करसोग: न्यूजीलैंड में नवनिर्वाचित युवा सांसदों में से एक डॉक्टर गौरव शर्मा ने देश की संसद में संस्कृत में शपथ ली है. डॉ शर्मा (33) का संबंध हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से है. हाल ही में वह न्यूजीलैंड के हैमिल्टन वेस्ट से लेबर पार्टी के सांसद चुने गए हैं.
गौरव शर्मा का पांगणा से है खास नाता
डॉक्टर गौरव शर्मा के परिवार का करसोग उपमंडल के पांगणा से भी अटूट नाता है. पांगणा के राकणी उप गांव के सेवानिवृत खण्ड शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र गुप्ता के मुताबिक गौरव शर्मा के दादा बीरबल शर्मा ने साल 1964 में राकणी से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर सेब का बगीचा लगाया था. उन्होंने दूसरा बगीचा बिठरी डही के पास और तीसरा बगीचा सोरता पंचायत के अंतर्गत खणयोग में स्थापित किया था.
देश और प्रदेश का बढ़ाया मान
पांगणा के समीपस्थ गांव लुच्छाधार(सेरी) से संबंध रखने वाले सेवादास कहते हैं कि उनका परिवार पिछले पांच दशक से गौरव शर्मा के परिवार से जुड़ा है. संस्कृत में शपथ लेने पर सेवादास ने कहा कि इससे राष्ट्र प्रेम के साथ राष्ट्र भाषा का प्रेम भी स्पष्ट होता है. सुकेत संस्कृति साहित्य एवं जन कल्याण मंच पांगणा के अध्यक्ष डॉक्टर हिमेन्द्र बाली का कहना है कि डॉक्टर गौरव शर्मा ने न्यूजीलैंड की राजनीति में पदार्पण कर अपनी मातृ भाषा संस्कृत में शपथ लेकर भारत देश के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन कर एक अनूठी मिसाल पेश की.
हर भारतीय को किया है गौरवान्वित
व्यापार मंडल पांगणा के अध्यक्ष सुमित गुप्ता का कहना है कि डॉक्टर गौरव का यह राष्ट्र प्रेम भारत के राजनीतिज्ञों के लिए एक प्रेरक प्रसंग है. सरही निवासी घनश्याम शास्त्री का कहना है कि भारत के हर कोने में अंग्रेजी में लिखने बोलने वाले को पढ़ा लिखा आदमी समझा जाता है, जबकि आर्यावर्त की पहचान संस्कृत भाषा से होती है. विज्ञान अध्यापक पुनीत गुप्ता का कहना है की डॉक्टर गौरव की यह अभिव्यक्ति संस्कृत और संस्कार की गहरी संवेदना से जुड़ी है जो समस्त 'आधुनिक' भारतीयों को एक नई दिशा प्रदान करती है.
डॉक्टर जगदीश शर्मा का कहना है कि मंडी जिला की ऐतिहासिक नगरी पांगणा से भी अटूट सम्बंध रखने वाले डॉ. गौरव शर्मा ने न्यूजीलैंड की संसद में सांसद के रूप में संस्कृत भाषा में शपथ ग्रहण कर सच्चा भारतीय होने का परिचय दिया है.