मंडीः लोकसभा चुनाव दहलीज पर आते ही टिकट को लॉबिंग का दौर शुरू हो गया है. इस बीच सासंद रामस्वरुप ने टिकट लॉबिंग को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगा दिया है. मंडी संसदीय क्षेत्र से सासंद रामस्वरुप शर्मा ने कहा कि भाजपा में व्यक्ति विशेष चुनाव नहीं लड़ता, पार्टी चुनाव लड़ती है.
उन्होंने कहा कि टिकट मांगना कार्यकर्ता का हक है. इसमें मेरा कोई विरोध नहीं है. पार्टी हाइकमान का निर्णय सबको मान्य है. उन्होंने कहा कि बतौर सासंद मैं अपने दायित्व का निर्वहन कर रहा हूं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए सासंद रामस्वरूप शर्मा ने कहा कि मंडी से पहले राजा रानियां ही सासंद रही हैं, लेकिन कुछ काम नहीं हुआ. पिछले साढ़े तीन साल प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने से उन्होंने केंद्र के काम धरातल स्तर में उतरने नहीं दिए. अब जयराम सरकार बनी है तो विकास कार्य व योजनाएं अंतिम पायदान पर बैठे लोगों तक पहुंच रहे हैं. नमक खान, मेडिकल कॉलेज, मेडिकल यूनिवर्सिटी, क्लस्टर यूनिवर्सिटी समेत कई बड़ी योजनाएं चालू हो रही हैं. नमक खान को प्रदेश सरकार अधिग्रहण कर रही है.
रामस्वरूप शर्मा ने चार साल की उपलब्धियों को गिनाते हुए इनके धरातल स्तर पर लागू होने का दावा किया है. उन्होंने गोद लिए मनाली गांव की स्थिति पर कहा कि आदर्श गांव की परिभाषा को मीडिया व लोगों ने गलत तरीके से लिया है. उन्होंने ओल्ड मनाली व सिमस को गोद लिया है. उन्होंने कहा कि आदर्श गांव का मतलब लोगों के सहयोग के साथ गांव को आगे बढ़ाना है. इसके लिए करोड़ों की धनराशि भी जारी की गई है.
मंडी के सीमांत जिला में चौथे वर्ष सक्रिय होने के आरोप पर उन्होंने कहा कि यह आरोप निराधार है. उन्होंने कहा कि पूर्व में रहे सासंद राजा रानी रहे हैं. उनसे मिलने को जनता को चक्कर काटने पढ़ते थे, लेकिन मैं खुद जनता के द्वार पहुंचा हूं. हर विधानसभा क्षेत्र में कई दौरे हुए हैं व जनता से सीधा संवाद हुआ है. उनकी मांगों व समस्याओं को जाना व समझा है और इन्हें सुलझाया भी है.
बता दें कि जोगिंद्रनगर विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखने वाले रामस्वरूप शर्मा ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को जोरदार टक्कर देते हुए पिछले लोकसभा चुनाव में मात दी थी. रामस्वरूप शर्मा की भारी मतों से जीत ने सबको हैरान कर दिया था. अब भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुख राम के पोते आश्रय टिकट की मांग कर रहे हैं. हालांकि सासंद रामस्वरूप शर्मा ने इसे कार्यकर्ता का हक बताया है और हाईकमान को सर्वोपरि बताया है.