मंडी: देहर खड्ड को पार करने के लिे नया पुल तैयार होने के बाद भी इसपर वाहनों की आवाजाही बंद है और रोजाना हजारों लोग जान जोखिम में डालकर पुल को क्रॉस करते हैं.
राने पुल की हालत देखते हुए पूर्व मंत्री डॉ. हरबंस राणा व तत्कालीन पंचायत प्रधान योगराज मेहरा ने कोटला खंड पर आधुनिक तकनीक से नए पुल के निर्माण की मांग पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समक्ष रखी थी। इसके बाद वर्ष 2008 में पुराने पुल के साथ नए पुल का कार्य शुरू हुआ. 100 मीटर लंबे 13 मीटर चौड़े और पैदल रास्ते वाले इस भूकंपरोधी पुल का काम हैदराबाद की कंपनी ने शुरू किया. ये कंपनी अधूरे पिल्लरों का निर्माण कर बीच में छोड़कर चली गई. जिसके 4 साल बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कंपनी को जुर्माना लगाया और पुल का काम दोबारा से शुरू करवाया.
देहर खड्ड को पार करने के लिए 1901 में हुआ था निर्माण
बता दें कि 1901 में कोटला में अंग्रेजों द्वारा देहर खड्ड पर पुल का निर्माण किया गया था और आज तक पुल की कोई सुध नहीं ली गई और अब ये पुल जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है. पुल की हालत ऐसी है कि कभी भी कोई भी अप्रिय घटना हो सकती है.
लोग जान जोखिम में डालकर इस पुल से वाहनों को गुजारने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है. सिंगल लेन इस पुल के दोनों तरफ अक्सर ही जाम लग जाता है. हालांकि पुल के दोनों तरफ विभाग के 18 मीट्रिक टन से भारी वाहनों का गुजरना वर्जित है. बावजूद इसके 18 मीट्रिक टन से अधिक भार के वाहन पुल से गुजर रहे हैं.
वहीं, लंबे इंतजार के बाद नया पुल बन कर तो तैयार तो हो गया, लेकिन अभी तक इस पर वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं की गई है. इस बारे में एक्सईएन डॉ. यशपाल वशिष्ठ ने बताया कि इस पुल को शुरू करने के लिए 31 मार्च तक की डेडलाइन रखी गई है और 31 मार्च तक इसका लोकार्पण कर दिया जाएगा.