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माहूंनाग मेला न होने से एक करोड़ से अधिक का नुकसान, देवता को 5 दिनों में चढ़ता था 20 लाख का चढ़ावा

करसोग में आयोजित होने वाले जिला स्तरीय मूल माहूंनाग मेले की बात करें तो इस बार कोविड 19 की वजह से मेला न होने से सभी को आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. इस माह 14 से 18 मई तक आयोजित होने वाला ये मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया, जिससे मेला कमेटी सहित बाहरी राज्यों के कारोबारियों को एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है.

Mahunag Mela
माहूंनाग मेला
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Published : May 27, 2020, 8:17 PM IST

मंडी: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लोगों को चौतरफा मार पड़ी है. खासकर कोरोना वायरस को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन से आर्थिकी को काफी नुकसान हुआ है, जिससे बाहर निकलने को अभी काफी वक्त लग सकता है.

उपमंडल करसोग में आयोजित होने वाले जिला स्तरीय मूल माहूंनाग मेले की बात करें तो इस बार कोविड 19 की वजह से मेला न होने से सभी को आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. इस माह 14 से 18 मई तक आयोजित होने वाला ये मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया, जिससे मेला कमेटी सहित बाहरी राज्यों के कारोबारियों को एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है.

वीडियो.

उपमंडल के माहूंनाग में लगने वाले इस पांच दिवसीय मेले में देवता को भी 20 लाख के करीब चढ़ावा चढ़ता था. मेला लगाने के लिए प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से आने वाले कारोबारियों को प्लॉट आवंटित करने से मेला कमेटी को भी 12 से 13 लाख का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से मेला आयोजित नहीं हो सका, जिससे करीब 1.35 करोड़ के नुकसान का अनुमान है.

कई राज्यों से मेला लगाने आते हैं कारोबारी:

करसोग उपमंडल के सवा माहूं में आयोजित होने वाला जिला स्तरीय मूल माहूंनाग मेला धार्मिक आस्था व व्यापारिक दृष्टि से देशभर में प्रसिद्ध है. यहां मेला लगाने के लिए दिल्ली सहित असम, त्रिपुरा, नागालैंड, बिहार, यूपी व राजस्थान से कारोबारी मेला लगाने के लिए पहुंचते हैं.

मेले शुरू होने से दो से तीन दिन पहले ही ग्राउंड में दुकानें सच जाती थी. प्रदेश के कोने-कोने से भी व्यापारी मेला लगाने को आते हैं. यही नहीं मेले में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए, स्थानीय स्तर पर भी बाजारों में दुकानों पर मिठाइयों के स्टॉल सजते थे, जहां मेले में पहुंचने वाले लोग खूब खरीददारी करते थे.

पिछले चार सालों के आंकड़े पर नजर डाली जाए तो देश के बाहरी राज्यों सहित प्रदेश के कोने कोने से हर बार औसतन 30 से 35 हजार श्रद्धालु मेले में मूल माहूंनाग देवता के दर्शनों के लिए पहुंचते थे, लेकिन इस बार सब कुछ कोरोना की भेंट चढ़ गया.

सवा माहूं पंचायत एवं मेला कमेटी के प्रधान घनश्याम शर्मा का कहना है कि इस महीने 14 से 18 मई तक आयोजित होने वाला मेला कोविड 19 की वजह से नहीं मनाया गया. इस मेले में प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से कारोबारी मेला लगाने आते थे.

उन्होंने कहा पिछले रिकॉर्ड को देखें तो मेले में 1 करोड़ से अधिक का कारोबार होता था. मेला कमेटी को भी प्लॉट आवंटित करने से लाखों का राजस्व प्राप्त होता था. यही नहीं बड़ी संख्या के श्रद्धालुओं के आने से देवता को भी लाखों का चढ़ावा चढ़ता था. इस बार कोविड-19 की वजह से काफी नुकसान हुआ है.

मंडी: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण लोगों को चौतरफा मार पड़ी है. खासकर कोरोना वायरस को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन से आर्थिकी को काफी नुकसान हुआ है, जिससे बाहर निकलने को अभी काफी वक्त लग सकता है.

उपमंडल करसोग में आयोजित होने वाले जिला स्तरीय मूल माहूंनाग मेले की बात करें तो इस बार कोविड 19 की वजह से मेला न होने से सभी को आर्थिक तौर पर बहुत नुकसान उठाना पड़ा है. इस माह 14 से 18 मई तक आयोजित होने वाला ये मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया, जिससे मेला कमेटी सहित बाहरी राज्यों के कारोबारियों को एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा है.

वीडियो.

उपमंडल के माहूंनाग में लगने वाले इस पांच दिवसीय मेले में देवता को भी 20 लाख के करीब चढ़ावा चढ़ता था. मेला लगाने के लिए प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से आने वाले कारोबारियों को प्लॉट आवंटित करने से मेला कमेटी को भी 12 से 13 लाख का राजस्व प्राप्त होता था, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण की वजह से मेला आयोजित नहीं हो सका, जिससे करीब 1.35 करोड़ के नुकसान का अनुमान है.

कई राज्यों से मेला लगाने आते हैं कारोबारी:

करसोग उपमंडल के सवा माहूं में आयोजित होने वाला जिला स्तरीय मूल माहूंनाग मेला धार्मिक आस्था व व्यापारिक दृष्टि से देशभर में प्रसिद्ध है. यहां मेला लगाने के लिए दिल्ली सहित असम, त्रिपुरा, नागालैंड, बिहार, यूपी व राजस्थान से कारोबारी मेला लगाने के लिए पहुंचते हैं.

मेले शुरू होने से दो से तीन दिन पहले ही ग्राउंड में दुकानें सच जाती थी. प्रदेश के कोने-कोने से भी व्यापारी मेला लगाने को आते हैं. यही नहीं मेले में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए, स्थानीय स्तर पर भी बाजारों में दुकानों पर मिठाइयों के स्टॉल सजते थे, जहां मेले में पहुंचने वाले लोग खूब खरीददारी करते थे.

पिछले चार सालों के आंकड़े पर नजर डाली जाए तो देश के बाहरी राज्यों सहित प्रदेश के कोने कोने से हर बार औसतन 30 से 35 हजार श्रद्धालु मेले में मूल माहूंनाग देवता के दर्शनों के लिए पहुंचते थे, लेकिन इस बार सब कुछ कोरोना की भेंट चढ़ गया.

सवा माहूं पंचायत एवं मेला कमेटी के प्रधान घनश्याम शर्मा का कहना है कि इस महीने 14 से 18 मई तक आयोजित होने वाला मेला कोविड 19 की वजह से नहीं मनाया गया. इस मेले में प्रदेश सहित बाहरी राज्यों से कारोबारी मेला लगाने आते थे.

उन्होंने कहा पिछले रिकॉर्ड को देखें तो मेले में 1 करोड़ से अधिक का कारोबार होता था. मेला कमेटी को भी प्लॉट आवंटित करने से लाखों का राजस्व प्राप्त होता था. यही नहीं बड़ी संख्या के श्रद्धालुओं के आने से देवता को भी लाखों का चढ़ावा चढ़ता था. इस बार कोविड-19 की वजह से काफी नुकसान हुआ है.

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