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सराजी लोग खेतों में व्यस्त, किसान मल्हेति तो बागवान तौलिया व प्रूनिंग में डटे

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Published : Dec 7, 2020, 5:19 PM IST

सराज घाटी के किसान और बागवान इन दिनों अपने खेतों में कृषि एवं बागवानी के कार्यों में व्यस्त है. सराज के ऊंचाई और बर्फ वाले क्षेत्रों में इन दिनों किसान अपने खेतों में गोबर की देसी खाद के ढुलवान में व्यस्त है.

Women in malheti
मल्हेति में लगी महिलाएं

सराज: देश में चल रहे किसान आंदोलन से बेखबर सराज घाटी के किसान और बागवान इन दिनों अपने खेतों में कृषि एवं बागवानी के कार्यों में व्यस्त है. सराज के ऊंचाई और बर्फ वाले क्षेत्रों में इन दिनों किसान अपने खेतों में गोबर की देसी खाद के ढुलवान में व्यस्त है.

मल्हेति का आयोजन

कृषक प्रेम सिंह ने बताया कि दिसंबर मास में गोबर की खाद को खेतों में पंहुचाने के लिए लोग मल्हेति का आयोजन कर रहे हैं. मल्हेति में गांव के सभी लोग एकत्र होकर लकड़ी या प्लास्टिक के किलटों में गोबर ढोते हैं. इस दौरान कई स्थानों पर बाकायदा ढोल नगाड़ों के साथ मल्हेति का आयोजन किया जाता है.

Women in malheti
कृषि एवं बागवानी के कार्यों में व्यस्त महिलाएं.

रात में परोसे जाते हैं विशेष पकवान

किसान रणजीत सिंह ने बताया कि गोबर ढोने के बाद रात्रि भोजन के दौरान मल्हेतुओं को विशेष पकवान परोसे जाते हैं. इस दौरान सराज के थाटा, बुंगजहलगाड, सोमगाड़, शीलहिबागी, बागाचनोगी व जंजैहली जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के हर गांव मे मल्हेति का आयोजन किया जा रहा है.

खेतों में गोबर फसल के लिए लाभदायक

दिसंबर में खेतों में गोबर की आपूर्ति को किसान आगामी फसल के लिए काफी लाभदायक मानते है. इस दौरान सेब बहुल इलाकों में बागवान अपने बागीचों में तौलिया बनाने के कार्य में भी जुटे हैं. कई स्थानों पर सेब के बगीचों में विंटर प्रूनिंग के कार्यों को भी अंजाम दिया जा रहा है. सराज घाटी की विविध भौगोलिक स्थिति के चलते ऊपरी क्षेत्रों के विपरीत कम ऊंचाई वाले इलाकों में किसान मटर की बिजाई में व्यस्त है.

नाशपाती की विंटर प्रूनिंग में व्यस्त

कृषक बिशन सिंह ने बताया कि वो एक सप्ताह से मटर की बिजाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी फसल अप्रैल मास के निकलनी शुरू हो जाएगी. वहीं, निचले क्षेत्रों के बागवान प्लम और नाशपाती की विंटर प्रूनिंग में व्यस्त है.

प्रूनिंग के बाद तौलिए का काम होगा शुरू

बागवानों का कहना है कि प्लम की प्रूनिंग के तुरंत बाद इसके पेड़ों की तौलिया व खाद वितरण का कार्य शुरू किया जाएगा. किसानों व बागवानों का मानना है कि वे आमतौर पर अपने कार्यों में ही व्यस्त रहते हैं. अन्य झमेलों के लिए उनके पास समय ही नहीं निकल पाता है.

ये भी पढ़ें: पांवटा साहिब में सीएम जयराम ने 94 करोड़ की दी सौगात, एक साल में पूरे होंगे सभी काम

सराज: देश में चल रहे किसान आंदोलन से बेखबर सराज घाटी के किसान और बागवान इन दिनों अपने खेतों में कृषि एवं बागवानी के कार्यों में व्यस्त है. सराज के ऊंचाई और बर्फ वाले क्षेत्रों में इन दिनों किसान अपने खेतों में गोबर की देसी खाद के ढुलवान में व्यस्त है.

मल्हेति का आयोजन

कृषक प्रेम सिंह ने बताया कि दिसंबर मास में गोबर की खाद को खेतों में पंहुचाने के लिए लोग मल्हेति का आयोजन कर रहे हैं. मल्हेति में गांव के सभी लोग एकत्र होकर लकड़ी या प्लास्टिक के किलटों में गोबर ढोते हैं. इस दौरान कई स्थानों पर बाकायदा ढोल नगाड़ों के साथ मल्हेति का आयोजन किया जाता है.

Women in malheti
कृषि एवं बागवानी के कार्यों में व्यस्त महिलाएं.

रात में परोसे जाते हैं विशेष पकवान

किसान रणजीत सिंह ने बताया कि गोबर ढोने के बाद रात्रि भोजन के दौरान मल्हेतुओं को विशेष पकवान परोसे जाते हैं. इस दौरान सराज के थाटा, बुंगजहलगाड, सोमगाड़, शीलहिबागी, बागाचनोगी व जंजैहली जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों के हर गांव मे मल्हेति का आयोजन किया जा रहा है.

खेतों में गोबर फसल के लिए लाभदायक

दिसंबर में खेतों में गोबर की आपूर्ति को किसान आगामी फसल के लिए काफी लाभदायक मानते है. इस दौरान सेब बहुल इलाकों में बागवान अपने बागीचों में तौलिया बनाने के कार्य में भी जुटे हैं. कई स्थानों पर सेब के बगीचों में विंटर प्रूनिंग के कार्यों को भी अंजाम दिया जा रहा है. सराज घाटी की विविध भौगोलिक स्थिति के चलते ऊपरी क्षेत्रों के विपरीत कम ऊंचाई वाले इलाकों में किसान मटर की बिजाई में व्यस्त है.

नाशपाती की विंटर प्रूनिंग में व्यस्त

कृषक बिशन सिंह ने बताया कि वो एक सप्ताह से मटर की बिजाई कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी फसल अप्रैल मास के निकलनी शुरू हो जाएगी. वहीं, निचले क्षेत्रों के बागवान प्लम और नाशपाती की विंटर प्रूनिंग में व्यस्त है.

प्रूनिंग के बाद तौलिए का काम होगा शुरू

बागवानों का कहना है कि प्लम की प्रूनिंग के तुरंत बाद इसके पेड़ों की तौलिया व खाद वितरण का कार्य शुरू किया जाएगा. किसानों व बागवानों का मानना है कि वे आमतौर पर अपने कार्यों में ही व्यस्त रहते हैं. अन्य झमेलों के लिए उनके पास समय ही नहीं निकल पाता है.

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