति का नाम भी गुप्त रखा जाएगा.

आखिर कैसे लगती है आग?

आग लगने और इसके फैलने में मौसम की भी बहुत भूमिका होती है. कम बारिश सूखे का कारण बनती है, इससे तापमान बढ़ता है और गर्म हवाएं जंगलों में आग लगने के लिए अनुकूल माहौल बना देती है.

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कुछ लोग आदतन धूम्रपान का लुत्फ लेते समय जलती हुई सिगरेट, बीड़ी के टुकड़े या माचिस की तीली जंगल में फेंक देते हैं, जो जंगलों में पड़े हुए सूखे कचरे के संपर्क में आकर भीषण आग का कारण बन जाते हैं. इसी तरह से अलाव को जलता हुआ छोड़ना भी आग लगने का एक कारण है.


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From: rashmi raj <rashmiraj.51009@gmail.com>
Date: Fri, Jun 7, 2019, 8:37 AM
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To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


जंगलों में आग लगाने की सूचना दो, वन विभाग आपको देगा ये ईनाम

जंगलों को आगजनी से रोकने के लिए करसोग वन मंडल की नई पहल, सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम भी रखा जाएगा गुप्त।

करसोग

करसोग वनमंडल ने जंगलों में लगातार बढ़ रही आगजनी की घटनाओं को रोकने की दिशा में नया कदम बढ़ाया है। अब जंगलों में आग लगाने  वाले लोगों की सूचना देने पर ऐसे व्यक्ति को उचित धन राशि देकर सम्मानित किया जाएगा। यही नहीं  लोगों के बीच आपसी रंजिश ने बढ़े इसके लिए सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा। वन विभाग कस मानना है कि जंगलों में प्राकृतिक तरीके से आग लगने की घटनाएं न के बराबर होती है।  आग लगने की अधिकतर घटनाएं इंसानों की वजह से होती हैं, इसमें आगजनी, कैम्पफ़ायर, बिना बुझी सिगरेट फेंकना, जलता हुआ कचरा छोड़ना या फिर खेतों और घासनियों में आग लगाते वक्त कारण जंगल आग की चपेट में आते हैं। इस तरह की लापरवाही बरतने वाले लोगों पर लगाम कसने के लिए वन विभाग ने ये सहरानीय पहल की है। करसोग वन मंडल के डीएफओ आरके शर्मा का कहना है कि जंगलों में आग लगने की  98 फीसदी घटनाएं लोगों की लापरवाही से होती हैं। कभी भी नेचुरल सिस्टम से आग नहीं लगती है। इसलिए जो भी  आग लगाने वाले व्यक्ति की सूचना देगा, उसे उचित धन राशि देकर सम्मानित किया जाएगा और ऐसे व्यक्ति का नाम भी गुप्त रखा जाएगा।

 आखिर कैसे लगती है आग:

आग लगने और इसके फैलने में मौसम की भी बहुत भूमिका है. कम बारिश सूखे का कारण बनती है, इससे तापमान बढ़ता है और गर्म हवाएं जंगलों में आग लगने के लिए अनुकूल माहौल बना देती हैं।
गर्मी के महीनों में चीड़ सहित सभी वृक्षों की पत्तियां झड़ती  हैं। वनों में इकट्ठा इन पत्तियों के ढेर आग के मुख्य स्रोत होते हैं। पूरे वन में फैली हुई चीड़ की सूखी पत्तियों की चादर एक से दूसरे छोर तक आग के बेरोकटोक फैलने का काम आसान कर देती है। इसके अलावा धूम्रपान वनों में आग लगने के लिए ज़िम्मेदार मानवीय कारणों में से एक है। कुछ लोग आदतन धूम्रपान का लुत्फ लेते समय जलती हुई सिगरेट, बीड़ी के टुकड़े या माचिस की तीली जंगल में फेंक देते हैं, जो जंगलों में पड़े हुए सूखे कचरे के संपर्क में आकर भीषण आग का कारण बन जाते हैं। इसी तरह से अलाव को जलता हुआ छोड़ना भी आग लगने का एक कारण है।  ऐसा भी अंदेशा है कि जंगली जानवर वनों से सटे खेतों की खड़ी फसल को तहस-नहस करते हैं इसलिए इन्हें मारने के लिए भी जंगलों में आग लगाई जा सकती है। 

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