मंडीः देव परंपरा का समागम अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव अपने आप में अनूठा है. रियासतों के दौर में शुरू हुआ यह पर्व आज भी बेहद ही उत्साह से मनाया जाता है. रजवाड़ा शाही का दौर तो खत्म हो गया है, लेकिन मंडी के राजा के बहेड़े में सदियों पुरानी परंपरा को आज भी सात देवियां निभा रही हैं.
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने वाली ये देवियां मंडी जिला के अलग-अलग स्थानों से मंडी नगर में पहुंचती तो हैं, लेकिन राजा के बहेड़े से बाहर नहीं निकलती. 7 दिन तक यह देवियां यहीं पर घूंघट में वास करती हैं. हर दिन इन देवियों के दर्शनों को हजारों लोग पहुंचते हैं और आशीष लेते हैं.
इसके पीछे मान्यता है कि रियासतों के दौर में रानियां शिवरात्रि महोत्सव के दौरान बाहर नहीं निकलती थी तो राजा ने इन देवियों को यहां पर निमंत्रण देकर स्थान दिया था. देवियों के पुजारी का कहना है कि परंपरा को आज भी पूर्व की भांति ही निभाया जा रहा है.
देवियां आज भी शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करने तो आती हैं, लेकिन राजा के बहेड़े से बाहर नहीं निकलती है. पुजारी का कहना है कि राजाओं के दौर में जब यह देवियां यहां पर आती थी तो रानियां अपना सुख-दुख इनके साथ बांटती थी. देवियां घूंघट में रहती हैं इसीलिए इन्हें नरोल देवी भी कहा जाता है.