मंडी: हिमाचल प्रदेश सहित इस बार मंडी जिले में भी इस बार बरसात ने भारी तबाही मचाई है. मंडी जिले की सुकेती खड्ड में आई बाढ़ से भी काफी नुकसान हुआ है. मंडी जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों के हजारों किसानों को हर साल पानी और दंश देने वाली सुकेती खड्ड का आज दिन तक चैनलाइजेशन नहीं हो पाया है. आज भी यह खड्ड हर साल बरसात के मौसम में जमकर तबाही मचाती है. किसानों की उपजाऊ भूमि को तबाह करके फिर से शांत हो जाती है.
सुकेती खड्ड की तबाही: मंडी जिले के सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र से शुरू होने वाली सुकेती खड्ड नाचन और बल्ह से होती हुई मंडी सदर विधानसभा क्षेत्र आकर ब्यास नदी में मिल जाती है. इस खड्ड के प्रकोप से हर साल बल्ह घाटी के किसान सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. बीबीएमबी द्वारा भी झील से निकलने वाली सारी सिल्ट सुकेती खड्ड में फेंकी जा रही है, जिसका खामियाजा यहां के किसानों को भुगतना पड़ता है. इस बार के बरसात के मौसम में भी सुकेती खड्ड ने अपना भयंकर वाला रौद्र रूप दिखाया और किसानों की हजारों बीघा भूमि को बहा कर ले गई.
किसानों का झलका दर्द: हिमाचल किसान यूनियन के प्रधान सीता राम वर्मा ने बताया कि हर साल सुकेती खड्ड बल्ह घाटी में जमकर तबाही मचाती है. खड्ड चैनलाइजेशन न होने के चलते अपने तेज बहाव में किसानों की उपजाऊ भूमि भी बहा ले जाती है. जिससे किसानों को हर साल भारी नुकसान झेलना पड़ता है. किसान धर्मचंद चौधरी और भारत भूषण ने बताया कि वे लंबे समय से सुकेती खड्ड के चैनलाइजेशन की बातें सुनते आ रहे हैं, लेकिन अब तक इसे लेकर कोई भी काम नहीं होगा. कई बार प्रदेश सरकारों के सामने इस मामले को रखा गया, लेकिन इसका काम बहुत ही धीमी गति से काम किया जा रहा है. इन्होंने सरकारों से इस विषय में तेजी लाने की गुहार लगाई है, ताकि उनकी जमीनों का कटाव होने से रुक जाए और उन्हें और ज्यादा नुकसान न झेलना पड़े.
सुकेती खड्ड के DPR को मिली केंद्र की मंजूरी: वहीं, जब इस बारे में बल्ह से भाजपा के विधायक इंद्र सिंह गांधी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सुकेती खड्ड के चैनलाईजेशन के लिए 485 करोड़ की डीपीआर को केंद्र सरकार की मंजूरी के लिए भेजी गई है. जैसे ही इसके लिए बजट का अलॉटमेंट हो जाएगा वैसे ही इसका निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. इसके लिए उन्होंने पूर्व सीएम जयराम ठाकुर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया. उन्होंने कहा कि सुकेती खड्ड का चैनलाइजेशन होना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह हर साल किसानों को भारी नुकसान पहुंचा रही है.
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