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तालाब से हुई है खहणी नागणू देवता की उत्पत्ति, शेषनाग का हैं रूप, गलत करने वालों को देते हैं सजा

मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में सैकड़ों देवी-देवता पहुंचे हुए हैं. इन्हीं में से एक देवता हैं श्री देव खहणी नागणू. जो कि न्याय के देवता भी हैं. ये देवता शेषनाग का रूप हैं. श्री देव खहणी नागणू देवता की उत्पति तालाब से हुई है. (Khahani Nagnu Devta) (International Shivratri Festival)

Khahani Nagnu Devta
Khahani Nagnu Devta
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Published : Feb 21, 2023, 10:19 PM IST

Updated : Feb 22, 2023, 6:05 AM IST

खहणी नागणू देवता शेषनाग का हैं रूप

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव को लेकर छोटी काशी मंडी में सैकड़ों देवी-देवताओं के आगमन से स्वर्गमयी नजारा देखने को मिल रहा है. जनपद के सैकड़ों देवी-देवता अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत कर भक्तों को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं. इन देवी-देवताओं से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए कई मन्नते भी मांगते हैं. मंडी शिवरात्रि में सैकड़ों सालों से द्रंग के उतरसाल से एक ऐसे देवता आते हैं जो अनाज व काला सोना यानी लोहे से ही खुश होकर श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूरी करते हैं. इन देवता का नाम है श्री देव खहणी नागणू.

तालाब से हुई है खहणी नागणू देवता की उत्पति: श्री देव खहणी नागणू देवता की उत्पति तालाब से हुई है और इन्हें शेषनाग का रूप माना जाता है. इनका मूल स्थान उतरसाल के नवलाया पंचायत के नेरी में है. जहां उनकी उत्पति बढानणू से इनके पिता से हुई है. जिस भक्त की श्री देव खहणी नागणू के समक्ष सच्ची लग्र व विश्वास होगा, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इसमें भक्त को देवता के दर सवा किलोग्राम अनाज व लोहा रखना होता है. उसके उपरांत देवता खुश होकर हर मनोकामना पूरी करते हैं.

गलत करने वालों को कड़ी सजा देते हैं देव खहणी नागणू: देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू देवता के हर वर्ष चार जाग होते हैं. इसमें एक सावन माह में भंडारा, भाद्र, ज्येष्ठ माह और देसी माह में जाग होती है. उतरसाला के नागणू में स्थित श्री देव खहणी (शेषनाग) के दरबार में मंडी जिला ही नहीं, बल्कि कांगड़ा, कुल्लू, मनाली, शिमला, सराज, चौहारघाटी सहित दूर-दूर क्षेत्र के भक्त पहुंचते हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति देवता के नियमों की पालना नहीं करता है या गलत कदम उठाता है. उसे देवता कड़ी सजा भी देते हैं. जिसके चलते देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है.

राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते हैं देव खहणी नागणू: देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू राजाओं के समय से ही शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते आए हैं. उन्होंने बताया कि देवता शिवरात्रि महोत्सव के दौरान राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते हैं. देवता के दर हमेशा नारियल व देसी घी चढ़ाया जाता है. जो भी भक्त देवता के दरबार में हाजिरी भरता है,उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है.

ये भी पढ़ें: माता बाला सुंदरी मंदिर के खजाने में करोड़ों की हेरा-फेरी! प्रशासन ने बिठाई जांच, 30 दिन में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी

खहणी नागणू देवता शेषनाग का हैं रूप

मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव को लेकर छोटी काशी मंडी में सैकड़ों देवी-देवताओं के आगमन से स्वर्गमयी नजारा देखने को मिल रहा है. जनपद के सैकड़ों देवी-देवता अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत कर भक्तों को अपना आशीर्वाद दे रहे हैं. इन देवी-देवताओं से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए कई मन्नते भी मांगते हैं. मंडी शिवरात्रि में सैकड़ों सालों से द्रंग के उतरसाल से एक ऐसे देवता आते हैं जो अनाज व काला सोना यानी लोहे से ही खुश होकर श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं को पूरी करते हैं. इन देवता का नाम है श्री देव खहणी नागणू.

तालाब से हुई है खहणी नागणू देवता की उत्पति: श्री देव खहणी नागणू देवता की उत्पति तालाब से हुई है और इन्हें शेषनाग का रूप माना जाता है. इनका मूल स्थान उतरसाल के नवलाया पंचायत के नेरी में है. जहां उनकी उत्पति बढानणू से इनके पिता से हुई है. जिस भक्त की श्री देव खहणी नागणू के समक्ष सच्ची लग्र व विश्वास होगा, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इसमें भक्त को देवता के दर सवा किलोग्राम अनाज व लोहा रखना होता है. उसके उपरांत देवता खुश होकर हर मनोकामना पूरी करते हैं.

गलत करने वालों को कड़ी सजा देते हैं देव खहणी नागणू: देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू देवता के हर वर्ष चार जाग होते हैं. इसमें एक सावन माह में भंडारा, भाद्र, ज्येष्ठ माह और देसी माह में जाग होती है. उतरसाला के नागणू में स्थित श्री देव खहणी (शेषनाग) के दरबार में मंडी जिला ही नहीं, बल्कि कांगड़ा, कुल्लू, मनाली, शिमला, सराज, चौहारघाटी सहित दूर-दूर क्षेत्र के भक्त पहुंचते हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति देवता के नियमों की पालना नहीं करता है या गलत कदम उठाता है. उसे देवता कड़ी सजा भी देते हैं. जिसके चलते देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है.

राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते हैं देव खहणी नागणू: देवता के पुजारी व गुर राजकुमार ने बताया कि श्री देव खहणी नागणू राजाओं के समय से ही शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते आए हैं. उन्होंने बताया कि देवता शिवरात्रि महोत्सव के दौरान राजपरिवार के अलावा और कहीं भी नहीं ठहरते हैं. देवता के दर हमेशा नारियल व देसी घी चढ़ाया जाता है. जो भी भक्त देवता के दरबार में हाजिरी भरता है,उसकी मनोकामना हमेशा पूरी होती है.

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Last Updated : Feb 22, 2023, 6:05 AM IST
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