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अब नहीं उखड़ेंगी कोरोना मरीजों की सांसे! मेडिकल कॉलेज नेरचौक में ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार - Mandi latest news

मंडी जिला के सबसे बड़े अस्पताल श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में केंद्र सरकार के माध्यम से ऑक्सीजन प्लांट किया गया. हिमाचल प्रदेश के 7 विभिन्न अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए हैं. मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन तैयार करेगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन अनुबंध पर कर्मचारी नियुक्त करेगा. इससे सीधी ऑक्सीजन मरीज के बिस्तर तक जाएगी.

oxygen plant set up at medical college nerchowk in mandi
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Published : Apr 16, 2021, 5:45 PM IST

सुंदरनगर/मंडीः केंद्र सरकार के माध्यम से मंडी जिला के सबसे बड़े अस्पताल श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अब हर बेड पर मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी. इसके तहत नेरचौक मेडिकल कॉलेज में अपना ऑक्सीजन प्लांट लगभग तैयार हो गया है और जल्द ही ये काम करना शुरू कर देगा.

वहीं, जिला के अन्य डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर (डीसीसीसी) के लिए भी अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था विभाग ने कर ली है. बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा कोरोना संक्रमण को देखते हुए संपूर्ण देश में 150 नए ऑक्सीजन प्लांटस तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश के 7 विभिन्न अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए हैं.

वीडियो.

एक करोड़ की लागत से स्थापित किया गया ऑक्सीजन प्लांट

मंडी में 600 से अधिक मामले कोरोना संक्रमण के हैं. अधिकतर मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है. इससे पहले लगभग डेढ़ वर्ष मेडिकल कॉलेज नेरचौक बतौर डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के तौर पर भी कार्य कर चुका है और अनलॉक होने के बाद हाल ही में इसमें दोबारा ओपीडी शुरू कर दी गई थी. पहले नेरचौक मेडिकल कॉलेज में मैनीफॉल्ड प्लांट से सिलेंडर को जोड़कर ऑक्सीजन देने की व्यवस्था थी, जिसमें खामियां थी. इसके बाद अब यहां पर एक करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट बना दिया है. इससे नेरचौक में अब ऑक्सीजन तैयार होगी.

क्या हैं ऑक्सीजन प्लांट की खूबियां

मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन तैयार करेगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन अनुबंध पर कर्मचारी नियुक्त करेगा. इससे सीधी ऑक्सीजन मरीज के बिस्तर तक जाएगी. वहीं, बीबीएमबी और सीएचसी रत्ती अस्पताल जिन्हें डीसीसीसी बनाया जा गया है, वहां भी 100 सिलेंडर की व्यवस्था है. अगर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को अतिरिक्त व्यवस्था करने के आदेश भी दिए गए हैं, जिससे अगर अन्य अस्पतालों में मरीज रखें जाएं तो वहां पर ऑक्सीजन देने में कोई दिक्कत न हो.

ये भी पढ़ें: MC सोलनः मेयर-डिप्टी मेयर की सीट पर कांग्रेस का कब्जा, काम नहीं आई BJP की रणनीति

सुंदरनगर/मंडीः केंद्र सरकार के माध्यम से मंडी जिला के सबसे बड़े अस्पताल श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में अब हर बेड पर मरीजों तक ऑक्सीजन पहुंचाई जाएगी. इसके तहत नेरचौक मेडिकल कॉलेज में अपना ऑक्सीजन प्लांट लगभग तैयार हो गया है और जल्द ही ये काम करना शुरू कर देगा.

वहीं, जिला के अन्य डेडिकेटेड कोविड केयर सेंटर (डीसीसीसी) के लिए भी अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था विभाग ने कर ली है. बता दें कि केंद्र सरकार के द्वारा कोरोना संक्रमण को देखते हुए संपूर्ण देश में 150 नए ऑक्सीजन प्लांटस तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश के 7 विभिन्न अस्पतालों में भी ऑक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए गए हैं.

वीडियो.

एक करोड़ की लागत से स्थापित किया गया ऑक्सीजन प्लांट

मंडी में 600 से अधिक मामले कोरोना संक्रमण के हैं. अधिकतर मरीजों को होम आइसोलेशन में रखा गया है. इससे पहले लगभग डेढ़ वर्ष मेडिकल कॉलेज नेरचौक बतौर डेडिकेटेड कोविड अस्पताल के तौर पर भी कार्य कर चुका है और अनलॉक होने के बाद हाल ही में इसमें दोबारा ओपीडी शुरू कर दी गई थी. पहले नेरचौक मेडिकल कॉलेज में मैनीफॉल्ड प्लांट से सिलेंडर को जोड़कर ऑक्सीजन देने की व्यवस्था थी, जिसमें खामियां थी. इसके बाद अब यहां पर एक करोड़ रुपये की लागत से ऑक्सीजन प्लांट बना दिया है. इससे नेरचौक में अब ऑक्सीजन तैयार होगी.

क्या हैं ऑक्सीजन प्लांट की खूबियां

मेडिकल कॉलेज नेरचौक में स्थापित ऑक्सीजन प्लांट 500 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन तैयार करेगा. इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रशासन अनुबंध पर कर्मचारी नियुक्त करेगा. इससे सीधी ऑक्सीजन मरीज के बिस्तर तक जाएगी. वहीं, बीबीएमबी और सीएचसी रत्ती अस्पताल जिन्हें डीसीसीसी बनाया जा गया है, वहां भी 100 सिलेंडर की व्यवस्था है. अगर कोरोना संक्रमण के मामले बढ़े तो ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को अतिरिक्त व्यवस्था करने के आदेश भी दिए गए हैं, जिससे अगर अन्य अस्पतालों में मरीज रखें जाएं तो वहां पर ऑक्सीजन देने में कोई दिक्कत न हो.

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