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फिल्म की कहानी से प्रेरित होकर किया देहदान, मरने के बाद कई लोगों को देकर जाएंगे जीवनदान

मंडी के वरिष्ठ नागरिक चांद सिंह ठाकुर ने बॉलीवुड फिल्म से प्रेरित हो कर देहदान का फैसला लिया है. हिमाचल ग्रामीण बैंक से प्रबंधक पद से सेवानिवृत 61 वर्षीय चांद सिंह ठाकुर ने मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में देहदान की प्रक्रिया को पूरा किया है.

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Published : Sep 3, 2019, 5:35 PM IST

मंडीः 1985 में बनी बॉलीवुड फिल्म को देखकर प्रेरित हुए मंडी के खलियार निवासी चांद सिंह ठाकुर ने देहदान का फैसला लिया है. 61 वर्षीय चांद सिंह ठाकुर की देह मरणोपरांत नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखी जाएगी. इसके लिए उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं.

चांद सिंह ठाकुर मूलत कांगड़ा जिला के पालमपुर के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले 30 वर्षों से मंडी शहर में रह रहे हैं. चांद सिंह ठाकुर हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक से प्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए हैं. उनकी बेटी ने भी पिता के इस फैसले को सराहा है.

वीडियो

चांद सिंह ठाकुर ने बताया कि वर्ष 1985 में उन्होंने एक बॉलीवुड फिल्म देखी थी. फिल्म में नेत्र दान के जरिए एक युवक का आई ट्रांसप्लांट हुआ था. फिल्म का यह सीन चांद सिंह ठाकुर के जहन में इस कद्र बैठ गया कि उन्होंने उसी दिन देहदान का मन बना लिया. चांद सिंह ठाकुर ने अब देहदान का पंजीकरण करवाकर अपने मन की इच्छा को पूरा किया है. इस बारे में उन्होंने सभी रिश्तेदारों को सूचित भी कर दिया है.

चांद सिंह ठाकुर ने कहा कि मरणोपरांत किसी भी तरह के कर्मकांड व अन्य रीति रिवाजों को न अपनाया जाए. बता दें कि मंडी जिला में देहदान करने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. हालांकि पहले मंडी में देहदान की सुविधा न होने के कारण लोगों को शिमला या चंडीगढ़ का जाना पड़ता था, लेकिन अब मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में देहदान की सुविधा है.

ये भी पढे़ं -लोगों के दिमाग से नहीं उतर रहा बच्चा चोरी की अफवाहों का 'भूत, भीड़ ने ट्रक ड्राइवर को पीटा

मंडीः 1985 में बनी बॉलीवुड फिल्म को देखकर प्रेरित हुए मंडी के खलियार निवासी चांद सिंह ठाकुर ने देहदान का फैसला लिया है. 61 वर्षीय चांद सिंह ठाकुर की देह मरणोपरांत नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखी जाएगी. इसके लिए उन्होंने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं.

चांद सिंह ठाकुर मूलत कांगड़ा जिला के पालमपुर के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले 30 वर्षों से मंडी शहर में रह रहे हैं. चांद सिंह ठाकुर हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक से प्रबंधक के पद से सेवानिवृत हुए हैं. उनकी बेटी ने भी पिता के इस फैसले को सराहा है.

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चांद सिंह ठाकुर ने बताया कि वर्ष 1985 में उन्होंने एक बॉलीवुड फिल्म देखी थी. फिल्म में नेत्र दान के जरिए एक युवक का आई ट्रांसप्लांट हुआ था. फिल्म का यह सीन चांद सिंह ठाकुर के जहन में इस कद्र बैठ गया कि उन्होंने उसी दिन देहदान का मन बना लिया. चांद सिंह ठाकुर ने अब देहदान का पंजीकरण करवाकर अपने मन की इच्छा को पूरा किया है. इस बारे में उन्होंने सभी रिश्तेदारों को सूचित भी कर दिया है.

चांद सिंह ठाकुर ने कहा कि मरणोपरांत किसी भी तरह के कर्मकांड व अन्य रीति रिवाजों को न अपनाया जाए. बता दें कि मंडी जिला में देहदान करने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. हालांकि पहले मंडी में देहदान की सुविधा न होने के कारण लोगों को शिमला या चंडीगढ़ का जाना पड़ता था, लेकिन अब मंडी के नेरचौक मेडिकल कॉलेज में देहदान की सुविधा है.

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Intro:मंडी। वर्ष 1985 में बालीवुड फिल्म को देखकर प्रेरित मंडी शहर के खलियार निवासी वरिष्ठ नागरिक चांद सिंह ठाकुर ने एक ऐसा फैसला लिया है, जिससे वह औरों के लिए मिसाल बन गए हैं। 61 वर्षीय चांद सिंह ठाकुर ने देहदान करने का फैसला लिया है। ताकि वह मरने के बाद दूसरे लोगों को जीवन दे सकें। चांद सिंह ठाकुर मूलत कांगड़ा जिला के पालमपुर के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले तीस वर्षों से मंडी शहर में रह रहे हैं। Body:हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक से प्रबंधक पद से सेवानिवृत चांद सिंह ठाकुर की इकलौती बेटी है। उनके इस फैसले को परिजन का भी सहयोग मिला है। मरणोपरांत उनकी देह नेरचौक मेडिकल कॉलेज में रखी जाएगी। इसके लिए उन्होंने सभी प्रकार की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। चांद सिंह ठाकुर का कहना है कि वर्ष 1985 में उन्होंने एक बालीवुड मूवी देखी थी। जिसमें प्रत्यारोपण के जरिए एक युवक को नई आंखे मिल गई थी। मूवी का यह सीन उनके जहन में इस कद्र बैठ गया कि उन्होंने उसी दिन देहदान करने का मन बना लिया। जिसे अब पंजीकरण करवा पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि मरणोपरांत किसी भी तरह के कर्मकांड व अन्य रीति रिवाजों को न अपनाया जाए, इस बारे उन्होंने सभी रिश्तेदारों को सूचित भी कर दिया है।

बाइट - चांद सिंह ठाकुर, सेवानिवृत प्रबंधक
Conclusion:बता दें कि मंडी जिला में देहदान करने वालों का आंकड़ा बढता जा रहा है। हालांकि पहले मंडी में यहा सुविधा नहीं थी तब लोगों को शिमला या चंडीगढ़ का रूख करना पड़ता था। लेकिन अब देहदान की सुविधा मंडी के नेरचौक मेडिकल कालेज में होने से लोग मरणोपरांत किसी के काम आने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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