मंडी: सूबे में कांग्रेस की सरकार बनते ही जारी तमाम विकास कार्यों को फुल स्टाप लग गया है और अधिकारी भी विकास कार्यों के लिए बजट न होने का ही रोना रो रहे हैं. जिससे आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन, सरकार केवल संस्थानों को बंद करने और बजट को समय से पहले ही वापिस लेने में ही लगी हुई है. यह आरोप मंडी जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा ने प्रदेश सरकार पर लगाए हैं.
उन्होंने मंडी में संपन्न हुई त्रैमासिक बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पत्रकारों से अनौपचारिक वार्ता में कहा कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को तीन महीने से ज्यादा का समय हो गया, लेकिन सरकार ने आते ही ग्रामीण विकास कार्यों के बजट को तुगलकी फरमान जारी करते हुए रोक दिया है. उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के फंड की दो किस्तें रोक दी गई हैं और सभी विभागों के बजट को समय से पहले की वापिस ले लिया गया है, जो कि सही नहीं है.
पाल वर्मा ने कहा कि मार्च तक सभी प्रकार के टेंडर बंद होने से मंडी जिला में सभी प्रकार के विकास कार्यों को फुल स्टॉप लग गया है. वहीं, पूरे हो चुके विकास कार्यों के रुपयों का भुगतान भी न होने से बीते छह महीने से विकास कार्य ठप हो गए हैं. उन्होंने बताया कि सभी प्रकार के बजट में कटौती से जिला परिषद सदस्यों में रोष है, जिसके लिए प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश सरकार में मांग उठाई है कि विभिन्न प्रकार के विकास कार्यों में 20 प्रतिशत कार्य जिला परिषद की कंसेट के आधार पर हो.
बैठक में रुके हुए विकास कार्यों को किसी भी सूरत में पूरा करने के सख्त निर्देश भी अधिकारियों को दिए गए है. वहीं, बैठक में नदारद रहने वाले अधिकारियों को नोटिस भेजा गया है. इसके साथ ही जिला परिषद मंडी की लगभग छः महीने बाद हुई त्रैमासिक बैठक में आने वाले वर्ष के लिए पारित होने वाले बजट के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई. बैठक में एडीसी निवेदिता नेगी सहित अन्य अधिकारी व जिला परिषद सदस्य मौजूद रहे.
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