मंडी: कॉलेज की छात्रा के साथ दुराचार करने का आरोप साबित न होने पर अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायधीश-एक के न्यायलय ने निहरी तहसील के निवासी मुकेश कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 452, 506, 292, 343, 353-बी व सूचना एवं तकनीक अधिनियम की धारा 4 और 6 के तहत अभियोग साबित न होने पर उसे बरी करने का फैसला सुनाया.
13 नवंबर 2019 को की गई थी शिकायत: जानकारी के अनुसार पीड़िता ने अपनी माता के साथ 13 नवंबर 2019 को थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई थी ,कि वह कॉलेज में पढ़ती है और किराए के मकान में रहती है. पीड़िता के अनुसार 10 नवंबर को वह किराए के मकान में अकेली थी तो इसी बीच आरोपी वहां पर आया और उसने पीड़िता के साथ जबरन बलात्कार किया.
फोटो खींचकर रिश्तेदार को भेजने का था आरोप: उसके फोटो खींचकर पीड़िता के एक रिश्तेदार को भेज दिए, जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में अभियोग चलाया था. अभियोग के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता उमेश भारद्वाज का कहना था कि आरोपी और पीड़िता का प्रेम संबंध था. लेकिन ,रिश्तेदार तक फोटो पहुंचने की वजह से पीड़िता ने अपने घर वालों से विचार विमर्श के बाद आरोपी पर गल्त तथ्यों के आधार पर यह केस दर्ज कराया.
दोनों बात करते थे मोबाइल पर: अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी के मोबाइल फोन की कॉल डिटेल से जाहिर हुआ है कि दोनों के फोनों से एक दूसरे को अनेकों फोन कॉल किए गए और वह दोनों लगातार संपर्क में थे. इसके अलावा पीड़िता के फोटो भी अदालत में साबित नहीं हुए. मेडिकल साक्ष्य भी पीड़िता से दुराचार होने के तथ्यों को प्रमाणित नहीं करते. ऐसे में अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ पीड़िता से दुराचार करने का आरोप संदेह की छाया से दोष साबित नहीं कर सका, जिसके चलते अदालत ने आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया.
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