मंडी: सामरिक दृष्टि महत्वपूर्ण माने जाने वाला कीरतपुर से मनाली तक बन रहे फोरलेन का एक बड़ा भाग अगले महीने बनकर तैयार होने जा रहा है. यह बड़ा भाग मनाली तक जाने वाले लोगों को बड़ी राहत प्रदान करेगा. कीरतपुर से नेरचौक तक का बड़ा भाग इसमें शामिल है. फोरलेन के अंतिम चरण का कार्य इन दिनों जोरों शोरों से पूरा किया जा रहा है. एनएचएआई के परियोजना निदेशक वरूण चारी ने बताया कि कीरतपुर-मनाली फोरलेन के बन जाने के बाद चंडीगढ़ से मनाली की दूरी 237 किमी से घटकर 190 किमी रह जाएगी. इसमें 47 किमी की कमी होगी जिससे पूरे 4 घंटे का समय बचेगा.
'पूरा प्रोजेक्ट 2024 में होगा तैयार': एनएचएआई के परियोजना निदेशक वरूण चारी ने बताया कि पूरे प्रोजेक्ट को अगले साल जून महीने तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, लेकिन वहीं, इस साल जून में कीरतपुर से नेरचौक तक वाहनों की आवाजाही को सुचारू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. इसके शुरू हो जाने से कीरतपुर से नेरचौक तक की दूरी 37 किमी कम होगी और यात्रा के समय में ढाई घटों की कटौती हो जाएगी. वहीं, फोरलेन बनने से सेना को बहुत ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि सेना का सारा सामान कीरतपुर मनाली हाईवे से होकर ही लेह तक जाता है. इसलिए यह सामरिक दृष्टि दे भी देखा जाए तो यह फोरलेन बहुत महत्वपूर्ण है.
'14 टनलों से होकर गुजरेगा कीरतपुर-मनाली फोरलेन': इस प्रोजेक्ट के बन जाने के बाद चंडीगढ़ से मनाली तक का सफर बेहद रोमांचकारी हो जाएगा. कीरतपुर से जैसे ही हिमाचल में कदम रहेंगे तो सबसे पहले यह प्रवेश टनल के जरीए होगा. फिर मनाली तक के सफर में ऐसी 14 टनलों से होकर गुजरेंगे. सफर के दौरान झीलों और नदी-नालों पर कई रोमांचक फ्लाईओवर इसे और भी ज्यादा खूबसूरत बनाएंगे. वरूण चारी ने बताया कि 14 टनलों में सबसे लंबी टनल पंडोह व टकोली के बीच में बनाई जा रही है, जिसकी लंबाई 2.8 किमी ,जबकि सबसे छोटी टनल बिलासपुर के पास है, जिसकी लंबाई 465 मीटर है. 14 में से 5 टनलों को इसी महीने के अंत तक, जबकि 5 टनलों को जून महीने के अंत तक सुचारू करने की दिशा में कार्य चल रहा है. बाकी टनलों के कामों को पूरा होने में अभी समय लगेगा.
'पंडोह से टकोली तक का निर्माण कार्य सबसे कठिन': एनएचएआई के परियोजना निदेशक वरूण चारी ने बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट में सबसे कठिन कार्य पंडोह से टकोली तक का निर्माण कार्य रहा है. जहां एक ओर ब्यास नदी तो दूसरी ओर पहाड़ हैं. इस कार्य को करना बेहद मुश्किल था, जिसके कारण काम पूरा करने में काफी समय लगा, लेकिन सभी की मेहनत से इसे पूरा किया गया. यहां सड़क के उपर फ्लाईओवर बनाकर फिर फोरलेन का काम किया गया.
कीरतपुर से मनाली फोरलेन की सिविल कॉस्ट: साइट इंजीनियर अमित ठाकुर ने बताया कि कीरतपुर मनाली फोरलेन के लिए कीरतपुर से नेरचौक तक ब्राउनफील्ड की सिविल कॉस्ट 249 करोड़, ग्रीन फील्ड में 2049.39 करोड़ है. वहीं, ग्रीन फील्ड में नेरचौक से मनाली की सिविल कॉस्ट 2049 करोड़, ब्राउनफील्ड में नेरचौक से पंडोह तक सिविल कॉस्ट 873 करोड, पंडोह से टकोली तक 2604 करोड़ सिविल कॉस्ट, टकोली से कुल्लू 328.83 करोड़ सिविल कॉस्ट व कुल्लू से मनाली तक 213 करोड़ सिविल कॉस्ट रखी गई है.
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